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Archived
इमरजेंसी लगाने के निर्णय को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया गलत, इंदिरा गांधी को बताया प्रकृति प्रेमी
Special Coverage News
31 July 2017 8:29 AM GMT
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पहली बार ऐसा हुआ है, जब कांग्रेस के किसी दिग्गज नेता ने सार्वजनिक तौर पर इमरजेंसी लगाने के निर्णय का विरोध किया है।
नोएडा: पहली बार ऐसा हुआ है, जब कांग्रेस के किसी दिग्गज नेता ने सार्वजनिक तौर पर इमरजेंसी लगाने के निर्णय का विरोध किया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने कहा है कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी का देश में इमरजेंसी लगाना गलत निर्णय था। वह रविवार को सेक्टर 18 में अपनी नई किताब 'इंदिरा गांधी: अ लाइफ इन नेचर' पर आधारित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
बता दे कि नरेश ने कहा कि इंदिरा ने अपने छोटे बेटे संजय गांधी की सलाह मानकर देश में इमरजेंसी लगाया था लेकिन जब जवाहरलाल नेहरू की बेटी को अपनी गलती का अहसास हुआ, तब उसने उसे वापस ले लिया था। अपनी बात को उन्होंने अपनी किताब में व्याखित भी किया है। नरेश ने कहा कि इमरजेंसी का निर्णय देश के लिए अच्छा नहीं था। वह इसका व्यक्तिगत तौर पर विरोध करते हैं। यही वजह थी कि उस दौरान JP ने एक चुनी हुई सरकार को अवैध बताते हुए सेना व पुलिस से सरकार की कोई भी बात न मानने की अपील की थी।
वही उन्होंने गोमांस के मुद्दे पर भी पार्टी लाइन से अलग बयान देकर कांग्रेस को मुश्किल में डाल दिया है। गोमांस के मुद्दे पर रमेश ने कहा कि अगर लोगों को ग्लोबल वार्मिग से बचना है तो उन्हें स्वेच्छा से गोमांस खाना बंद कर देना चाहिए। सिर्फ गाय का ही नहीं, बल्कि सभी जानवरों का मांस पर्यावरण के लिए खतरनाक है। इसलिए बेहतर है कि लोग स्वयं इस बारे में सोचें, न कि उन पर जबरन किसी तरह का प्रतिबंध लगाए जाएं।
इंदिरा गांधी के एक अन्य फैसले को अनुचित ठहराते हुए जयराम रमेश ने कहा कि ताजमहल से सिर्फ 60 किमी दूर मथुरा में रिफाइनरी को मंजूरी देने का फैसला सही नहीं था। यह आर्थिक दृष्टि से भले ही इंदिरा गांधी का सही निर्णय था, लेकिन पर्यावरण की दृष्टि से इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। उन्होंने इंदिरा को पर्यावरण के लिए अच्छा भी बताया और कहा कि वह बहुत बड़ी प्रकृति प्रेमी थीं।जयराम ने कहा कि मैं पर्यावरण मंत्री पद पर रहा। इस दौरान पुराने पत्र देखने के बाद मुझे पता चला कि इंदिरा गांधी कुदरत के प्रति काफी संवेदनशील थीं। इंदिरा ने पंडित नेहरू को लगभग 250 पत्र लिखे थे और इन पत्रों में ज्यादातर उन्होंने पेड़, पक्षी, नदी, जंगल वगैरह का जिक्र किया है।
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