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युनुस खान का सियासी मोहरा था आनंद पाल, जब तक चाहा खेला फिर तोड़ डाला!

Special Coverage News
30 Jun 2017 6:00 AM GMT
युनुस खान का सियासी मोहरा था आनंद पाल, जब तक चाहा खेला फिर तोड़ डाला!
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समय बदल गया लोकतंत्र के रूप में स्वतंत्र भारत के उदय होने के साथ ही सत्ता पर कब्जा करने के लिए फिर से तिकड़मी नेताओं ने राजनीती की नई बिसात बिछाकर देश में छल कपट का खेल शुरू कर दिया..

हमारे देश में राजाओं के शासन के समय भी राज परिवार के महलों की जनाने निवास से लेकर बादशाहों के हरम राजनीती की कुटिल चालो के केंद्र होते थे। राजाओं के शासन में भी राज्य सत्ता को हथियाने के लिए घात प्रतिघात छल कपट के खेल खेले जाते थे। शक्ति के इस खेल में हारने वाले के मुकद्दर में फिर उम्र भर केद या फिर प्राणों की बलि आती थी। इतिहास के पन्नो में इस प्रकार के हजारो किस्से कहानियाँ दर्ज है। मर्यादा पुरुष भगवान राम को मिले वनवास का कारण भी एक राजनेतिक षड्यंत्र था, जिसको राजा दशरथ की पत्नी ने ही रचा था। समय बदल गया लोकतंत्र के रूप में स्वतंत्र भारत के उदय होने के साथ ही सत्ता पर कब्जा करने के लिए फिर से तिकड़मी नेताओं ने राजनीती की नई बिसात बिछाकर देश में छल कपट का खेल शुरू कर दिया। फर्क अब इतना है की राज्य सत्ता को प्राप्त करने के लिए अब छल कपट करने वाले चेहरे और कथानक बदल गये हैं।

राजनीती के आज के इस दोर में धार्मिक उन्माद भरना, अपराधियों का जातीय करण करके उनको राजनेतिक संरक्षण प्रदान करना आज के भारत के नेताओं का प्रिय शगल रहा है। देश में स्वस्थ राजनैतिक मूल्यों के आधार पर आज राजनीती करने वाले नेता कम ही बचे हैं। राजनीती के शिखर पर चढ़ने की जल्दी के कारण राजनीती का माफिया करण हो गया है। देश में बिहार राज्य के धनबाद जिले से सर्वप्रथम कोयला माफिया के रूप में बाहुबली नेताओं का राजनीती में प्रादुर्भाव हुआ था जो फिर सम्पूर्ण देश में फेल गया। देश के उत्तर प्रदेश, बिहार सहित अनेक राज्यों में बाहुबली अपराधियों की सक्रिय राजनीती में गहरी भागीदारी देखी जाती है। पहले नेता अपराधियों का इस्तेमाल करके चुनाव जीतते थे अब अपराधी स्वयं बाहुबल, धनबल से चुनाव जीतकर सांसद विधायक बन रहे हैं। राजनेताओ के द्वारा भाष्मासुर अपराधी पैदा करने के रीति रिवाज राजस्थान प्रदेश में कम ही सुने जाते थे परन्तु हाल के वर्षो में दूसरे राज्यों की अपेक्षाकृत शांत माने जाने वाले राजस्थान राज्य में भी नेताओ ने जातीय अपराधियों को तैयार करना शुरू कर दिया है।

राजस्थान राज्य में जाट जाति मूल रूप से खेती करने वाली जाति है और राजपूत समाज राज्य का शासक और सामंत रहा है। सामंत के रूप में राजपूत जाती के दबंगों की राठोडी का शिकार जाट जाति बनती रही है। देश की आजादी के पश्चात जाट जाति मूल रूप से कांग्रेस पार्टी की समर्थक बन गयी। वहीं, राजपूत जाति अपनी जागीरदारी छिनने के कारण कांग्रेस पार्टी की घोर विरोधी बन गयी। राजस्थान के शेखावाटी, मारवाड़ अंचल में जाट राजनीती कांग्रेस पार्टी की सरकारों का साथ मिलने के कारण खूब परवान चढ़ी। समूचे शेखावाटी, मारवाड़ क्षेत्र के जिलों में जाट जाति के विधायक सांसद कांग्रेस पार्टी के टिकिट पर चुनाव जीतते रहे है। भाजपा की सरकार के वर्तमान मंत्री युनुस खां ने कांग्रेस पार्टी की सियासी काट के रूप में राजपूत, मुस्लिम, बनिया, ब्राह्मण जाती का एक नया समीकरण भाजपा को विजय बनाने के लिए बनाया। यहाँ गोरतलब होगा की यूनुस खां के अपने विधान सभा क्षेत्र डीडवाना में मुस्लिम, राजपूत, जाट जाति के तीन जातीय समूह है। इनमें दो जातीय वर्ग को जोड़कर यूनुस खां विधायक बनते रहे है। यूनुस खां की विधान सभा में रूपा राम डूडी यूनुस खां के विरोधी जाट जाति के दबंग नेता रहे है। इनके समय डीडवाना विधानसभा क्षेत्र में जाट जाति के अपराधियों का क्षेत्र में बोलबाला था।

जीवन राम गोदारा के अपराधिक जीवन को कांग्रेस के जाट नेताओ का खुला संरक्षण मिला हुआ था। आनंद पाल के बल पर यूनुस खां क्षेत्र में जाटो की दबंगई को समाप्त करके समुचे नागौर, चूरू, झुंझुनू जिलों में राजपूत, मुस्लिम, बनिए, ब्राह्मण का गठजोड़ बनाकर इन जिलो में भाजपा को स्थापित करना चाहते थे। इसी कड़ी के तहत आनंदपाल ने एक दिन सरेआम दिन दहाड़े जीवन गोदारा की ह्त्या कर दी। यूनुस खां के साथ नागौर, चुरू जिलों के भाजपा के राजपूत मंत्री खुलकर फिर आनंद पाल को राजनैतिक संरक्षण देने लगे। अनेक मामलो में आनंद पाल की गुण्डागर्दी के बल पर मकराना की मार्बल खदानों पर कब्जे करने से लेकर जमीनों पर कब्जे करने के मामलो में फिर युनुस खां के परिवार के सदस्यों के नामो की धूम समूचे राजस्थान में सुनी जाने लगी। वर्ष 2013 के विधान सभा चुनावों में आनंद पाल ने खुलकर युनुस खां को चुनाव जिताने में मदद की।

आनंद पाल डीडवाना तहसील के मूल निवासी है इस कारण युनुस खां के परिवार की धाक राज्य सरकार से लेकर सम्पूर्ण प्रदेश में मानी जाने लगी। नागौर जिले में ही मूंडवा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हनुमान बेनीवाल राज्य की मुख्यमंत्री के धुर विरोधी माने जाते है। आनंद पाल के बहाने हनुमान बेनीवाल पर भी युनुस खां ख़ासा नियंत्रण रख पाने में सफल हो रहे थे। युनुस खां मंत्री के रूप में बीकानेर जेल में बंद आनंद पाल से निजी रूप से मिलने पहुंचे थे, इस पर राज्य की राजनीती में तीखी प्रतिक्रया हुई। जेल में बंद खूंखार अपराधी आनंद पाल की सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस बल की नफरी में कटोती युनुस खां के प्रभाव से ही की गई। इसका फायदा उठाकर एक दिन पेशी पर जाने के दौरान आनंद पाल पुलिस हिरासत से भाग गया। राज्य की राजनीती में फिर राजपूत जाति का संरक्षण आनंद पाल को मिलने लगा इसी प्रकार राजू ठेहट गिरोह के लोगो को गैर भाजपा दल के नेताओं का संरक्षण मिलने लगा।
बीकानेर जेल में बंद आनंद पाल की हत्या करने के लिए राजू ठेहट गिरोह ने असफल प्रयास किया जिसमे आनंद पाल का एक साथी मारा गया। अपनी फरारी के दौरान ही एक दिन पुलिस से मुठ-भेड होने पर नागौर जिला पुलिस के जवान खुभाना राम की ह्त्या करके आनंद पाल फिर पुलिस पकड़ से दूर हो गया। वर्ष 2015 सितम्बर 30 तारीख को पुलिस हिरासत से भागा आनंद पाल तब से मुठभेड़ में मरने तक भागता ही रहा। इसी बीच उसने अपने वकील के माध्यम से पुलिस के सामने सरेंडर होने की कोशिशे भी की। फरारी के दौरान अपने उपकारों के बदले आनंद पाल ने यूनुस खां से सरेंडर करवाने के लिए मदद मांगी। इसी दौरान आनंद पाल ने मोबाइल पर युनुस खां को देख लेने की धमकी दे डाली। दहशत में आये यूनुस खां ने राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा से मिलकर उन्हें अपनी दुविधा उन्हें बताई। यही से फिर आनंद पाल की हत्या की पटकथा यूनुस खां ने तैयार की। मुख्यमंत्री ने यूनुस की शिकायत पर आनंद पाल का एन काउंटर करने के लिए राज्य की पुलिस के एन काउंटर विशेषज्ञ एम. एन. दिनेश आई जी पुलिस को आनंद पाल को ठिकाने लगाने का उद्देश्य देकर राज्य की एस. ओ. जी. पुलिस में भेजा।
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री के पास जाकर आनंद पाल से डरे यूनुस खां खूब रोये थे। भाष्मासुर को पालने वाले यूनुस खां पर जब आनंद पाल भारी पड़ने लगा तब राज्य सत्ता के बल पर आनंद पाल को दिनांक 24.06.2017 की रात को पुलिस ने गोलीमार का ढेर कर दिया। भारत की राजनीती में भिन्डरावाला, दाउद इब्राहिम, छोटा राजन, अन्ना शुक्ला, फूलन देवी को पालने वाले भृष्ट नेताओ के अनेक किस्से हैं। नेता अपने स्वार्थो को साधने के लिए अपराधीयों को संरक्षण देकर उन्हें पालते पोसते है। एक दिन ये ही नेताओ के पालतू अपराधी जब भाष्मासुर बन जाते है तब राज्य शक्ति के सहारे इन्हें संरक्षण देने वाले ही इन्हें मोत के घाट उतार देते हैं। सवाल ये है की आनंद पाल तो अपने किये का फल भुगतकर अंजाम तक पहुँच गया लेकिन आनंद पाल को अपराधी बनाने वाले भृष्ट युनुस खां सरीखे नेताओ को उनके किये की सजा कब मिलेगी ? आज पूरे देश में अपराधियों का जातीय महिमा मंडन करके अपराधी की सम्पूर्ण जाति एक अपराधी को संत बनाने में लग जाती है यह कहाँ तक उचित है ?
राजस्थान राज्य में राजपूत जाति आनंद पाल को अपनी जातीय अस्मिता से जोड़कर जिस प्रकार व्यथित हो रही है क्या यह कश्मीर में मारे गये आतंकी बुरहान वानी का कश्मीर की जनता द्वारा किये गये महिमा मंडन के सामान नही है ? राज्य में जाट समाज का आनंद पाल की ह्त्या पर कई दिन तक डी.जे. बजाकर खुश होना राजस्थान में बढ़ते वर्ग संघर्ष की आहट नही है ? इस प्रकार की घटनाए देश और समाज को विघटन की ओर तेजी से ले जा रही है इसी का परिणाम है हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य में पांच ब्राहमणों को गाडी सहित जिन्दा जला देने की घटना है। देश की जनता को राजनीती से परे हटकर देश हित में इस पर विचार करना चाहिए।
भाजपा सरकार के गृहमंत्री चाहते थे कि आनंद पाल सरेंडर कर दे, लेकिन आनंद पाल के सरेंडर करने से युनुस खां के कई राज खुल सकते थे इस कारण युनुस खां की जिद पर सरेंडर करने को तैयार बैठे आनंद पाल को मार डाला गया। ये आरोप आनंद पाल के परिवार वाले लगा रहे हैं। फिलहाल आतंक का पर्याय बने आनंद पाल के खात्मे पर पुलिस और जनता दोनों में हर्ष की लहर है इससे भी ज्यादा मंत्री युनुस खां खुश है कि उनके राज अब कभी नही खुल पाएंगे?

मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान



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