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जन्मदिन विशेष : अमरीश पुरी ने खलनायकी को दी नई पहचान, 39 साल की उम्र में किया था बॉलीवुड डेब्यू

Arun Mishra
22 Jun 2017 7:29 AM GMT
जन्मदिन विशेष : अमरीश पुरी ने खलनायकी को दी नई पहचान, 39 साल की उम्र में किया था बॉलीवुड डेब्यू
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Happy Birthday Amrish Puri : अमरीश पुरी को आज भी बॉलीवुड का बेस्ट विलेन माना जाता है। अमरीश पुरी आज यदि हमारे बीच होते तो 85 साल के हो गए होते।
मुंबई : बॉलीवुड में अमरीश पुरी को एक ऐसे अभिनेता के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपनी कड़क आवाज, रौबदार भाव-भंगिमाओं और दमदार अभिनय के बल पर खलनायकी को एक नयी पहचान दी। रंगमंच से फिल्मों के रूपहले पर्दे तक पहुंचे अमरीश पुरी ने करीब तीन दशक में लगभग 250 फिल्मों में अभिनय का जौहर दिखाया।

आज के दौर में कई कलाकार किसी अभिनय प्रशिक्षण संस्थान से प्रशिक्षण लेकर अपने अभिनय करियर की शुरुआत करते हैं जबकि अमरीश पुरी खुद अपने आप में चलते फिरते एक अभिनय प्रशिक्षण संस्थान थे।

पंजाब के नौशेरां गांव में 22 जून 1932 को जन्में अमरीश पुरी ने अपने करियर की शुरुआत श्रम मंत्रालय में नौकरी से की और उसके साथ-साथ सत्यदेव दूबे के नाटकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया। बाद में वह पृथ्वी राज कपूर के पृथ्वी थियेटर में बतौर कलाकार अपनी पहचान बनाने में सफल हुये। पचास के दशक में अमरीश पुरी ने हिमाचल प्रदेश के शिमला से बीए पास करने के बाद मुंबई का रुख किया।

फिल्म के एक सीन में अमरीश पुरी


उस समय उनके बड़े भाई मदनपुरी हिन्दी फिल्मों में बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे। वर्ष 1954 में अपने पहले फिल्मी स्क्रीन टेस्ट में अमरीश पुरी सफल नहीं हुये। अमरीश पुरी ने अपने जीवन के 40वें वसंत से अपने फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी।


वर्ष 1971 में बतौर खलनायक उन्होंने फिल्म 'रेशमा और शेरा' से अपने करियर की शुरुआत की लेकिन इस फिल्म से दर्शकों के बीच वह अपनी पहचान नहीं बना सके।लेकिन उनके उस जमाने के मशहूर बैनर बाॅम्बे टाकीज में कदम रखने के बाद उन्हें बड़े-बड़े बैनर की फिल्में मिलनी शुरू हो गयी। अमरीश पुरी ने खलनायकी को ही अपने करियर का आधार बनाया। इन फिल्मों में 'निंशात', 'मंथन','भूमिका','कलयुग' और 'मंडी' जैसी सुपरहिट फिल्में भी शामिल हैं।

करन-अर्जुन के एक सीन के दौरान


इस दौरान यदि अमरीश पुरी की पसंद के किरदार की बात करें तो उन्होंने सबसे पहले अपना मनपसंद और कभी नहीं भुलाया जा सकने वाला किरदार गोविन्द निहलानी की वर्ष 1983 में प्रदर्शित कलात्मक फिल्म 'अर्द्धसत्य' में निभाया। इस फिल्म में उनके सामने कला फिल्मों के अजेय योद्धा ओमपुरी थे।


इसी बीच हरमेश मल्होत्रा की वर्ष 1986 में प्रदर्शित सुपरहिट फिल्म 'नगीना' में उन्होंने एक सपेरे की भूमिका निभाई जो लोगों को बहुत भाया। इच्छाधारी नाग को केन्द्र में रख कर बनी इस फिल्म में श्रीदेवी और उनका टकराव देखने लायक था। वर्ष 1987 में उनके करियर में अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ।

'नगीना' के एक सीन में अमरीश पुरी


वर्ष 1987 में अपनी पिछली फिल्म 'मासूम' की सफलता से उत्साहित शेखर कपूर बच्चों पर केन्द्रित एक और फिल्म बनाना चाहते थे जो 'इनविजिबल मैन' के ऊपर आधारित थी। इस फिल्म में नायक के रूप में अनिल कपूर का चयन हो चुका था जबकि कहानी की मांग को देखते हुये खलनायक के रूप में ऐसे कलाकार की मांग थी जो फिल्मी पर्दे पर बहुत ही बुरा लगे।


इस किरदार के लिये निर्देशक ने अमरीश पुरी का चुनाव किया जो फिल्म की सफलता के बाद सही साबित हुआ। इस फिल्म में अमरीश पुरी द्वारा निभाये गये किरदार का नाम था 'मौगेम्बो' और यही नाम इस फिल्म के बाद उनकी पहचान बन गया।

'मौगेम्बो' के दौरान अमरीश पुरी


जहां भारतीय मूल के कलाकार को विदेशी फिल्मों में काम करने की जगह नहीं मिल पाती है वहीं अमरीश पुरी ने स्टीफन स्पीलबर्ग की मशहूर फिल्म 'इंडिना जोंस एंड द टेंपल आॅफ डूम' में खलनायक के रूप में काली के भक्त का किरदार निभाया। इसके लिये उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति भी प्राप्त हुयी।


इस फिल्म के पश्चात उन्हें हाॅलीवुड से कई प्रस्ताव मिले जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया क्योंकि उनका मानना था कि हाॅलीवुड में भारतीय मूल के कलाकारों को नीचा दिखाया जाता है।

अमरीश पुरी


लगभग चार दशक तक अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के दिल में अपनी खास पहचान बनाने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया से अलविदा कह गये।

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