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भाजपा पार्षद प्रकाश गुप्ता के ठगी गिरोह में शामिल है हनुमान मीणा, मुकुंद बिहारी पुलिस अधिकारी!

Arun Mishra
23 April 2017 6:26 AM GMT
भाजपा पार्षद प्रकाश गुप्ता के ठगी गिरोह में शामिल है हनुमान मीणा, मुकुंद बिहारी पुलिस अधिकारी!
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सत्ता का नशा अपने आप में एक अनोखा घमंड पैदा कर देता है। यह घमंड जब पुलिस की वर्दी से मिल जाता है तो समाज के लोगों को खून के आंसू रुला देता है। लालच का अंधा चश्मा आँखों पर चढ़ जाने के बाद मानव दानव बन जाता है। राज्य की भाजपा सरकार में भी इस समय सभी मंत्री विधायक रामनामी लूट के धंधे में लग कर बम्पर सेल के माध्यम से अपना धर्म ईमान जमीर सब बेच रहे हैं। राज्य की सरकार की शीर्ष पर बैठे नेताओं का भृष्टाचार भी अब तो उन्हें राजनीती के हमाम में पूर्णतया नंगा कर दे रहा है। राज्य के गृहमंत्री इमानदारी का ढोंग करते है और इनके कार्यालय में बैठ कर दिन दहाड़े इनके अधीनस्थ मुकुंद बिहारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जमकर भृष्टाचार करते हैं। कौन किसकी आँखों में धूल झोंक रहा है शायद गृहमंत्री जनता की आँखों में और बडबोले गृहमंत्री की आँखों में बाल मुकुंद पुलिसिया धूल झोंक रहा है।

सत्ता के शिखर पर बैठे वरिष्ठ मंत्री भी अब तो भृष्टाचार के हमाम में नंगे हो रहे हैं। भृष्ट नेताओं के प्रभाव में आकर भाजपा के छुटभैया नेता भी अब रामनामी भृष्टाचार करके अपने फर्जी राष्ट्रवाद के अहंकार से ग्रसित अपने कुल को कलंकित कर रहे हैं। भाजपाइयों के भृष्ट कुनबे में जयपुर नगर निगम के वार्ड -79 के भाजपा पार्षद प्रकाश गुप्ता के भृष्ट कारनामे सुनकर शायद प्रदेश भाजपा को बुरा लगे। परन्तु ये बेचारे रामनामी चादर ओढ़कर सत्ता के दोहन से अपनी गरीबी दूर करने के लिए दिन रात लगे रहते हैं। जनता सेवा से पहले अपने घर भरने के लिए ही इन्होने क्षेत्रीय विधायक मोहन लाल गुप्ता से पार्षद का टिकिट प्राप्त किया था। यहाँ गोरतलब होगा की जयपुर नगर निगम की सफाई कमेटी के अध्यक्ष होने के समय प्रकाश गुप्ता के द्वारा सरकारी सफाई के कार्यो में ठेकेदारों से कमीशन मांगने के टेप वायरल होकर अखबारों में छप चुके हैं।

इनकी कमीशन खोरी के कारण ही इनकी नगर निगम जयपुर की सफाई समिति के अध्यक्ष पद की कुर्सी चली गई थी। फिर भी इनकी धन लिप्सा की भूख शांत नही हुई है। अब ये सीधे ठगी के धंधे पर उतर पड़े हैं। इनका राजनीती में बने रहने का मतलब भी सीधा सा साफ़ है कि हम तो बनिए हैं, हमें तो सिर्फ पैसा चाहिए फिर चाहे पैसा ठगी से मिले या कमीशन से बस घर में पैसा आना चाहिए।

जयपुर शहर में इन दिनों नगर निगम के वार्ड संख्या 79 के वार्ड पार्षद प्रकाश गुप्ता की एक ठगी मण्डली चल रही है जो भवन क्रय करने के नाम पर सौदा केंसिल करके लोगों के लाखों रूपये ठगी से हड़पने का काम करती है। इस गिरोह में शामिल लोगों के नाम सुनकर शायद आपको घोर आश्चर्य हो सकता है। प्रकाश गुप्ता की ठग मण्डली में नारायण संगतानी मोनू चौधरी के साथ पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर पूर्व, हनुमान प्रसाद मीणा, गृहमंत्री के कार्यालय में तैनात पुलिस अधिकारी मुकुंद बिहारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जैसे नाम भी शामिल है। सर्वप्रथम प्रकाश गुप्ता ने अपने एक गुर्गे नारायण संगतानी को सीकर हाउस में रहने वाले हरिओम गुप्ता के पास भेजा यह कहकर कि हरिमोहन गुप्ता का प्लाट A-38, सीकर हाउस को संगतानी खरीदना चाहता है। संगतानी ने हरिमोहन से कहा की आपके इस प्लाट का केस जो कोर्ट में चल रहा है उसे प्रकाश गुप्ता पार्षद के प्रभाव से हम निपटा लेंगे। इस पर हरिमोहन ने इस प्लाट को बेचने के पेटे पचास लाख रूपये चेक से लेना स्वीकार करके प्लाट बेचने का मौखिक इकरार कर लिया। स्वीकार की गई रकम की राशि की एक छोटी सी स्लिप नारायण संगतानी को दे दी।

कुछ समय पश्चात नारायण संगतानी ने प्लाट न. A-38, सीकर हाउस को लेने का इरादा बदल कर अपनी दी गई राशि वापस पांच गुना के रूपये में मांगने का दबाव हरिमोहन गुप्ता पर बनाना शुरू कर दिया। नारायण संगतानी की नाजायज रुपयों की मांग करने पर प्रकाश गुप्ता वार्ड पार्षद ने हरिमोहन गुप्ता और नारायण संगतानी के इस विवाद का एक करोड़ अड़तीस लाख रूपये में सुलटारा करवा दिया। तय समझौते के अनुसार हरिमोहन गुप्ता ने 78 लाख रु. नगद एवं 60 लाख रूपये के तीन चेक 50 लाख व दो चेक पांच पांच लाख रुपयों के प्रकाश गुप्ता की उपस्थिति में नारायण संगतानी को दे दिए। संगतानी को पैसे देते वक्त पार्षद प्रकाश गुप्ता ने हरिमोहन गुप्ता को आश्वस्त किया था कि ज्योही चेक की राशी मिल जाएगी तब वह इस विवाद के समाप्त होने की लिखित 100 रु. के स्टाम्प पर रूपये प्राप्त करने की रसीद वह लिखवा देगा। कागज़ पर रूपये 78 लाख व 60 लाख के चेक प्राप्त करने की रसीद प्रकाश गुप्ता ने अपने हाथ से लिकखर दे दी।

यहीं से फिर इस ठग मण्डली ने हरी मोहन के द्वारा दिए 78 लाख नगद रुपयों का खाने का प्लान बना लिया। एक षडयंत्र के तहत फिर नारायण संगतानी ने एक झूठी रिपोर्ट स. 248/2015 शहर के थाना शास्त्री नगर में हरिमोहन के विरुद्ध दर्ज करा दी। रिपोर्ट न. 248/15 की जांच में दो बार जांच करके स्थानीय पुलिस ने एफ आर मामले को सिविल नेचर मानकर लगा दी। इसके उपरान्त इस फ़ाइल को पुन: खुलवाकर राजस्थान के कूप मंडूक गृहमंत्री के कार्यालय में तैनात मुकुंद बिहारी से पुन: जांच करने के आदेश कराके फ़ाइल जांच हेतू भृष्ट हनुमान मीणा अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर पूर्व जांच हेतु दे दी। इस फाईल को पुन: खुलवाकर जांच कराने में ठगों के सरदार प्रकाश गुप्ता ने अपने राजनैतिक प्रभाव के साथ पैसो का लेनदेन भी किया है। यहाँ पर बताना उचित होगा कि हनुमान प्रसाद मीणा व मुकुंद बिहारी दोनों एक ही रेंक के भृष्ट पुलिस अधिकारी है I इस मुकदमे की जांच में मुकुंद बिहारी पूर्णतया भृष्ट आचरण करने में लिप्त है इसका सबूत भी हमने अपनी आँखों से देखा है। हमारे साथ पीड़ित हरिमोहन गृहमंत्री कटारिया से मिला। कटारिया ने अनिल जैन को इस पर विचार विमर्श करके जांच अधिकारी को निर्देश देने की बात हमारे ज्ञापन पर लिखी भी। जब हम इस बारे में गृहमंत्री के कार्यालय में तैनात अनिल जैन से मिले तो उन्होंने इस फ़ाइल की जाँच में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने से साफ़ मना कर दिया ।

अनिल जैन ने इस जांच में मुकुंद बिहारी का सीधा निजी मामला बताकर पल्ला झाड दिया। तब हम मुकुंद बिहारी से मिले जो गृहमंत्री के आदेशों के बाद भी कुछ भी सुनने को तैयार नही थे। उल्टा भृष्ट मुकुंद बिहारी ने इसकी जाँच करने वाले हनुमान प्रसाद मीणा को हमारे सामने हमारे द्वारा पेश किये गये साक्ष्यो को जांच पत्रावली में शामिल नही करने की बाते तक कही और हमारे ऊपर पैसे देने का दबाव बनाया। यहाँ गोरतलब होगा कि नारायण संगतानी कुछ वर्षो पूर्व जयपुर से लड़कियों, तवायफों, वैश्याओ को दुबई के शेखो के वयभिचारी मनोरंजन करने के लिए दुबई ले जाने का काम करता था। शायद इस पत्रावली की जांच में रुपयों के साथ रूप योवन की सोदागर बनी लड़कियों के जिस्म की खूबसूरती की महक का भी आनंद भृष्ट पुलिसिये ले रहे हो तो कोई आश्चर्य नही होना चाहिए। राज्य के पुलिस बेड़े में हनुमान मीणा के ही सजातिय अजमेर जिले के तत्कालीन एस. पी. रहे राजेश मीणा के भृष्टाचार के बाद यह राज्य में माना जाने लगा कि पुलिस में एस सी, एस टी के अफसर सर्वाधिक भृष्टाचार करते है।

राज्य की एसी बी के आकड़े भी यही प्रमाणित करते है। कोटा जिले के एस.पी. रहे पूर्व कप्तान साहब भी तो रुपयोवन के मनमोहक जाल में फंसकर ही तो रूपसी नवयोवना के आदेशो पर जिला पुलिस चलाते हुए राज्य की ऐ.सी.बी. के द्वारा पकडे पकडे गये थे। इस केस में भी जांच अधिकारी मनमानी करके पीड़ित हरिमोहन जो इस ठग गिरोह की लूट का शिकार बना है उल्टा उसे ही धमका रहे है। हरिमोहन के साथ हमारा दिया गया ज्ञापन भी गृहमंत्री के आदेशो के बाद उनके कार्यालय से भृष्ट मुकुंद बिहारी बाहर नही आने दे रहा है। यह सब साबित करता है की यहाँ भी अजमेर, कोटा जिले का भृष्टाचार दोहराया जा रहा है । नगद पैसे हडपने के लिए क्षेत्रीय विधायक मोहन लाल गुप्ता को भी इसमें प्रकाश गुप्ता द्वारा बदनाम किया जा रहा है। इस केस के भृष्ट जांच अधिकारी की जांच करने के लिए हमारे द्वारा राज्य की मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री कार्यालय को भी लिखा गया है।

बड़ा सवाल यह है कि पुलिस के शीर्ष अधिकारी एवं राज्य की मुख्यमंत्री पुलिस व पार्षद की मिलीभगत से चलने वाले इस ठगी के गिरोह को तोड़कर पीड़ित हरिमोहन को न्याय दिलाते है या नही ?

मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान
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