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कृष्ण जन्माष्टमी स्पेशल: जानिए जन्माष्टमी पर पालने में क्यों झुलाए जाते हैं 'कान्हा'
नई दिल्ली : देश-दुनिया में लोग धूमधाम से भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव यानी कृष्ण जन्माष्टमी मना कर रहे हैं। आपने देखा होगा भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के दौरान कान्हा को पालने पर झुलाया जाता है। लेकिन कई लोगों के मन में ये सवाल है की आखिर कृष्ण की पूजा के दौरान कान्हा को पालने में क्यों झुलाया जाता है।
जन्माष्टमी पर व्रत रखने वाले अक्सर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने के दौरान पालने पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या तस्वीर को झुलाते है। कृष्णाश्रयी शाखा से जुड़े भक्त इस सवाल का उत्तर कई पहलूओं से समझाते हैं। जन्माष्टमी को व्रतराज कहा जाता है। यानी सभी व्रतों में प्रमुख।
पहला पहलु ये है कि भगवान श्रीकृष्ण ने बालकाल में ज्यादातर कलाएं पालने में ही लेटे-लेटे दिखाया था। इसी वजह से जन्माष्टमी की पूजा में कोशिश की जाती है कि पालने का इंतजाम जरूर हो। जिससे पूजा के दौरान कान्हा को पालने में झुलाया जाए।
दूसरा पहलू ये भी है कि भगवान श्रीकृष्ण को मां यशोदा अक्सर पालने में रखती थीं। जिसके चलते उन्हें पालना बेहद पसंद है। वहीं मान्यता ये भी है कि जन्माष्टमी की पूजा के दौरान अगर व्रत रखने वाले पालने में नंद गोपाल को झुला दें, तो उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
वहीं मथुरा और उसके आसपास के इलाकों में लोगों का मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण को पालने में झुलाने पर संतान से स्नेह बढ़ता है। इसके पीछे तर्क ये दिया गया है कि मां यशोदा जब कभी अपने कान्हा को पालने में लेटे हुए देखती थीं तो वह काफी आनंद महसूस करती थीं।
यही मान्यता है कि नंदगोपाल को पालने में झुलाने के दौरान जो ठीक वैसी ही अनुभूति होती है, जिसका सकारात्मक असर मां-पुत्र-पुत्री के प्रेम में भी झलकता है। इसी वजह से कृष्ण की पूजा के दौरान कान्हा को पालने में झुलाया जाता है।