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विश्लेषण : दो-चार लोगों को ख़ास पदों पर बिठा देने से 'दलितों' का भला नहीं होगा?

Arun Mishra
20 Jun 2017 4:00 PM GMT
विश्लेषण : दो-चार लोगों को ख़ास पदों पर बिठा देने से दलितों का भला नहीं होगा?
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Photo Source : Google
गणेश राम को जेल भेज दोगे, समाज में छुआछूत बना रहेगा, तो किसी को राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति बनाने से क्या होगा? रामविलास मायावती सब हुए। क्या हुआ दलितों का?
दलितों को नहीं कोई अहसान चाहिए। उन्हें उनका वाजिब हक और सम्मान चाहिए। जब सारे दलित बढ़ेंगे, तब मानूंगा कि हमने दलितों के लिए कुछ किया है। दो-चार लोगों को ख़ास पदों पर बिठा देने से क्या होगा?

गणेश राम को जेल भेज दोगे, बिना यह सोचे कि 40 साल की उम्र में दो बच्चों का बाप होने के बावजूद क्यों वह उम्र घटाकर इंटर की परीक्षा देने को विवश हुआ, तो दलितों का भला कैसे होगा? मेरे बच्चे भूख मिटाने के लिए चूहे खाते रहेंगे, समाज में छुआछूत बना रहेगा, तो किसी को राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति बनाने से क्या होगा?

क्या हुआ- SC/ST के लिए 22.5 प्रतिशत आरक्षण तो है? जगजीवन राम उप-प्रधानमंत्री बने। के आर नारायणन राष्ट्रपति बने। मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष रही। कितने मंत्री रहे। कितने संतरी रहे। सांसद-विधायक सब बने। रामविलास मायावती सब हुए। क्या हुआ दलितों का?

जिस वक्त हम किसी दलित को 'दलित' कहते हैं, उसी वक्त उसका 'दलन' कर देते हैं। क्या वह दलित होने की पहचान से अलग इस लोकतंत्र में एक आम नागरिक की हैसियत से सुखी, संपन्न, सुरक्षित, सम्मानित नहीं हो सकता? हो सकता है कि नेताओं को 'दलित' कहना-कहलाना अच्छा लगता होगा, लेकिन हम आम जन को तो यह भी अपमानजनक लगता है कि हम किसी का परिचय यह कहकर दें कि ये 'दलित' हैं।

अगर 70 साल में भी हम दलितों पर से 'दलित' होेने का टैग नहीं हटा पाए, तो सभी अपने-अपने भीतर झांकें और ख़ुद से सवाल पूछें कि हमने दलितों की बेहतरी के लिए जीवन में कुछ किया भी है या उन्हें सिर्फ़ बेवकूफ़ बनाया है?

इस देश में लोगों को बेवकूफ़ बनाना बंद होना चाहिए।


Abhiranjan Kumar






लेखक : अभिरंजन कुमार (वरिष्ठ पत्रकार)
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