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मोदी सरकार की बिजलीकरण के दावों की खुली पोल, नीति आयोग ने ही लगाया सवालिया निशान
Special Coverage News
17 July 2017 9:26 AM GMT
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मोदी सरकार भले ही देश के 13,516 गांवों में बिजलीकरण का काम पूरा करने का दावा करते हों, लेकिन उनके इन दावों की पोल नीति आयोग की रिपोर्ट ही खोल रही है।
नई दिल्लीः मोदी सरकार भले ही देश के 13,516 गांवों में बिजलीकरण का काम पूरा करने का दावा करते हों, लेकिन उनके इन दावों की पोल नीति आयोग की रिपोर्ट ही खोल रही है। नीति आयोग ने देश के गांवों में किये गये बिजलीकरण को लेकर जो रिपोर्ट पेश की है, उसमें साफ तौर पर कहा गया है कि सरकार जिन गांवों में बिजलीकरण का काम पूरा कर लिये जाने का दावा करती है, उनमें से ज्यादातर गांवों के लोग अब भी लालटेन युग वाली रात बिता रहे हैं।
नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में साफ तरीके से इस बात का जिक्र किया है कि कर्इ गांवों के लोगों को सरकार के इस अभियान का लाभ नहीं मिला है। इसका मतलब साफ है कि सरकार ने गांवों में बिजलीकरण के मामले में केवल कागजी घोड़ा दौड़ाने का काम किया है। नीति आयोग ने राष्ट्रीय ऊर्जा नीति (NEP) के मसौदे में कहा है कि 30.4 करोड़ भारतीय अभी भी बिजली सुविधा से वंचित हैं। अभी 50 करोड़ लोग खाना पकाने के लिए जैव ईंधन पर निर्भर हैं। देश को अभी ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने के लिए काफी इंतजार करना होगा।
बता दे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2015 को लालकिला से अपने संबोधन में कहा था कि अगले एक हजार दिन में बिजली सुविधाओं से वंचित 18,452 गांवों में बिजली पहुंचा दी जाएगी। इसके लिए एक मई, 2018 की समयसीमा तय की गई है। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने मई में कहा था कि इन 18,452 गांवों में से 13,516 में बिजली पहुंचा दी गई है। 944 गांवों में आबादी नहीं है जबकि शेष 3,992 गांवों का एक मई, 2018 तक विद्युतीकरण किया जाएगा।
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