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चुनावों में पेसे लेकर फतवे देने वाले कठमुल्ले मुस्लिमों की हत्या पर मौन क्यों?

Special Coverage News
4 July 2017 6:03 AM GMT
चुनावों में पेसे लेकर फतवे देने वाले कठमुल्ले मुस्लिमों की हत्या पर मौन क्यों?
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सांकेतिक तस्वीर
र्म के नाम पर खाने-कमाने वाले जाहिल मोलवियों का देश दुनिया में एक ही धर्म है वह है जैसे भी हो हमारे ऐशो आराम में कोई भी कमी ना रहे..

पूरी दुनिया के साथ आज इस्लाम धर्म और इसके मानने वाले मुसलमानों पर धर्म के नाम पर कठमुल्ले बने बेईमान जाहिल मोलवियों का खतरा मंडरा रहा है। धर्म के नाम पर खाने-कमाने वाले जाहिल मोलवियों का देश दुनिया में एक ही धर्म है वह है जैसे भी हो हमारे ऐशो आराम में कोई भी कमी ना रहे। हमारी नालायक औलाद हमारे घरों में बैठकर खूब हराम की दौलत जो हम बेईमान मुमुल्लों ने धर्म के नाम पर मुसलमानों को डराकर एकत्रित करते हैं। उसके बल पर हमारे घर वाले खूब ऐश मोज करें, फिर हम बेशर्मी से धर्म के ठेकेदार बने रहे है।


इन मुल्लों द्वारा इतना हराम का इनके पेट में चला गया है कि अब इन मुल्लो में दया, धर्म , नैतिकता, इंसानियत लेश मात्र भी नही बची है। सारा विश्व देख रहा है दुनिया में इस्लाम धर्म के नाम पर आतंकवाद का निर्यात करने में सऊदी अरब देश सबसे आगे है। देश में नरेन्द्र मोदी की सरकार बनने के बाद अब तक 70 से ज्यादा बेगुनाह मुसलमानों की जान भगवा गुंडों ने ले ली है। मोदी के शासन का खौफनाक सच यह भी है कि आज देश में दलित वर्ग और मुस्लिम वर्ग के लोगों की जान की कीमत एक जानवर गाय के बछड़े से भी सस्ती हो गयी है।


सम्पूर्ण देश में बस ट्रेन, बाजार की गलियों, मोहल्लो में अब भगवा आतंकियों की संघी भीड़ को किसी भी दलित, मुस्लिम की जान लेने का हक मोदी के शासन में मिल गया है। भगवा गुंडों की भीड़ हर किसी को भी यह कहकर मार रही है कि इसने बीफ खाया है। यहाँ पर यह बात गौरतलब होगी की देश में हिन्दू-मुस्लिम दोनों साम्प्रदायिक ताकतों में गजब गठजोड़ बना हुआ है। यह गठजोड़ हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य के विधान सभा चुनावों में खुलकर दिखने लगा था। देश के धार्मिक कठमुल्लों के द्वारा पैसे खाकर अपना ईमान बेचने के बाद सपा, बसपा के पक्ष में मुस्लिम समुदाय को वोट देने के फतवे धडाधड यूपी के चुनावों में जारी किये गये। कुछ मौलवियों ने नरेन्द्र मोदी की भाजपा को वोट देने के फतवे भी जारी किये।


आधुनिक शिक्षा व्यक्ति के मस्तिष्क को रोशन करके उसे प्रकाशमान बना देती है। एक शिक्षित व्यक्ति को देश दुनिया में क्या घटित हो रहा है उसका पता समाचार के जरिये मिल जाता है। इस कारण वह व्यक्ति देश दुनिया की हर खबरों से अपडेट बनकर दूर अन्देशी का ज्ञानशील बन जाता है। मगर दुर्भाग्य से धर्म की शिक्षा को ही सर्व ज्ञान मानकर धर्म बेचकर अपना पेट भरने वाले मुल्लो को हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, उसका इन्हें आभास तक नही होता है।


दुनिया में निरंतर ज्ञान की खोज करने से साइंस का निरंतर विकास हो रहा है। दुनिया आज चाँद तक जाने के बाद मंगल गृह पर जाने की तैयारी कर रही है मगर मुस्लिम कठमुल्ले आज भी मुगलिया सल्तनत के चश्मों चिराग बनकर धडाधड फतवे जारी करने में लगकर अपनी अज्ञानता का परिचय दे रहे हैं। इन कठमुल्लों के उलजलूल फतवों की हैसियत के साथ इन रोटी राम मुल्लो की कद्र भी स्वन्त्रत भारत में कितनी रह गयी है उसका इन्हें अहसास तक नही है। दाढ़ी टोपी और उम्दा लिबास को ही ये पथभृष्ट मुल्ले धर्म मान बैठे है जबकि पैगम्बर साहब ने अपने जीवन के 40 वर्षो तक अरब के लोगो को अपने चरित्र की उत्तम शिक्षा से परिचित कराया था।


पैगम्बर साहब ने कहा था कि मोमिन वो होता है जो अपने जमाने की सब खबरों को जानता हो। सभी मुल्लों में यूपी चुनाव में मुस्लिम कौम को बेचने की होड़ लगी थी।धडाधड टीवी पर बैठकर बहादुर शाह जफ़र के मुगलियाँ शासन की रंगीनियों में खोये ये मुल्ले टीवी पर बेठकर पैसे खाकर अपनी पसंदीदा राजनैतिक दलों को जिता रहे थे। आज तक इन मुल्लों को यह क्यों समझ नही आ रहा है कि पूरी दुनिया में आज इस्लाम धर्म पर कोई सबसे बड़ी जालिमाना कार्यवाही कर रहा है तो वह आज का कठमुल्ला बना वहाबियत का पेरोकार मौलवी और दरगाहो पर बैठकर धर्म का व्यापार करने वाले खुदगर्ज आलिमो का समूह है।


विश्व के राजनैतिक पटल पर सऊदी अरब का वहाबी राजपरिवार, अमरीका और इजराइल की गोद में बैठकर शिया, सुन्नी, वहाबी आई एस आई एस के आतंकीयों के कत्लेआम को ही धर्म मान बैठा है। इसी प्रकार भारत में भी भूखे-नंगे मुल्ले दिन रात पथभृष्ट होकर अपने ईमान, जमीर और अपने धर्म, के साथ अपनी कोम को बेचने के लिए कभी सपा के मुलायम परिवार के यहाँ बिन बुलाये दाढ़ी टोपी का प्रदर्शन करने पहुँच जाते हैं। कठमुल्लों के ही साथी जमीयत उलेमाए हिन्द के बेनर पर कांग्रेस के नेताओं की जूतियाँ अपने माथे की टोपियों से साफ़ करने पहुँच जाते है। वैसे हाल ही में जमीयत के एक बड़े नेता नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री से भी मिलकर आ चुके है। जब से ये मुल्ला जी मोदी से मिले है तब से प्रति सप्ताह एक दो बेकसूर गरीब मुस्लिमो का खून भाजपा के भगवा आतंकी कर रहे है।


राजस्थान, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर देश की राजधानी दिल्ली तक हर कही देश की मिटटी मुस्लिमो के बेगुनाह खून से लाल हो रही है। क्या मजाल कोई अब्दुल्ला बुखारी, कल्बे जवाद, कल्बे सादिक, अरशद मदनी, फिरंगी महली, देव बंदी उलेमा, मोलान ईलियास किसीने भी बेगुनाहो के खून पर कोई ऊँगली भी उठाकर मोदी सरकार के विरोध में कभी भी कोई बयान दिया हो। देश के सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिमो की आर्थिक शैक्षणिक स्थिति हरिजन दलित भाइयों से भी बुरी हो गई है। इस रिपोर्ट पर मुस्लिम नेता कठमुल्ले स्वयं भी अपने आचरण से मोहर लगाकर इसे सच साबित कर रहे है। दलित अत्याचार के विरोध में देश के दलितों ने राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर विशाल विरोध प्रदर्शन करके अपने समाज की अन्याय के प्रति अपनी भावनाओं का प्रदर्शन कर दिया। लेकिन लगभग 70 बेगुनाह मुस्लिमो की ह्त्या पर कांग्रेस के बहरूपिया सलमान खुर्शीद कर मोन टूटता नही दिखाई दे रहा है।


अब्दुल्ला बुखारी के दामाद को सपा चुनावों में एमएलए का टिकिट नही देती है तो फ़ौरन इस्लाम खतरे में पड गया इसका ऐलान अब्दुल्ला बुखारी कर देता है। सडकों पर अपने जहर बुझे सियासी भाषणों से मुलायम सिंह की सपा का बेड़ा गरक करने के लिए बेईमान बुखारी का ईमान और इस्लाम जाग उठता है। अखलाख हुसैन, पह्लूं खां, नजीब, मोहसिन, मिन्हाज अंसारी, नईम और बल्लभगढ़ का जुनेद और मरने वालों के नाम लिखने में कलम काँप रही है..... ये भी किसी माँ के बेटे, किसी बेटी के बाप, किसी बहन के भाई किसी की बेटी के सुहाग थे जो बेगुनाह होने के बाद मारे गये।


जब समाज पर मुसीबत आती है तो कोम के गम में तीतर, मुर्गा, कबाब खाने वाले सियासी रोजो की महफ़िलो की खूबसूरती बढाने वाले दाढ़ी टोपीधारी मुल्ले और गरीब मुस्लिम कोम के वोटों के बल पर विधायक सांसद बनने वाले सभी लोगो को न जाने क्यों सांप सूंघ गया है। कुछ नही करते तो कम से कम दिल्ली के जंतर मंतर पर दलितों के साथ खड़े होकर भगवा सरकार के जालिमो के जुल्म पर एक विरोध का निशान तो लगा देते। कहा गई तुम्हारी गेरत तुम्हारा जमीर मर चुका है। मरे हुए जमीर के लोगों को जिन्दा तडपते लोगों की पुकार सुनाई नही देती है क्योकि अन्दर खाने मोदी की भाजपा सरकार ने इन बईमान मौलवियों को चुप रहने की कीमत चुका रखी है।


एक मेवात का मौलवी इलियासी आज भी भाजपा का प्रवक्ता बनकर टी.वी. की बहस में इस दौर के रावण बने सत्ताधारी दल की खुली हिमायत करता नजर आता है। इस बेशर्म के हाथ से टी.वी. की बहस में भी माला नही छूटती है। 'माला फिरत जग मुआ पंडित बना ना कोए. ढाई अक्षर प्रेम का पढे सो पंडित होए' कबीर दास के इस दोहे के मुताबिक़ यदि जरा सा भी इन राजनैतिक मोलवियों के अन्दर अपने समाज के प्रति प्रेम होता तो शायद अब तक इनकी नींद उड़ जानी चाहिए थी।


मगर एक कहावत और है दुनिया में रोटी खाओ घी शक्कर से दुनिया को ठगो अपने मक्कर से' शायद ये इन मौलवियों के लिए ठीक बैठती है। दुनिया के लोगों को आज समझना चाहिए कि यह भृष्ट मोलवी जो अपने समाज के सगे नही होते तो संसार के लोगो के लिए ये कब भले बनेंगे। भक्ति का नाम धर्म नहीं है दीन दुखियों के सेवा का नाम धर्म है अन्याय का प्रतिकार करने का नाम धर्म है। मुस्लिम कौम के जागरूक पत्रकारों के साथ शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने जुर्म के खिलाफ राजधानी के जंतर मंतर से आवास उठाई है उसको हम सभी सलाम करते है।

मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान



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