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भाई के कद घटने से तिलिमाये लक्ष्मण सिंह ने कहा, सोनिया राहुल को जेल भेज दो तो कांग्रेस ...........?

भाई के कद घटने से तिलिमाये लक्ष्मण सिंह ने कहा, सोनिया राहुल को जेल भेज दो तो कांग्रेस ...........?
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कभी कांग्रेस के संकटमोचक रहे दिग्विजय सिंह के सियासी कद में कटौती उनके भाई लक्ष्मण सिंह को रास नहीं आई है. कांग्रेस आलाकमान ने बड़े फेरबदल के तहत दिग्विजय सिंह से गोवा और कर्नाटक का प्रभार वापस ले लिया था. इस फैसले पर लक्ष्मण सिंह ने ट्विटर पर तंज कसा.

'सोनिया ने दो भाइयों को मिलाया'
अपने ट्वीट में लक्ष्मण सिंह ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस आलाकमान पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा, 'धन्यवाद सोनियाजी, आपने दोनों भाइयों को मिला दिया. दिग्विजय सिंह , गोवा कर्नाटक से हटाये गए,धन्यवाद सोनियाजी,आपने दोनों भाइयों को मिला दिया।



सत्यव्रत चतुर्वेदी पर निशाना
लक्ष्मण सिंह यहीं नहीं रुके. उन्होंने कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद सत्यव्रत चतुर्वेदी को भी निशाने पर लिया. लक्ष्मण सिंह ने चुनौती दी कि सत्यव्रत चतुर्वेदी पार्षद का चुनाव जीतकर बताएं. उनका आरोप था कि कांग्रेस चतुर्वेदी जैसे लोगों की वजह से ही हारती है.


दिग्विजय सिंहजी पर कटाक्ष करने वाले पार्षद का चुनाव जीत कर बताएं।सत्यव्रत चतुर्वेदी उनमे से एक हैं। कांग्रेस ऐसे लोगों के कारण हारती है।

क्यों निशाने पर चतुर्वेदी?
मध्य प्रदेश के ही छतरपुर से ताल्लुक रखने वाले सत्यव्रत चतुर्वेदी और दिग्विजय सिंह के बीच छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है. दिग्विजय सिंह से कर्नाटक और गोवा का प्रभार छिनने के बाद चतुर्वेदी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम का चेहरा घोषित करने की अपील की थी. उनका कहना था कि दिग्विजय सिंह को तमिलनाडु भेजा जाए.

सोनिया, राहुल के खिलाफ भी बगावती तेवर?
इससे पहले 26 अप्रैल को लक्ष्मण सिंह के एक और ट्वीट पर कांग्रेसियों की त्योरियां चढ़ी थीं. उन्होंने लिखा था कि मोदी कांग्रेस को खत्म कर रहे हैं लेकिन अगर वो कुछ कांग्रेसी नेताओं को जेल में डाल दें तो कांग्रेस के नसीब बदल सकते हैं.



विवादों से पुराना नाता
लक्ष्मण सिंह राघोपुर से कई बार विधायक और सांसद रह चुके हैं. लेकिन 2003 में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की हार के बाद वो बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी के टिकट पर 2 बार सांसद रहने के बाद 2010 में बीजेपी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया. लक्ष्मण सिंह ने तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के उस बयान पर ऐतराज जताया था जिसमें उन्होंने दिग्विजय सिंह को 'औरंगजेब की औलाद' कहा था. 2013 में आधिकारिक तौर पर उनकी पार्टी में वापसी जरूर हुई. लेकिन 2015 में जब कांग्रेस की नई राज्य कार्यकारिणी बनी तो लक्ष्मण सिंह को उसमें सिर्फ बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य के तौर पर ही जगह मिल पाई थी.
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