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बोफोर्स केस लड़ने वाले अजय अग्रवाल की चिट्ठी पर CBI भेज सकती है सोनिया को जेल, मचा हडकंप
Special Coverage News
5 Aug 2017 7:05 PM GMT
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bofors scandal soniya gandhi ajay kumar agarwal rajiv gandhi
नई दिल्लीः 1986 में बोफोर्स तोप घोटाले के खुलासे में घिरे गांधी परिवार पर फिर मुसीबत आने वाली है। वजह कि इस केस के पिटिशनर अजय अग्रवाल ने सीबीआई से दोबारा नए सिरे से केस की जांच शुरू करने की मांग की है। उनका कहना है कि यूपीए सरकार में सोनिया ने सीबीआई पर दबाव डलवाकर मामले में लीपापोती कराई। लिहाजा अब सीबीआई को फिर से फाइलें खोलकर केस से जुड़े सभी दोषियों पर सख्त एक्शन करने की जरूरत है। दरअसल संसदीय लोक लेखा समिति(पीएसी) ने जुलाई के आखिरी हफ्ते में हुई बैठक में बोफोर्स सौदे की गुम हुई फाइलों को खोजने का रक्षा मंत्रालय को निर्देश दिया।
इस केस का स्टेटस तलब करने पर रक्षा मंत्रालय ने पीएसी को आधी-अधूरी रिपोर्ट मुहैया कराई। जिस पर पीएसी ने मंत्रालय पर नाराजगी जताई थी। अब इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे अजय अग्रवाल भी एक्शन में आ गए हैं। उन्होंने सीबीआई मुखिया आलोक वर्मा को आठ पन्ने के भेजे पत्र में कहा है कि देशहित में इस केस का जल्द निपटारा जरूरी है। सच सामने आना जरूरूी है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। ताकि फिर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए कोई नेता, अफसर रक्षा उपकरणों की खरीद में घोटाले का दुस्साहस न कर सके।
अग्रवाल ने उठाए सवाल
1-जब आर्मी अफसरों ने फ्रैंच गन कंपनी सोफमा की तोपें खरीदने को हरी झंडी दी थी तो फिर बोफोर्स कंपनी से क्यों हुआ सौदा |
2-जब सोफमा की गन्स की रेंज 29 किमी थी तो फिर 21 किमी रेंज की बोफोर्स तोपों की खरीद क्यों |
3-जब सोफमा की तोपों सस्तीं मिल रहीं थीं तो महंगे दर पर बोफोर्स का सोदा क्यों हुआ |
4-जब सोफमा कंपनी ने अपनी टेक्नोलॉजी भी भारत को देकर यहां फैक्ट्री लगाने की सहूलियत की बात कही थी फिर बोफोर्स से तोपें क्यों खरीदी गईं।
5-जब सोफमा ने तोप के साथ बारूद भी देने की सुविधा दी थी तो फिर सिर्फ तोप देने वाली कंपनी बोफोर्स से सौदेबाजी क्यों |
याची अजय अग्रवाल का कहना है कि अगर राजीव गांधी सरकार फ्रैंच की सरकारी कंपनी सोफमा से तोपें खरीदती तो न केवल सस्ता पड़ता बल्कि कई तरफ से लाभ होता। बावजूद इसके सोनिया गांधी के इटालियन मित्र क्वात्रोची के जरिए स्वीडिस कंपनी बोफोर्स से खरीदारी करने से साफ पता चलता है कि गांधी परिवार ने इस सौदेबाजी में गहरी रुचि ली। इससे दलाली के रूप में बड़ा पैसा खाया गया। गांधी परिवार की संलिप्तता साफ पता चलती है। दलाली में जो पैसा क्वात्रोची ने लिया, उसका बड़ा हिस्सा गांधी परिवार को भी भेजा।
सोनिया गांधी ने निकलवाया क्वात्रोची का फंसा पैसा
अजय अग्रवाल का कहना है कि सीबीआई ने बोफोर्स सोदेबाजी में घूसखोरी की बात सामने आऩे पर 2003 में डीलर क्वात्रोची के लंदन के दो खाते फ्रीज करा दिए थे। ये खाते बीएसआई एजी एजी बैंक लंदन में चल रहे थे। एक खाता 5ए5151516एम संख्या से और दूसरा खाता नंबर था 5ए5151516ए। दोनों बैंक खाते इटली के हथियार दलाल क्वात्रोची और उसकी पत्नी मारिया के थे।
मगर 11-12 जनवरी की मध्य रात्रि खबर आती है कि खाते भारत सरकार की ओर से डिफ्रीज कराए जा रहे हैं। अजय अग्रवाल ने तत्काल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में रिट लगाई थी। 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित बैंक खातों की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। उधर खाते डिफ्रीज होते ही दलाल क्वात्रोची ने रिश्वत के 42 करोड़ निकालकर ठिकाने लगा दिए।
अग्रवाल कहते हैं कि क्वात्रोची ने लंदन के बैंक खाते से किसको और कहां पैसा भेजा, इसकी जांच जरूरी है। सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर किस वजह से यूपीए सरकार ने दलाल के खाते पर लगी रोक हटवाई। इससे साफ अंदेशा है कि सोनिया गांधी और सरकार के तमाम जिम्मेदारों के पास भी इसका हिस्सा पहुंचा होगा। यह बड़ी मामला है।
'सीबीआई एक्शन ले, मैं दूंगा दस्तावेज सुबूत'
पिटीशनर अजय अग्रवाल कहते हैं कि बोफोर्स केस से संबंधित तीस हजार कोर्ट से जुड़े तमाम दस्तावेज उनके पास हैं। सीबीआई केस की छानबीन दोबारा शुरू करे तो वह हर तरह से सहयोग करने को तैयार हैं। हर जरूरी दस्तावेजी प्रमाण भी उपलब्ध कराएंगे।
अग्रवाल के मुताबिक 2005 से वह इस केस को लड़ते आ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर 2005 को इस केस की मेरी रिट स्वीकार की। यह केस क्रमिनल अपील नंबर 1369-1375 के रूप में स्वीकार हुआ। इस बीच जनवरी 2006 में खबर आती है कि केंद्र की ओर से एडिशनल सालिसिटर जनरल को लंदन भेजकर क्वात्रोची के खाते डिफ्रीज करा दिए जाते हैं। और पैसे निकालने की अनुमति दे दी जाती है। बाद में 2009 में रेडकार्नर नोटिस वापस ले लिया जाता है।2011 में क्वात्रोची के खिलाफ केस भी वापस ले लिया जाता है। याची अजय अग्रवाल बताते हैं कि 2013 में क्वात्रोची की मौत हो गई थी। बता दें कि क्वात्रोची के सामने पूरी यूपीए सरकार नतमस्तक थी। क्योंकि कांग्रेस के ही बड़े नेता मानते हैं कि क्वात्रोची यदि मुंह खोल देता तो गांधी परिवार बड़े संकट में घिर जाता।
अजय अग्रवाल कहते हैं कि घोटाले में राजीव गांधी क्वात्रोची, विन चड्ढा और हिंदुजा ब्रदर्स और सेना के सीनियर अफसरों की संलिप्तता के ढेरों प्रमाण हैं। कांग्रेस सरकार ने 1986 से 2014 तक इस केस को रफा-दफा करने की कोशिश की। यह देश के साथ अपराध है।
अग्रवाल के मुताबिक 31 मार्च 2005 को दिल्ली हाई कोर्ट के हिंदुजा ब्रदर्स पर आरोप खारिज करने को लेकर दिए फैसले के खिलाफ यूपीए सरकार ने सीबीआई को एसएलपी की अनुमति नहीं दी। यहां तक कि अमेरिकी एजेंसी सीआईए की 1988 की रिपोर्ट कहती है कि बोफोर्स सौदेबाजी में घूस का पैसा दलाल के जरिए भारत सरकार के जिम्मेदारों तक पहुंचा।
साभार इण्डिया सम्बाद बाय अजय अग्रवाल
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