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अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर कांग्रेस की होगी विजय!

Arun Mishra
11 April 2017 1:45 PM GMT
अशोक गहलोत के नेतृत्व में चुनाव लड़ने पर कांग्रेस की होगी विजय!
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राजस्थान की राजनीती में आज भाजपा व कांग्रेस पार्टी में नेता तो बहुत है परन्तु दोनों ही दलों में ऐसे नेताओ का आभाव है जिनको सम्पूर्ण प्रदेश की जनता नेता मानती है। भाजपा में आज वसंधरा राजे सिंधिया भाजपा की राजनेतिक मज़बूरी बन चुकी हैं। ठीक इसी प्रकार राज्य की कांग्रेस पार्टी में भी अशोक गहलोत का कोई तोड़ नही है। राज्य में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट कहने को युवा है उनमे उर्जा भी दिखाई पड़ती है परन्तु उनकी अनुभवहीनता व चाटु-कारिता की भीड़ से उनका हर वक्त घिरे रहना उनकी कमजोरी बन गई है।

राज्य की राजनीती में दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे अशोक गहलोत की लोकप्रियता आज भी राज्य में किसी भी कांग्रेसी नेता से कही अधिक है। गहलोत के द्वारा राज्य की राजनीती में अजेय माने जाने वाले भेरो सिंह शेखावत की सरकार को भी चुनाव में भारी बहुमत को हराया जा चुका है। अपनी सरकार में गहलोत अनेक जन कल्याणकारी योजना प्रदेश के गरीबो के हित में चला चुके है। गहलोत सरकार की नीतियों में हमेशा अंतिम पंक्ति में खड़े रहने वाले प्रदेश के दीन-हीन गरीब के कल्याण की भावना स्पष्ट नजर आती थी। अपनी सरकार में गहलोत द्वारा गरीबो के लिए चलाई फ्री दवा योजना ने प्रदेश के दवा माफियाओं के साथ प्रदेश के निजी अस्पतालों का भठ्ठा बैठा दिया था। इस योजना की लोकप्रियता की धूम पूरे देश के साथ विश्व भर में मची थी। प्रदेश में ईलाज के नाम पर मचने वाली लूट के गोरख धंधे पर इस योजना से काफी रोक लगी थी।

मुफ्त दवा के साथ फ्री में अनेक प्रकार की जांच सुविधाए भी गहलोत के शासन में जनता को मिल रही थी। वर्तमान सरकार में अब राज्य में इलाज माफिया हावी हो गया है। सरकारी चिकित्सालयों का निजीकरण करके गरीब की सेहत से व्यापार करने वालो के सामने वर्तमान भाजपा सरकार ने समर्पण कर दिया है। वैसे भी भाजपा के धार्मिक उग्र राष्ट्रवाद में गरीब के लिए कोई जगह नही है। गरीब की जगह देश में अब अडानी, अम्बानी, विजय माल्या परिवार ने ले ली है। राज्य में धर्म की खोखली भक्ति के नारे लगाने वालों के शासन में भृष्टाचार की लूट के आकडे लाखों-करोडो रूपये में पहुच गये हैं। राज्य में इस समय एक सूत्रीय लूट कार्यक्रम चल रहा है।

प्रदेश के अनेक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अपनी लूट के कारण जेल की यात्रा कर चुके है। यदि ईमानदारी से जांच होती तो नेशनल हाईवे पर अवैध रूप से की जाने वाली ओवर लोड ट्रकों की वसूली केस में राज्य के भृष्टतम यातायात मंत्री युनुस खां, जलदाय विभाग के घोटाले में मंत्री किरण माहेश्वरी, खान घोटाले में खनिज मंत्री राजकुमार रिणवा, आज जेल में होते। अनेक अधिकारीयों की वसूली के तार सीधे प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक मिल रहे थे।

वर्तमान भाजपा सरकार के कुशासन से जनता उब चुकी है। राज्य में अब तक दो दलीय शासन व्यवस्था के कारण अब जनता की नजरे कांग्रेस पार्टी की और लगी है। कांग्रेस पार्टी में आज राहुल गाँधी के अधकचरे ज्ञान के सलाहकारों के कारण देशभर में कांग्रेस पार्टी की दुर्दशा हो रही है। लगता है अब तक राहुल गाँधी यह समझने में विफल हो रहे है कि अब जनता को सिर्फ गाँधी घराने के नाम के आधार पर नही बरगलाया जा सकता है। राहुल गाँधी के विफल निर्णय के रूप में प्रदेश का एक यह निर्णय प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर सचिन पायलेट को बैठाना भी है।

महाराष्ट्र में अपने घर लुटाने वाले गुरुदास कामत का अहंकार आज भी कांग्रेस पार्टी के लोगों में चर्चा का विषय है। गुरुदास ने मुंबई में राजनीती की है इसलिए वे आज भी पी.सी.सी में बैठकर शिव सैनिक या फिर दाउद बनकर कार्यकर्ताओ को सीधे रूप से धमकियाँ देते हैं। सड़क पर आने के बाद भी इन भृष्ट अहंकारियों का अहंकार इन्हें जमीन पर वास्तविक धरातल का अनुभव नही होने देता है। वहीं, दूसरी ओर अशोक गहलोत की सादगी से संगठन चलाने की खूबी उन्हें आज भी जनता के दिलो के समीप खड़ा कर रही है। परिवर्तन होना राजनीती में आवश्यक है ओर यह होना भी चाहिए।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने अपनी सादगी के कारण ही देश भर में सफलता के झण्डे गाड़े है। प्रशासनिक अनुभव ओर सादगी के मिश्रण के बल पर योगी के दरबार में आज अनेक मुस्लिम महिलाए भी अपनी वेदनाए लेकर जा रही है और उन्हें समाधान भी मिल रहा है। दुर्भाग्य से प्रदेश कांग्रेस की टीम में आज घोर जातीवाद का बोलबाला है । हाल ही में मुझे कुछ अपने मित्रो ने एक अपना अनुभव बताया की मेवात के कुछ लोग राहुल गाँधी से मिलना चाहते थे। उन मित्रो के सम्पूर्ण प्रयास करने बाद भी राहुल गाँधी से उनकी मुलाक़ात नही हो पाई। अंत में वे जब देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिले तो उन्होंने दो बार चाय भी पिलाई ओर उन्हें काफी समय देकर उनसे बड़ी आत्मीयता से बातें भी की।

राहुल गाँधी की कांग्रेस के कम उम्र के लोंडे आज किसी की भी नही सुनते है। वे स्वयं को राहुल गाँधी ही मानकर चलते है। यह बात ठीक भी है कि राहुल गाँधी देश के पीएम के पुत्र है और सचिन पायलेट भी अपने पिता की विरासत का ही परिणाम हैं। ये बड़े नाम वाले अब क्यों किसी साधारण आदमी से मिले और क्यों स्वयं को साधारण आदमी माने?

व्यक्ति का संघर्ष हर बार एक नई प्रेरणा देता है। संघर्ष के बलपर व्यक्ति का व्यक्तित्व विराट स्वरुप धारण करके व्यक्ति को संस्थान का रूप प्रदान कर देता है। राजनैतिक संघर्ष की तेज धूप में तप कर निकलने वाले व्यक्ति ही समाज में परिवर्तन लाने में सफल होते है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके उदाहरण है। आज नरेंद्र मोदी संघर्ष के ताप की प्रचंड रोशनी के सामने कांग्रेस पार्टी के नेता जड़ से उखड रहे है। मोदी अपनी पार्टी में साधारण रहकर काम करने वाले लोगो को आगे लाकर उनके बल पर कांग्रेस के जमे जमाए किले ध्वस्त कर रहे है। कांग्रेस को भी चाहिए की सोने की चम्मच मुंहुं में लेकर पैदा होने वाले हवाई नेताओ के बल पर राजनैतिक परिवर्तन के सपने देखना बंद कर दे। बड़े नेताओ के घर में जन्म लेने वाले नेता आज बदलते राजनैतिक हालात में अप्रासंगिक हो चुके है।

राज्य की राजनीती में भी अब गाँधीवाद की छाया बने अशोक गहलोत के तप और त्यागी अनुभव को आगे लाने की आवश्यकता है। पंजाब राज्य में कांग्रेस का कप्तान अमरिंदर सिंह पर लगाया गया दांव कांग्रेस को राज्य में चुनावी सफलता का कारण बन चुका है। राज्य में अशोक गहलोत पूर्ण रूप से राज्य की राजनीती की चोसर को समझते है। उन पर लगाया गया दांव राज्य में कांग्रेस पार्टी के लिए सत्ता के द्वार खोलने वाला साबित होगा। किसी नए नवेले के लिए दाव लगाना कांग्रेस आलाकमान के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। हर चुनावी हार के बाद स्वयं राहुल गांधी के खाते में एक नई विफलता का लेख लिख दिया जाता है। एक पर एक लगातार विफलता राहुल के साथ कांग्रेस की सेहत के लिए शायद अब ठीक नही है। इसलिए कांग्रेस की सेहत के लिए राज्य में अशोक गहलोत ही आज के समय में सबसे उपयुक्त है और उन पर लगाया दांव ही लाभदायक होगा। शायद कांग्रेस आलाकमान इस पर विचार करे?
मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान
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