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तीन तलाक पर समाधान के बजाय समस्या बने मौलवी!

Arun Mishra
5 April 2017 6:24 AM GMT
तीन तलाक पर समाधान के बजाय समस्या बने मौलवी!
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धर्म-अधर्म को हथियार बनाकर विश्व के बड़े भू-भाग इस्लामी देशो में इस समय बेगुनाह बूढ़े, बच्चों, महिलाओं को अकारण बम विस्फोट करके मारने का काम दाढ़ी टोपी धारी मौलवी कर रहे हैं। धर्म के स्वरुप में मानवता फलती फूलती है। इंसानियत परवान चढ़ती है। ईश्वर के द्वारा धरती पर भेजे गये धर्म सन्देश को लाने वाले ईशदूत के धर्म में मानवता, करूणा, दया का भाव होता है। जो समाज में निर्बल लोगों को भी सम्मान पूर्वक ईश्वर प्रदत्त अधिकार से जीवन जीने का हक प्रदान करता है। धर्म न्याय और सत्य की रक्षा के लिए निर्बल को भी बलशाली बना देता है। धर्म मनुष्य को सदैव ईश्वर के होने का बोध कराकर व्यक्ति को अदृश्य ईश्वर के भय से सदमार्ग पर चलने को विवश करता है।

समाज में धर्म का लबादा ओढ़कर धर्म को आधार बनाकर लोग जब अपनी स्वार्थ पूर्ति एवं अपनी व्यक्तिवादी विचारधारा को जबरन धर्म का रूप देने लग जाते है तब धर्म धर्म नही रह जाता है। कालांतर में एक दिन अपनी स्वार्थ पूर्ति को चुनौती मिलने पर फिर धार्मिक उन्मादी समूह धर्म की मनमानी व्याख्याए करने लग जाते हैं। धर्म की अंधी भक्ति से ग्रसित लोग फिर बेगुनाहों को मारना भी धर्म समझने लग जाते हैं। दुर्भाग्य से आज इस्लाम धर्म को मानने वाले मुल्ला मोलवियों में एक बड़ा वर्ग धर्म के नाम पर दुनिया भर में अपनी मनमानी कर रहा है। पैगम्बर यानी ईश्वर के सन्देश वाहक के धर्म पर आज स्वार्थी चंदा खोर आदमखोर मोलवियों की विचारधारा ने कब्जा कर लिया है। ये मोलवी धर्म ही खाते है धर्म ही बेचते हैं। इनकी शक्ल सूरत लिबास सभी इनके धार्मिक होने का आभास देते हैं। ये अपने लिबास और चेहरे मोहरे से धार्मिक होने का धोखा देते हैं, जबकि ये वास्तव में बाहर से कुछ और अन्दर से कुछ और होते हैंI इनमे से अधिकांतशतया गरीब घरो में पैदा होकर जकात के खेराती मदरसों में जल्दी का इस्लाम टी ट्वेंटी क्रिकेट मेच फोर्मेट की तरह सीखकर आते ही धर्म के नाम पर कमाने खाने में लग जाते हैं।

जकात खेरात खाने वालो की अंतरआत्मा में इंसानी जमीर, दूसरों के दुःख को समझकर द्रवित होने की भावना कतई नही होती है। आई एस आई एस के अलजवाहिरी, तालीबानी आतंकियों को अपना आदर्श पुरुष मानने वाले मोलवियों में दया, करूणा, इंसानी फर्ज, इंसानियत का दिल सीने में रखने वाले गेरत मंद इंसान के अलावा वह सब कुछ है जो ऐशो आराम की जिन्दगी जीने के लिए एक पथ भृष्ट स्वार्थी व्यक्ति के पास होता है। पैगम्बर अवतार के चार काम होते है जो इस प्रकार हैं।

प्रथम पैगम्बर ईश्वर के बन्दों को ईश्वर की तरफ बुलाता है, दूसरा काम जो आकाशवाणी ईश्वरीय सन्देश तरफ से पैगम्बर अवतार को मिलते है उन्हें पैगम्बर आम आदमियों तक पहुंचाया करते हैं। तीसरा मानव के शरीर में रहने वाली आत्मा को पैगम्बर बुरे गुणों से पाक साफ़ कर देता है। अंतिम काम मनुष्यों को अक्ल मंदी फायदे की बातों को बताता है और वह सब बताता है जो इंसान नही जानता है यानी लोक परलोक की बातें उनके रहस्य अवतार बताता है। ये वह सदकर्म है जिन्हें मानने वाला मनुष्य देवता बन जाता है। पैगम्बर अवतार के जाने के बाद उनके अनुयायी इन ऊपर लिखे कर्मो को ही करते रहे है, जब तक यह संसार रहेगा तब तक विश्व में तमाम धर्मो के संत, महापुरुष, भले आदमी, सूफी, संत अवतारों के पवित्र कर्मो को आम आदमियों में फैलाने का कार्य करते रहेंगे। दुनिया में रहने वाले दुनियादार संसारिक मनुष्यों को संसार के भोगी विलासी जीवन से निकालकर उन्हें परमात्मा से जोड़ने का कार्य करना धर्म है। संसार में रहने वालो प्रत्येक मनुष्य के शरीर को भी बीमारियां लगती है और आत्मा को भी बीमारियां लगती है। दुनिया के डॉक्टर, वैद, हकीम शरीर की बिमारियों का इलाज करते है और आत्मा की बीमारियों का इलाज वही करता ही जो परमात्मा का दिया हुआ आत्मिक ज्ञान रखता है। लालच, पराई स्त्री को देखना, काम वासना, अपने को दुसरो से बड़ा ज्ञानी समझना, सामने आने वाले मनुष्य को तुच्छ समझना, सारी दुनिया में मेरे ज्ञान, मेरे घर, मेरे राजनेतिक पद का गुण गान होवे। मुझे जमाना जानता है, मेरी समाज सोसायटी में अलग हैसियत है। ये सब आत्मा को लगने वाली बीमारियां हैं। अब देखिये इस्लामी जगत के अधिकांश मुल्ले आज इन सभी आत्मा की बिमारियों से ग्रसित दिखाई पड़ते है।

तालीबानी, आई एस आई एस के कट्टर मुल्ले विश्व भर में दुनिया के मुसलमानों के साथ दूसरे धर्म के लोगों को बम बन्दूक के बल पर धमका रहे हैं। हमारी मानो वरना हम तुम्हे मार देंगे। एक बेगुनाह व्यक्ति को पिंजरे में डालकर जिन्दा जलाने पर ख़ुशी मनाने वालो की पाशविक संस्कृति विश्व के शांति प्रिय लोगो से कही ज्यादा स्वयं मुस्लिमो के लिए भयानक व खतरनाक है। अब तो इस प्रकार के मुल्ले पैगम्बर के ज्ञान पर भी सवाल खड़े कर रहे है, आम आदमी की हेसियत इनकी नजर में कुछ भी बाकी नही है। विश्व में सदैव देवीय शक्तियों का राक्षसी शक्तियों से संघर्ष चलता रहा है। दुर्भाग्य से पैगम्बर साहब के इस्लाम धर्म पर अरब के ही एक दौलत और हुकूमत के भूखे भेडिये मुआविया ने ताकत के बल पर कब्जा कर लिया था। पैगम्बर व उनके महान अनुयायी अली साहब के अनुसार विश्व में इस्लाम वहां दिखाई देता है जहाँ प्रत्येक दुखी पीड़ित मानव की परेशानी का हल कर दिया जाता है, परन्तु दौलत और हुकूमत के लालची लोग हर समय संसार में रहते है। ऐसे ही लोगो ने यजीद बनकर दाढ़ी टोपीधारी रंग रूप की आड़ में हजारो लोगो को कत्ल करके अपनी खानदानी बादशाहत की नीव रखी थी। अपनी खानदानी बादशाहत के रास्ते में रोड़ा बनने पर पैगम्बर के अरब देश में यजीद नामक राक्षस ने पैगम्बर के एक मात्र नवासे बच्चों, बूढ़े, जवान जो तीन दिन से भूखे-प्यासे थे उनके भूखे प्यासे गलो पर छुरिया चला दी थी। तब से लेकर आज तक ईस्लाम धर्म में मोलवियों का एक बड़ा तबका लालची व दौलत और हुकूमत का पुजारी बनकर वह सब क्रिया कर रहा है जिससे इस्लाम धर्म इंसानियत की हत्या विश्व में रोज हो रही है। अच्छे आचरण वाले धार्मिक पुरुषो की पहचान बताने के लिए भी स्पष्ट सन्देश इस्लाम धर्म में मौजूद है।

अच्छे धार्मिक पुरुष मौलवियों के लिए कहा गया है कि वे धरती पर ईश्वर के सच्चे प्रतिनिधि होते है, जो संसार में ईश्वर द्वारा किये गये हराम व हलाल, जायज व नाजायज, नैतिक एवं अनेतिक कर्मो की ईश्वर के बन्दों को पहचान कराते हैं, ऐसे लोग अब बहुत थोड़े बचे हैं। अब ज्यादातर तालिबानी संस्कृति की सोच रखने वाले निर्दयी, अत्याचारी मोलवी ही टीवी की बहस में, नेतोओं के दरवाजे पर खड़े भिखारी, खेरात मांगने वाले ही दिखते हैं। इस्लाम धर्म के पैगम्बर के जमाने में उनके एक साथी मआज बिन जबल मस्जिद में नमाज पढाते थे। एक बार उनके पीछे एक मुसाफिर ने नमाज पढने की नीयत करके नमाज पढना शुरू कर दी। नमाज पढ़ाने के इमाम के रूप में मआज बिन जबल ने नमाज में बहुत लम्बा कुरआन का पाठ पढना शुरू कर दिया। नमाज में लम्बा समय लगता हुआ देखकर उस मुसाफिर ने बीच में ही अपनी नमाज तोड़ दी और उसने मुआज की पैगम्बर से शिकायत कर दी कि मुआज नमाज पढाने में बहुत समय लगाते हैं। इस पर पैगम्बर साहब सख्त गुस्से में आकर मुआज से नाराज होकर कहने लगे कि मुआज एसी लम्बी नमाज पढाने से तेरे कारण लोग धर्म से मुह मोड़ लेगे जिसका कारण तुम बनोगे। अब जब मुस्लिम धर्म की बेटियों का दुःख बनी तीन तलाक की जालिमाना हरकतें मुस्लिम बहनों की चीख पुकार में बदल रही है तब भी उनकी चीखे नही सुनने वाले हठधर्मी करने वाले तालिबानी मोलवियों को क्या कहना चाहिए।

कुरआन शरीफ अनुसार पति पत्नी के बीच निर्वाह नहीं होने पर एक तलाक कहने के बाद एक माह तक पत्नी पक्ष व पति पक्ष को मिलकर समझौता करना चाहिए। एक माह पूर्ण होने पर दो बार तलाक बोलकर दो माह तक पति व पत्नी पक्ष के लोगों को मिलकर समझौता करना चाहिए। तीन माह बीतने पर पूर्ण प्रयास करने के बाद अंतिम निर्णय के तोर पर तलाक दी जाती है। तलाक को पैगम्बर ने सबसे बुरा धरती पर होने वाला कर्म बताया है। जीवन में भक्ति का महत्त्व है फिर भी पैगम्बर साहब ने कहा है कि मेरे मानने वाले यदि किसी भी मसले पर विचार विमर्श करेंगे तो यह 70 वर्ष इबारत करने से ज्यादा पुण्य का काम होगा। अब कोई मोलवी हमें यह बताये कि भाई जो काम धरती पर सबसे बुरा तलाक है उसे बिना सोचे विचारे एक सांस में तीन तलाक कहना कहा का इस्लाम है। मुस्लिमों की बड़ी समस्या यह है कि उनके धार्मिक मोलवी कभी आपस में विचार विमर्श नही करते हैं। दुनिया के 40 से अधिक इस्लामी देशो में तीन तलाक एक बार में कहना बंद हो गया है। तीन तलाक से फायदा उठाने वाले हरामी मोलवियों का एक तबका और आज कल देश भर में मिलता है। यदि किसी पति ने क्रोधवश आवेश में आकर तीन तलाक अपनी पत्नी को दे दी तो फिर वह अनपढ़ धार्मिक मान्यता अनुसार फ़तवा मोलवी से पूछता है। तब मोलवी उसे उसकी पत्नी से शारीरिक सम्बन्ध बनाने को हराम और अल्लाह के क्रोध का कारण बताकर डराता है। पति अपनी पत्नी को छोड़ना नही चाहता है क्रोधवश लिए अपने निर्णय पर पश्चाताप करता है। इसका उपाय पूछने पर मोलवी कहता है कि अब तेरी पत्नी किसी अन्य से शादी करे फिर वह उसे तलाक दे दे तो उसके चार महीने बाद फिर तेरी पत्नी तुझसे से निकाह कर सकती है।

शादी के लिए दूसरा व्यक्ति कहाँ मिल सकता है? और वह निकाह होने के बाद तलाक क्यों देगा यह कहने स्वयं मोलवी जिसे हलाला मोलवी कहते है वह उस अनपढ़ की पत्नी से निकाह करके पैसे भी लेता है और उसकी पत्नी से शारीरिक सम्बन्ध भी बनाता है I हरामी हलाला मोलवी ने पैसे लेकर भी अनेक लड़कियों को तलाक नही दी इस प्रकार के अनेक किस्से भी सुनने को भी मिल जाते हैं। कुल मिलाकर हरामी मुल्लों की मनमानी से बचाने के लिय इस्लामी समाज को एक बड़ी मुहीम चलाने की आज बड़ी सख्त जरुरत है। हलाला मोलवियों के जुल्म से पीड़ित लडकीया अपना धर्मं त्यागने की धमकियां दे रही है। तीन तलाक के मसले से लड़ने वाली लड़कियों की आवाज सुनकर समाज को इसका समाधान निकालना चाहिए। लालची-मुल्लों ने ईस्लाम धर्म को तमाशा बना दिया है इससे रोज ही शर्मशार होना पड़ता है। यदि समाज तीन तलाक का समाधान नही करता है तो देश की अदालत मुस्लिम बेटियों की पुकार पर न्याय कर देगी, तब फिर धर्म की बदनामी होगी। तीन तलाक में हलाला मोलवियों को सब परकार के सुख मिलते है इसलिए वे इसके पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं।









मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान
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