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राष्ट्रीय
जो सवाल शरद यादव से राहुल नहीं पूछ पाए, वह येचुरी ने पूछ लिया, बैठक में ही उड़ा शरद यादव का मज़ाक
Special Coverage News
12 July 2017 12:09 PM GMT
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नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष पार्टी ने कल महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी को चुनाव में उतारने का फैसला किया है। वहीं राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के सामने पिछड़ने के बाद विपक्ष के लिए यह चुनाव काफी अहम हो जाता है।
ऐसे में विपक्षी पार्टियों के बीच उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को लेकर खूब मंथन हुई। इस दौरान एक मजेदार वाक्या भी देखने को मिला, जब विपक्ष की बैठक में मौजूद नेता जेडीयू नेता शरद यादव की बात पर लेकर चुटकी लेते दिखे।
दरअसल हुआ यूं कि जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव जब विपक्षी दलों की हुई बैठक में बोलने आए तो सभी उनको गंभीरता से सुनने लगे। शरद यादव ने देशभर में फैले किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दे पर देश में सभी दलों को एक साथ मिलकर आंदोलन करना चाहिए।
उनकी इस बात पर सभी ने सहमति तो जताई, लेकिन तभी जेडीयू नेता के बगल में बैठे तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने चुटकी लेते हुए राहुल गांधी के कान में कहा कि ये इनकी निजी राय है या जदयू की...
वहां मौजूद बहुत-से नेता उनसे जानना चाहते थे कि शरद यादव अपने व्यक्तिगत विचार व्यक्त कर रहे हैं, या पार्टी की ओर से बोल रहे हैं, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू हालिया वक्त कई अहम मुद्दों पर बीजेपी के साथ खड़ी दिखाई दी है।
फिर क्या था हल्के माहौल में राहुल ने यह बात बगल में बैठे सीताराम येचुरी तक पहुंचा दी और येचुरी ने यह बात सार्वजनिक कर दी। येचुरी ने कतई वक्त नहीं गंवाया और तपाक से सवाल कर डाला। इस तरह शरद थोड़ा उखड़ते दिखे और उन्होंने जवाब दिया, 'किसानों का मामला है, किसानों की तकलीफ के मुद्दे से उनकी पार्टी बेहद चिंतित है। इस बारे में नीतीश और पार्टी सब साथ हैं।'
दरअशल हाल ही में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए भी नीतीश कुमार ने समूचे विपक्ष से विपरीत दिशा में जाकर सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रत्याशी का समर्थन कर दिया था। एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, उन्होंने कहा, 'हम निश्चित रूप से शरद यादव जी के विचारों का सम्मान करते हैं, लेकिन नोटबंदी के दौरान भी उनके विचार बिहार के मुख्यमंत्री के विचारों से अलग थे।' वहीं नीतीश कुमार ने पिछले साल की गई नोटबंदी के समय विपक्ष के रुख से कतई उलट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले का स्वागत किया था।
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