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प्रधानमंत्री जी आपके नेताओं की लगाई आग चैन से सोने नहीं देती?

Arun Mishra
20 April 2017 7:47 AM GMT
प्रधानमंत्री जी आपके नेताओं की लगाई आग चैन से सोने नहीं देती?
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हमारे देश को मुगलों ने जमकर लूटा था लूट का माल वे कहा ले गये इसके बारे में कोई भी भाजपाई जवाब नही देता है। मुग़ल मुस्लिम आत्याचारी आक्रान्ता थे पर वे मरकर यहीं की मिटटी में मिल गए। इसके विपरीत गोरे अंग्रेजो का शासन स्वदेशी राष्ट्रवादी था। शायद इसी कारण सारे उस समय के संघ के राष्ट्रवादी गोरी चमड़ी के अंग्रेजो के वफादार बने उनकी चाकरी करते थे। गोरे अंग्रेजो की वफादारी में इस देश के बहुसंख्यक राजघराने पलक पावडे बिछाते थे। अंग्रेजों ने हमारे देश को जमकर लूटा था।

देश का बेशकीमती कोहिनूर हीरा अब भी ब्रिटेन के पास रखा है जो हमे याद दिलाता है कि अंग्रेज लुटेरे थे जो कि व्यापारी बनकर हमारे देश में आये थे। आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र के दोनों पुत्रो के सर काटकर थाली में सजाने वाले अंग्रेज थे। महाराजा रणजीत सिंह के पुत्रों का धर्मपरिवर्तन कराने वाले अंग्रेज थे। अंग्रेजो का विरोध करके देश से अंग्रेजी शासन को समाप्त करने की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाने वाली कांग्रेस पार्टी से देश के सारे राजे रजवाड़े क्यों नाराज थे। कांग्रेस पार्टी से नाराज अधिकांश राजे रजवाडो के सामंत क्यों आज तक आपकी ही भाजपा पार्टी में सर्वाधिक उच्च पदों पर विराजमान हैं। अंग्रेजी शासन और मुगलों के शासन में कौन-कौनसे राजघराने उनके साथ क्यों और किस कारण कौन-से स्वार्थवश रहते थे।

कभी इतिहास के इस रहस्य पर से भी माननीय प्रधानमंत्री जी परदा हटना चाहिए। माननीय जोधा बाई को अकबर द्वारा अपनी रानी बनाने के समय हम गरीब मेहनतकश लोग इस देश में दलित पिछडे बनकर धर्म के आधार पर अपमान झेलते थे। हमारा दिन प्रतिदिन होने वाला अपमान हमें धर्म परिवर्तन करने के लिए कचोटता था। धर्म परिवर्तन भी हमारे पूर्वजो ने किया था इसके कारण भी वे ही बता सकते हैं। अकबर के नो-रत्नों में भी हमारे पुरखो में से एक भी नही रहा था। सभी माननीय, सम्माननीय उस वक्त के राजा अकबर के राज दरबारीयों में कोई भी दलित पिछड़ी जाति से नही था।

बाबर के सेनापति ने क्यों और किस लिए राम मंदिर की जगह पर जैसा प्रचारित किया जाता है जबरन मस्जिद बनवाई थी। बाबर की सेना के इस अत्याचार में ना कभी हमारे पुरखे शामिल रहे थे और ना ही हम उस वक्त मौजूद थे। माननीय बाबरी मस्जिद के निर्माण के भयंकर अन्याय का बदला आज हम गरीब मुस्लिमों से क्यों लेने के नारे लगाकर हमें दंगो में मारा जाता है। अकबर को बाबर के इस अधर्मी कृत्य के लिए भयंकर रूप से दण्डित करना चाहिए था, अकबर तो बाबर का पोता था। अकबर बादशाह को सम्मान पूर्वक अपना दामाद बनाने वाले हमे अकबर से क्यों जोड़कर दण्डित करना चाहते है।

अकबर बादशाह के समय में रामायण की रचना करने वाले स्वामी तुलसी दास ने भी अकबर बादशाह से डरकर ही तो अपनी लेखनी से बाबर के इस घोर अधर्मी कार्य का विवरण रामायण में नही लिखा था। रामायण में तुलसीदास का यह कृत्य नही लिखना आज तक धर्म के विद्वान पंडितो को क्यों समझ नही आया। क्या इस अज्ञान के कारण बने पंडितो को भी इस देश में दंड मिलना चाहिए था कि नही ? माननीय भगवान राम के मंदिर को तोड़कर उसका अनादर करने वाले मुगलों के दरबारियों में भी हम गरीबों के पुरखों की हेसियत राजा मान सिंह, टोडर मल, बीरबल, पंडित तानसेन के जैसी कभी नही रही। इन कुलीनवर्ग के उच्च कोटि के पंडित विद्वानों की हेसियत की बराबरी करने के बारे में सोचना भी हमारे लिए प्राण दंड का कारण बन सकता था।

हम तो कल भी दबे कुचले थे और आज भी दबे कुचले मेहनतकश बनकर बड़ी मुश्किल से अपनी दाल रोटी कमाने के फेर में ही अपना जीवन गंवा रहे है। हम कहीं सर्दी में अमीरों के बचाव के लिए गर्म रजाई बनाते हैं, कही मीनाकारी के हुनर को बेचने वाले मजदूर ही तो हैं। कल भी इस भारत राष्ट्र की भूमि पर उच्चवर्ग के कुलीन शासन करने वाले मुगलों के साथ मिलकर हम पर शासन करते थे। आज लोकतंत्र में भी हमारा वोट उच्च वर्ग के कुलीन ही जाती धर्म के नाम पर तो कही पैसो से या शराब पिलाकर ही हमसे ले रहे हैं।

माननीय आपके शासन में तो अजब गजब के नारे लग रहे हैं। जीवित गाय माता का दूध आपकी पार्टी के लोगों के लिए ही है जिसे वे पीते रहे है, मरने के बाद मरी गाय माता की खाल उतारने वाले कल भी हम ही थे आज भी हमें ही यह सब कर्म करने पड़ते हैं। अब तो हमें मृत या जीवित गाय के समीप खड़े होने पर ही मार डाला जाता है I दुर्भाग्य से मुगल राजाओं के काल से अंग्रेजो के शासन से लेकर स्वतंत्र भारत राष्ट्र में भी मृत गाय माता के सम्पूर्ण अंतिम क्रिया कर्म हमें ही करने पड़ते हैं। फिर भी हमा त्रिस्कार करके हमें ही मारा पीटा जाता है। हम तो गाय माता के मरने के बाद कोई नाता नही रखने वाले उसके घोर कलियुगी राम भक्त, गो माता के पुत्रों की माता की मृत बदबूदार देह को उठाकर उसका अंतिम सम्मान करके उसकी गति ठीक करने वाले हैं।

सीवर लाइन के बदबूदार चेम्बरो में भरे हुए गाय माता के पुत्रों का मल हम उठाते हैं। ना जाने कितने हम जैसे गरीब दलित अब तक दूसरों का मल उठाते हुए सीवर लाइन के चेम्बरो में आपने प्राणों की आहुति दे देते है फिर भी हमें ही इस देश में मारा जाता है। हमारी लड़कियों से बलात्कार करने वाले फिर हमारी रिपोर्ट तक थानों में दर्ज नही होने देते है। हमारे लिए न्याय के रास्ते कल भी दूभर थे, शायद आज भी उतने ही कठिन है। लोकतंत्र में शासन करने के लिए ही आपके शासन में 100 करोड़ देशवासियों को 22 से 25 करोड़ अल्पसंख्यक का कृत्रिम भय दिखाया जा रहा है। आप ही के मंत्री मंडल में गो-मांस का भक्षण करने वाले मंत्री किरण रिजूजू बैठे है और आपकी पार्टी के द्वारा तैयार की गई उन्मादी गो-भक्तो की भीड़ अखलाख के घर के अन्दर घुसकर गो मॉस ढूंढने में लग जाती है।

पूरा विश्व विस्फोटक शरीर में बाँधने वाले फिदायीन सुसाइड बॉम्बरों से डरता है, परन्तु अब आपके शासन में भोली समझी जाने वाली गाय माता भी हमे सुसाइड बॉम्बरों की भांति डरा रही है। समझ नही आता क्यों गाय माता षडयंत्रकारी बनकर बेगुनाह पहलु खां को मार रही है। पहलु खां गाय को पालपोश कर उसका दूध पीना चाहता था। उसने रूपये देकर आपकी प्रदेश भाजपा सरकार के पशु हटवाडे से गाय खरीदी थी। देश में अब गाय व गाय के दूध पर भी आपकी भगवा पार्टी का ही पेटेंट हो गया है, इसलिए कोई मुसलमान गाय के पास में जाने के जुर्म की हिमाकत करते ही अपनी जान गंवा देता है। आप देश में बिजली को भी हिन्दू मुसलमान में बाँट चुके है। आज तक आपकी पार्टी को मुस्लिमों के लिए खोले जाने वाले स्कूल कॉलेजो से ही नफरत थी अब तो आपकी नफरत कब्रिस्तान में सोने वालों के लिए कब्रिस्तान बनाने पर भी भड़क उठती है।

प्यार पर किसी का पहरा नही होता है ये तो बस ईश्वर की तरफ से कभी भी किसी को भी हो जाता है, परन्तु अब आपके लोगों ने लव जेहाद के नाम पर भी नफरत की आग भड़का रखी है। प्यार पर पहरेदार बैठा रखे है ये देख-देखकर मुस्लिमों को ही मारते है। शायद आपकी पार्टी में बैठे शाहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी व सुबृमणयम स्वामी की जवाई बड़े सौ-भाग्यशाली है जिनकी हन्दू लड़कियों के साथ शादी के बाद भी उनकी अब तक घर वापसी नही हुई है।

खैर, ये आपकी पार्टी के नेताओ के अपने घर जंवाई जो है इनके साथ आप अच्छा व्यवहार करेंगे ही हमे इस ऐतराज भी नही है। प्रधानमंत्री जी, शायद हिन्दू लड़की से प्यार करने के लिए अमीर आदमी होना जरुरी होता है तभी तो इस देश की राजधानी दिल्ली में आपकी नाक के नीचे इमाम बुखारी का बेटा हिन्दू लड़की से शादी करके अमीर मेहमानों को शाही दावत देता है। देश-विदेश के शाही लोग हिन्दू लड़की की मुस्लिम लड़के की शादी के शाही खाने का आनंद लेते है। पूरे देश में आपकी भगवा पार्टी की हल्ला ब्रिगेड उस दिन आपकी ही तरह शायद अचानक पकिस्तान चली गई थी। इसी कारण दिल्ली में कुछ भी अप्रिय घटना घटित नही होती है। वैसे आपके लोग ये सारे टोटके वोट प्राप्त करने के लिए चुनावी वर्ष में ही करते है। शायद दिल्ली में उस समय चुनाव नही थे इसलिए सारे उग्र हिंदुत्व वादी उस वक्त उत्तर प्रदेश में लगे थे। इस रहस्य का खुलासा भी आप कर दे तो नाचीज गरीबो के ज्ञान में इजाफा ही होगा। आपके शासन में ही अब तो हाथो में तलवारे लिए धमकियाँ दी जाती हैं। मुस्लिम मोहल्लो में भाजपा शासन वाले राज्यों में सरकारी सहमती से पुलिस की उपस्थिति में सहमती से नारे लगते हैं। इस देश में रहना है तो वन्दे मातरम कहना होगा।

हथियारों के बल पर देश में नफरत की बारूद बिछाने वाले आपकी पार्टी के ही समर्थक है जो शायद बहुसंख्यक होने के अहंकार से ग्रसित हो चुके हैं। आपकी पार्टी के लोगों का कहना है शाकाहारी समाज के लोग हिंसा नही करते परन्तु इस देश में भगवान परशुराम की हिंसा से धरती से कितनी बार राजपूत जाति के क्षत्रियों का समूल नाश हुआ है। यह भी आप बता दें जो ज्यादा ठीक रहेगा? देश में आप गाँधी का गुणगान करते हैं, और आपके ही लोग सांसद विधायक गोडसे का गुणगान करने में सारी सीमाए लांघ जाते हैं। आप कभी नही स्पष्ट करते की देश को गाँधी और गोडसे में से किसकी ज्यादा आवश्यकता है।

आप देश भर में सबसे पवित्र गीता, रामायण और कुरआन से भी ज्यादा एक ग्रन्थ संविधान की किताब को बताते है। फिर जब देश में गुंडों की भीड़ संविधान से ऊपर उठकर उन्मादी भीड़ के न्याय के रूप में पहलु खान की ह्त्या दिन दहाड़े कर देती है जब आप मोन रहते हैं। आपका मंत्री लोकसभा में संघी सत्य उवाच करके पहलु खान की हत्या को सिरे नकारने की घोषणा कर देता है फिर भी आपका मोन टूटता नही है। भारत माता की जय में भी अब तो वह आनंद नही आता जो पराधीन भारत में इस जयकारे के साथ आता था। अब इस नारे में होलनाक दहशत छिपी है, जो देश के एक बड़े समूह को डराने के लिए ही इस नारे को लगाने का आभास कराती है। देश की धरती की जय होनी चाहिए पर देश की धरती पर रहने वालो की जय क्यों नही होती ?

लाल कृष्ण आडवाणी की रथयात्रा 1984 के सिख दंगे, 2002 के गुजरात दंगो की आग में अपने प्रियजन गवाने वालो को देश में मुजफ्फरनगर याद दिलाने वाले क्यों और किसलिए ऐसा करते है ? शायद इंसानी लाशों के बीच, जलते घरों के आगे आग में अपनी सियासी कडाही को गर्म करके विधायक सांसद बनने के सपनों के पकवान तलकर खाने वालों को अब राज धर्म का पाठ पढ़ाने वाला देश कोई नही बचा है। कश्मीर की माटी छोड़ने वाले पंडित भी इस प्रकार की ही सियासत की आंच में आज तक जल रहे है। देश में अनिश्चय शक असुरक्षा का भाव बढ़ता जा रहा है। लोग अपनी सुरक्षा के लिए आपके भेदभाव वाले शासन पर कतई भरोसा नही करके खुद की सुरक्षा के लिए हथियार जमा करने के लिए मजबूर किये जा रहे है। अब कोई अटल बिहारी नही है जो राजधर्म, राष्ट्रधर्म के लिऐ सत्ता को छोड़ने की बात करके देश के दुखी लोगों की भावना पर मीठे बोल बोलकर मरहम लगाए।

आपके भगवा साधुओं की जहरीली जबान के जख्म रोज देशवासियों को लग रहे है। दुनिया में सांपो के जहर का इलाज करने की दवा बहुत है लेकिन जहरीले साधुओं की वाणी से लगे जख्मों का इलाज आपके पास भी नही है। सांपो से ज्यादा देश में साधू जहर घोल रहे हैं। इनके जहर का प्रभाव चलती बस में रेलगाड़ियों में लोगों की बातों से सामने आ रहा है। यदि बीएस में 30 हिन्दू हैं तो 10 मुस्लिम सहमे-सहमे अपना सफ़र करते हैं। इसी प्रकार बीएस में 30 मुस्लिम तो फिर 10 हिन्दू सहमें - सहमें रहते हैं।

हिन्दू के मोहल्ले में मुस्लिम और मुस्लिम के मोहल्ले में हिन्दू डरे सहमे रहते हैं। व्यापारी नौकर मालिक मजदूर सब डरे सहमे रहें ये भी आपके शासन की ही उपलब्धी है। आपके लोग आग लगाने की कोशिशो से चुनाव जीत कर फिर वापस लौटने का उपक्रम कर रहे है। आपकी लगाई आग में मरने वाला गरीब ही होता है, जो भावनाओ धर्म और भगवान सब पर अँधा भरोसा करता है। इस देश में जब भी किस बेगुनाह इंसान का खून बहता है वह खून इंसानियत का होता है और मरने वाला हर आदमी भारतवासी होता है। हमारा देश ईश्वर की बनाई इस दुनिया का एक शानदार बगीचा है जिसमे सभी प्रकार के फूल खिलते हैं, अनेकता में एकता हमारी ताकत है। इसे बचाने के लिए हमें सतर्क रहकर कार्य करना होगा। परिवार के मुखिया के गलत निर्णय से परिवार का भविष्य चोपट हो जाता है। इसी प्रकार देश के मुखिया की गलती से सारा राष्ट्र कीमत चुकाता है शायद हमारा देश भी सांप्रदायिक विध्वंश कीमत चुकाने की तरफ बढ़ रहा है। देश रहेगा तो राजनेता मंत्री विधायक मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आते जाते रहेंगे। आपकी पार्टी की राजनीती से देश देशवासियों के अस्तित्व पर सवाल उठ रहे हैं। इस पर हम सबको सोचना पड़ेगा चाहे वह किसी भी पद पर बैठा व्यक्ति हो। पद के दायित्व के बोझ का निर्वाह करना पद से बड़ा होता है इस सवाल का उत्तर देश की जनता आप आदरणीय श्री मुख से सुनने को बेताब है।

मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान
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