- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
Archived
धर्म निरपेक्ष सत्ता के दलालों के घर बैठने से भाजपा का शासन वरदान बनेगा मुस्लिमो के लिए!
Arun Mishra
23 May 2017 6:08 AM GMT
x
File Photo
हमारे देश में सबसे ज्यादा कोई शब्द अपनी अहमियत खो चुका है तो वह शब्द धर्म ‘निरपेक्ष’ है..?
हमारे देश में सबसे ज्यादा कोई शब्द अपनी अहमियत खो चुका है तो वह इस देश में धर्म 'निरपेक्ष' शब्द है। देश के राजनैतिक दलों ने खासकर कांग्रेस पार्टी ने इस देश में धर्म निरपेक्षता का आडम्बर रचकर लम्बे समय तक देश पर शासन किया है। कांग्रेस के नेताओं द्वारा देश के मुस्लिम समुदाय को भावनात्मक रूप से छलने के अलावा धर्म निरपेक्षता का मतलब शायद कांग्रेसियों, सपा, बसपा के लिए कुछ और नही है। धर्म निरपेक्षता के नाम पर देश की कांग्रेस पार्टी व सपा, बसपा के साथ अन्य दलों ने देश के मुस्लिमो से एक भयानक मजाक किया है। देश की मुस्लिम आबादी के चुनावो में वोट प्राप्त करने के लिए धर्म निरपेक्षता की दिखावा करने वाली कांग्रेस पार्टी व अन्य दलों ने धर्म निरपेक्षता के नाम पर अन्दर खाने भाजपा से हाथ मिला रखा था।
देश की आजादी के 70 वर्षो के शासन में अधिकांश समय देश की सरकारों में सबसे ज्यादा कांग्रेस की सरकारें रही हैं। कांग्रेस के शासन में कुछ चेहरे हमेशा कांग्रेस की सरकारों में कांग्रेस के धर्म निरपेक्ष चेहरे को दिखाने के लिये मंत्री पद पाते रहे है। ये मुस्लिम कांग्रेस की सरकार के मंत्री के रूप में सजावटी व दिखावटी चेहरे बनकर मुस्लिम समाज में कांग्रेस सपा के एजेंट के रूप में काम करते रहे है। कांग्रेस के साथ सपा, बसपा के धर्म निरपेक्ष शासन में मुस्लिम समाज के दलाल बने फतवेबाज मोलवियों ने खूब तरक्की की है, जबकि आम मुसलमान इनके शासन में सदैव दबा कुचला ही रहा है। इस्लाम धर्म अनुसार मस्जिद में नमाज पढाने वाले सभी मोलवियों का दर्जा एक समान है। यह जानकर भी देश की कांग्रेसी सरकारों ने फतवेबाज शाही इमाम से लेकर देवबंद, जमियत उलेमा के हजारो फतवेबाजी के माहिर मोलवियों की खेराती फ़ौज को अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए पैदा किया है।
ये फतवेबाज मोलवी और कांग्रेस के नाम निहाद बेचारे बने मुस्लिम नेता चुनावी मौसम में पूरी ताकत से कांग्रेस की ढपली बजाकर पूरे पांच साल कांग्रेस सरकारों द्वारा किये गये मुस्लिम विरोधी कार्यों से मुस्लिम समाज का ध्यान हटाते थे। वर्ष 2014 के लोक सभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस के विदेश मंत्री रहे सलमान खुर्शीद की ढपली बजाकर नौटंकी करने के उदाहरण हमारे सामने है। बटला हाउस काण्ड पर ये कहने लगे की बटला हाउस मुठभेड़ पर कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी रोई थी। चुनावों में ये बहरूपिये जी मुस्लिमो के वोट प्राप्त करने के लिए ही कहने लगे की मुस्लिम आरक्षण के लिए वे फांसी पर भी चढने के लिए तैयार है। ना मुस्लिमो को कांग्रेस सरकारों से आरक्षण मिलाना था और ना ही मिला, फिर भी ये बेशर्म फांसी तो दूर राजनीती छोड़कर घर बैठने के लिए भी तैयार नही हुए। जी हाँ...... इस प्रकार के दलालों की भीड़ के बल पर कांग्रेसियों ने देश के मुस्लिमो के वोट चुनावो में अब तक खूब लूटे है।
मुस्लिम समाज की वास्तविक समस्याओं से ध्यान बटाकर उसका भावनात्मक रूप से धार्मिक आधार पर शोषण करने के सबसे ज्यादा मुजरिम कांग्रेस,सपा, बसपा में भरे पड़े है। धर्म निरपेक्षता की आड़ में यादवी साम्राज्य की खानदानी नींव रखने वाले मुल्ला मुलायम के यादवी शासन में यूपी के मुस्लिम मंत्रियों की ओकात यादव कोतवाल से बात करने की भी नही थी। न जाने क्यूँ फिर भी सारे धर्म निरपेक्ष दलों ने दलाल इस शासन के जाने पर आज तक विधवा विलाप करते नही थकते है। धर्म निरपेक्ष दलों के राजनेतिक बाजीगरो ने तमाशे करके मुस्लिमो के हितो के नाम पर सिर्फ मुस्लिमो को मुर्ख बनाया है। इन तथा कथित धर्म निरपेक्ष दलों के नेताओ ने देश के मुसलमानो को हमेशा कमजोर बनाए रखा है। ये कभी नही चाहते की मुस्लिम समाज वोट बैंक की नीति से बाहर निकलकर सरकार में बैठे इन तथा कथित धर्म निरपेक्ष सरकारों से सवाल करें। मुस्लिम समाज के अन्दर उदार, शिक्षित, सक्षम नेतृत्व की बजाए लालची मोलवियों की धर्मांध सोच के नेतृत्व को हमेशा बढ़ावा देने के कपटाचारी कार्य करने के लिए धर्म निरपेक्ष दल जाने जाते है। धर्म निरपेक्षता की मृत देह को उठाने का भार भी चुनावो में अब तो धर्म निरपेक्ष दलों के दलालों ने मुस्लिम अवाम के सुपुर्द कर दिया है।
देश के सारे भृष्ट, कपटी, बेईमान नेताओ को जिताने का पूनीत कर्म धर्म निरपेक्ष दलों के नेताओ ने देश के मुसलमानों को सोंप दिया है। अनपढ़, जाहिल, लालची मोलवियों दलालों की एक बड़ी जमात चुनावो में भाजपा को रोकने के लिए यूपी के विधान सभा चुनावो में खूब सक्रिय दिखाई दी। खूब फतवेबाजी के साथ भाजपा को रोकने के हवाई किले बनाए गये। कबीर दास ने एक दोहा कहा था जो हमे इस अवसर पर याद आ रहा है की "मुल्ला और मशालची दोनों को सूझे नाही, ओरो को करे चांदना आप रहे अन्धेरा माही"। जमाने के बदलते परिवेश को समझने में आज भी मुस्लिम समाज के मुल्ले मोलवी सक्षम नही है। अपने समाज की दशा और दिशा को समझने में भी धर्म निरपेक्ष दलों के नेता व मुस्लिम समाज के मोलवी पूर्णतया विफल साबित हुए है।
कांग्रेस की सरकारों ने मुस्लिमो के लिए जो कार्य किये है उसकी पोल सच्चर कमेटी एवं रंगनाथन आयोग की रिपोर्ट स्वयं की खोल देती है। देश में पहली बार धर्म निरपेक्षता के दलाल पूर्णतया हताश होकर घर घर बैठ गये है। इनकी राजनेतिक बाजीगरी के कारण कभी भी देश के मुस्लिमो ने अपनी वास्तविक समस्याओं पर विचार तक नही किया। धर्म निरपेक्षता की नोटंकी करने वालो ने देश के मुसलमानों का शाब्दिक रूप से शब्द जाल बुनकर खूब विकास किया जो जमीन पर कही भी नजर नही आता है। पहली बार राजनेताओ की नोटंकीबाजी से दूर रहकर भाजपा के शासन में मुस्लिम समाज को सोचने व समझने का एक अवसर मिल रहा है।
मुस्लिम समाज राजनीती से दूर हटकर अपनी समस्याओ के समाधान के लिए शिक्षा के क्षेत्र को अपनाए ? मुस्लिम समाज की सम्पूर्ण समस्याओं का हल अशिक्षा के अन्धकार से जुडा है। देश के एक नागरिक के तोर पर भाजपा की मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओ को तीन तलाक के अजाब से बचाने के लिए कार्य कर रही। बात बात में इस्लाम धर्म खतरे में है इसका नारा लगाकर मोलवियों का एक बड़ा तबका जो स्वयं पर्सनल्ला बोर्ड बनाकर देश के मुसलमानों का ठेकेदार बना गया है। शुरू में तीन तलाक की हिमायत में बोलने वाले यह कठमुल्ले फिर देश की सबसे बड़ी अदालत में पलट जाते है कहते है सरकार तीन तलाक को रोकने के लिए कानून लाये। यहाँ हमारा सवाल है कि मुस्लिम बेटियों का तीन तलाक के कारण जीवन बर्बाद होता है उसको रोकने की जिम्मेदारी सरकार से ज्यादा मुस्लिम मोलवियों की नही है।
असल समस्या ये है कि मुस्लिम समाज के सियासी लीडर और धार्मिक मोलवी दोनों को समाज की दुर्दशा से ज्यादा चिंता अपने निजी स्वार्थो की है। विडम्बना ये है कि कल तक मोदी सरकार के विरोध में खड़े रहकर मुसलमानो को डराने वाले दलाल अब स्वयं सरकारी मोलवी बनकर मोदी से मिलने जा रहे है। भाजपा के शासन की सरकारों में मरने वाले बेगुनाह मुसलमानों की ह्त्या के लिए दो शब्द बोलना भी मोदी से मिलने वाले मोलवियों को उचित नही लगता। योगी सरकार में शांतचित्त होकर मुस्लिम युवावर्ग अपनी समस्याओ का हल राजनीती के मैदान के बजाए शिक्षा के क्षेत्र में खोज रहा है। 70 वर्षो की राजनीती का मुस्लिम नेतृत्व मुस्लिमो को उनकी समस्याओं का समाधान बताने में विफल साबित हो गया है।
एक बार फिर यही कठमुल्लो का गिरोह अपने अस्तित्व को बचाने के लिए मोदी सरकार से मिलकर देश में मुस्लिम मतों का ठेकेदार बनने का प्रयास कर रहा है जबकि वास्तव में मोदी अमित शाह की टीम ने 1857 के ग़दर की भाँती जाहिल लालची मोलवियों को पूर्णतया चुनावी समर में परास्त कर दिया है। आज इन बिकाऊ मोलवियों के फतवों का असर ना रहा ना इनके फतवों में किसी भी प्रकार से समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभावो की दूरंदेशी झलकती है। सिर्फ अपनी उपस्थिति के लिए ही ये अपनी श्रेष्ठता का भ्रम पाले फतवे देते है। पहली बार समाज में नई चेतना का संचार हो रहा है समाज अब चेतन होकर अपने मसलो का हल तलाश करने के लिए जाग रहा है। बड़ी विडंबना है कि ना मुकम्मल तैयारियों के साथ हवाई बाते करने वाले धर्म निरपेक्ष दलों का मुस्लिम नेतृत्व आज भी अपनी कमियों पर विचार करने के लिए तैयार नही है।
सच यही है कि नरेन्द्र मोदी व अमित शाह की हाईटेक राजनीति का जवाब ना आज कांग्रेस के पास है ना ही किसी अन्य धर्म निरपेक्ष दल के नेताओ के पास है। मुस्लिम समाज को चाहिए कि वह निर्बल बनकर धर्म निरपेक्ष दलालों की ऊँगली पकड़ कर चलने के बजाय शिक्षित बनकर मजबूत बने ना की मजबूर बने। अपने दिमागों में भय को निकाल बाहर करके जीवन की इस कठिन दौड़ में चुनोतियों का सामना करना सीखे। जीवन की चुनोतियों को परास्त करने के लिए, जीवन में सम्मान प्राप्त करने के लिए, ईमानदार बनकर मुस्लिम समाज के युवाओं को सदैव कठिन संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए। अपाहिज बनकर नेताओ के दरवाजे पर खेरात की बैसाखियाँ मांगकर युवाओ को अपना समय नष्ट नही करना चाहिए। कठिन मेहनत से भागने वाला समाज अपना व अपनी आने वाली नस्लों का स्वयं ही अपने हाथो से अपमान करता है।
मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान
Arun Mishra
Next Story