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नियंत्रण-रेखा पर दो भारतीय जवानों के सिर काटने की दर्दनाक घटना ने सारे भारत का पारा गर्म कर दिया है। पाकिस्तान के खिलाफ तो भावना का ज्वार उमड़ ही रहा है, भारत सरकार से भी लोग पूछे रहे हैं कि तुम्हारा 56 इंच का सीना कहां दुबकाए बैठे हो?
सरकार, तेरी बोलती बंद क्यों है? विदेश मंत्रालय सिर्फ एक रस्मी बयान देकर छुट्टी कैसे पा गया है? पाकिस्तानी फौज कह रही है कि उसने किसी का सिर नहीं काटा। यह खबर ही झूठी है। कश्मीरी बगावत से अपनी जनता का ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार ने यह झूठी खबर फैलाई है।
अगर यह खबर सच्ची है तो भारत सरकार इसके प्रमाण दे। इस तरह का बयान कितना मूर्खतापूर्ण और दुस्साहसिक है, यह कहने की जरुरत नहीं। जिन दो फौजी जवानों के सिर काटे गए हैं और जिनके क्षत-विक्षत शव उनके घर ले जाए गए हैं, उनके परिजन का कहना है कि भारत सरकार में दम हो तो एक सिर के बदले वह 50 सिर काट कर लाए।
उनका इतना क्रोधित होना बिल्कुल स्वाभाविक है लेकिन भारत सरकार ऐसा करे, उसके पहले उसे पाकिस्तान के सेनापति और प्रधानमंत्री से सीधी बात करनी चाहिए थी लेकिन हमारी सरकार न तो सीधे बात करती है और न ही कोई सीधी कार्रवाई करती। हमारे फौजी कह रहे हैं कि यदि हमें निर्णय करने की आजादी हो तो हम दुश्मन के दांत खट्टे करके दिखाएं।
मोदी सरकार सिर्फ बयानबाजी करके अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ रही है। वह जिस 'सर्जिकल स्ट्राइक' का ढिंढौरा पीट रही है, वह शुद्ध 'फर्जीकल स्ट्राइक' सिद्ध हो रही है। वरना क्या वजह है कि उसके बाद पिछले चार माह में नियंत्रण-रेखा के उस पार आतंकियों के जो 35 शिविर थे, उनकी संख्या बढ़कर 55 हो गई है? पिछले चार माह में कम से कम 60 बार घुसपैठ की कोशिश हो चुकी है।
पाकिस्तानी फौज पर सर्जिकल स्ट्राइक का जरा भी असर हुआ होता तो क्या हमारे सैन्य-शिविरों पर सीधे हमले होते? हमारी सरकार न तो कश्मीर के अंदर कोई प्रभावी भूमिका अदा कर पा रही है ओर न ही उसके बाहर! जिस दिन हमारे दो सैनिकों के सिर काटे गए, उसी दिन कश्मीर में हमारे पांच पुलिस जवानों और दो बैंक कर्मचारियों की हत्या कर दी गई। यदि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को कुछ छूट मिले तो शायद वे एक के बदले कई सिर लाकर दिखाएं, जैसा कि वे सांसद के तौर पर कहा करती थीं।