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मैं बार-बार विस्मया को देख रहा था। उसके भोले और मासूम चेहरे के पीछे छिपे दर्द को पढ़ने की कोशिश कर रहा था। सोच रहा था कि क्या कोई विचारधारा ऐसी भी हो सकती है जो अपने विरोधियों की बर्बर हत्या तक कर देती है? उसे मासूमों को अनाथ बनाने में जरा भी दया नहीं आती? जब विस्मया से नजरें मिली तो लगा किमानों वह पूछ रही हो, "आखिर आप ने मेरे पिता को क्यों मारा...???" मैंने उसके चेहरे से नजर हटाने की कोशिश की, लेकिनहटा नहीं पाया। मुझे उसके चेहरे पर उसकी ही लिखी इंटरनेट पर वाइरल हुई कविता की लाइने दिखाई देने लगी, जिसे उसने अपने पिता की निर्मम हत्या के बाद लिखा था....
Have u killed my father
The god who I woke up to every morning?
Have u killed my love
The pillar of my life?
Have u killed my father...
केरल में लंबे समय तक वामदलों का शासन रहा है। पिछले साल मई में कांग्रेस को सत्ता से बाहर कर सीपीएम की अगुआई वाली लेफ्ट डेमेक्रेटिक फ्रंट (एल़डीएफ) ने फिर से केरल में सरकार बना ली है। इसके बाद आरएसएस के कार्यकर्ताओं पर हमले फिर से बढ़ गए हैं। केरल के वर्तमान मुख्यमंत्री पिनारी विजयन का गृह जिला कन्नूर तो वामपंथी हिंसा का"रोल मॉडल" बन चुका है।पिनराई विजयन खुद भी संघ के एक कार्यकर्ता की हत्या के आरोपी हैं।
11 महीने के इतने कम कार्यकाल में 19 लोगों की हत्याएं हुई हैं, जिसमें 11 कार्यकर्ता हमारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के थे। चार कार्यकर्ता कांग्रेस से जुड़े थे। 4 कार्यकर्ता थे तो सीपीएम के, लेकिन वो मार्क्सवादी विचार छोड़कर कहीं न कहीं संघ की शाखा, भारतीय मजदूर संघ या भाजपा की ओर आकर्षित थे, इस कारण उनकी भी हत्या कर दी गई।"कन्नूर में तकरीबन एक साल में हिंसा को लेकर 436 एफआईआर दर्ज की गई है। करीब 690 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है।
दरअसल, वामपंथी विचार के मूल में ही तानाशाही और हिंसा है। उनका खूनी इतिहास जग-जाहिर है। वामपंथ में अपने विरोधी विचारधारा के लोगों को समाप्त करने की प्रथा रही है।वामपंथी विचार को थोपने के लिए अन्य विचार के लोगों की राजनीतिक हत्याएं करने के लिए मार्क्सवादी कुख्यात हैं। पूरी दुनिया में जहां भी वामपंथी शासन रहा है, वहां विरोधी विचार को खत्म करने के लिए खूब खून बहाया गया। भारत में भी ऐसा हुआ है। नक्सलवादी इसी विचारधारा की उपज हैं।
केरल में स्थानीय स्तर पर सीपीएम की अनौपचारिक रूप से अदालते लगती हैं। इन अदालतों में उन विरोधी विचारधाराओं के लोगों के खिलाफ हत्या के फरमान सुनाए जाते हैं जिनसे पार्टी को नुकसान की संभावना होती है। ऐसे में आरएसएस के साथ साथ दूसरे विरोधी दलों के भी कई कार्यकर्ताओं-नेताओं की हत्या की जा चुकी है। इसमें कांग्रेस और मुसलिम लीग के लोग भी शामिल हैं।