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'घर' में संकट से घिरी कांग्रेस, और राहुल करेंगे ये काम तो क्या होगा अब ...?

घर में संकट से घिरी कांग्रेस, और राहुल करेंगे ये काम तो क्या होगा अब ...?
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नई दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की घुमंतू फितरत इस समय चरम सीमा को छूती नज़र आ रही है, और वह इस साल की अपनी आठवीं विदेश यात्रा पर अमेरिका जाने वाले हैं, जबकि 'घर' में संकट घेरे खड़ा दिखाई दे रहा है.
NDTV.com में लिखे ब्लॉग में स्वाति चतुर्वेदी का कहना है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इसी हफ्ते नॉर्वे की चार-दिवसीय यात्रा से लौटेंगे, और सितंबर में वह दो हफ्ते के लिए अमेरिका चले जाएंगे. बताया गया है कि राहुल गांधी अमेरिका में सिलिकॉन वैली से बोस्टन तक पूरे मुल्क में घूमेंगे, और इस दौरान वह वॉशिंगटन डीसी स्थित कार्नेगी इंस्टीट्यूट में एक राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में शामिल होंगे. अपने पारिवारिक मित्र सैम पित्रोदा के साथ अमेरिका यात्रा करने वाले राहुल गांधी कैलिफोर्निया में छोटे निवेशकों, वेंचर कैपिटलिस्टों तथा अप्रवासी भारतीयों के साथ भी बैठकें करेंगे.

स्वाति चतुर्वेदी लिखती हैं कि दरअसल, राहुल गांधी की इन विदेश यात्राओं के वक्त को लेकर सवाल उठ सकते हैं, क्योंकि इन्हीं दिनों हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और गांधी परिवार के वफादार माने जाने वाले भूपिंदर सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र हुड्डा के बीजेपी में जाने की अटकलें गर्म हैं.

हालांकि पिता-पुत्र ने स्वाति से बातचीत में इन अटकलों को पूरी तरह खारिज किया. दीपेंद्र हुड्डा ने साफ-साफ कहा, "हम स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से हैं, और हम कभी कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे... आज तक हमने इससे ज़्यादा बकवास बात कभी नहीं सुनी... मैं नहीं जानता, यह सब कौन फैला रहा है, और इससे वे क्या हासिल करना चाहते हैं... मेरे पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद के सेंट्रल हॉल में कुछ पल बात की थी, और यह अफवाहें जंगल की आग की तरह फैल गईं... राजनैतिक शिष्टाचार निभाने में क्या हर्ज़ है...?"

इसी ब्लॉग में स्वाति आगे लिखती हैं कि राहुल गांधी की यात्रा को लेकर पार्टी के नेता भी कटाक्ष करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं. स्वाति का कहना है कि एक कांग्रेस नेता ने उनसे बातचीत में कहा, "मुझे आपसे ही जानकारी मिल रही है कि ओस्लो से लौटने के बाद मेरे नेता अमेरिका जाने वाले हैं... हमें इस वक्त यहां वोटरों से जुड़ने की ज़रूरत है, या वहां के थिंक-टैकों से...? अहम चुनाव सिर पर हैं, और हमारी रणनीति असल में क्या है...? वह हमें कुछ भी नहीं बताते..."
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