Archived

ज्येष्ठ पूर्णिमा को करें ये उपाय, बरसेगी माँ लक्ष्मी की कृपा

ज्येष्ठ पूर्णिमा को करें ये उपाय, बरसेगी माँ लक्ष्मी की कृपा
x
Lord Shri Lakshmi
मिथिलेश त्रिपाठी
सनातन धर्म में ज्येष्ठ का महिना यूँ सरल भाषा में कहें तो जेठ का महीना काफी शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस महीने में किया गया पूजा-पाठ और दान-पुण्य का सर्वाधिक महत्व है। यह महीना पवित्र नदियों में स्नान कर पाप मुक्त होने के लिए भी जाना जाता है। यूँ तो ज्येष्ठ के पूरे माह का ही बेहद महत्व है, लेकिन इस माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन यदि शास्त्रों द्वारा बताए गए उपाय किए जाएं तो व्यक्ति पर देवी-देवताओं की अपार कृपा होती है।
क्या करें और कैसे करें ?


ज्येष्ठ पूर्णिमा से ठीक एक दिन पहले गुरुवार है, जो कि देवगुरु बृहस्पति को समर्पित माना गया है। यदि इस ज्येष्ठ पूर्णिमा गुरुवार और शुक्रवार दोनों ही उपाय किए जाएं तो अधिक फल की प्राप्ति होगी। आइए आपको आगे बताते हैं कि क्या-क्या करना है....


8 जून गुरुवार के दिन बृहस्पति व्रत रखें। इसदिन सुबहर उठकर स्नानदि करके पीले वस्त्र धारण करें। एक पीले रंग के कपड़े पर भगवान बृहस्पति की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित करें। इसके बाद पीले चावल, केसर और भोग में पीले पकवान या फलों से पूजा करें। अगर मूर्ति या तस्वीर संभव ना हो तो केले के पेड़ की पूजा करें। पीले फल या अनाज का दान भी करें। व्रत के फलाहार में या घर पर बन रहे भोजन में भी पीले रंग के खाद्य पदार्थ शामिल करें।


9 जून शुक्रवार यानि ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी का माना जाता है, इसलिए यह माना जा रहा है कि इसदिन यदि अनुकूल उपाय किए गए तो लक्ष्मी मां की कृपा होगी। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह महालक्ष्मी की पूर्ण विधि अनुसार पूजा करें।

यदि विधि ना जानते हों तो केवल लक्ष्मी जी के बीज मंत्र (ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः) या महालक्ष्मी मंत्र (ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:) या लक्ष्मी गायत्री मंत्र ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ का एक माला जाप करते हुए देवी को भोग चढ़ावें।.

लक्ष्मी जी को भोग में खीर या सेवई या कोई सफ़ेद मिष्ठान चढ़ावें।

संभव हो तो शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध अर्पित करें यदि दूध से शिवलिंग अभिषेक ना कर सकें तो किसी गरीब या मंदिर में दूध का दान करें।

किसी मंदिर में जाकर झाड़ू दान करें।

मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए किसी विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें, जैसे कि चूड़ियां, कुमकुम, लाल साड़ी, इत्यादि।
Next Story