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50 वर्षों के बाद इस सावन विशेष संयोग बना, जानिए कैसे करें पूजा
Special Coverage News
9 July 2017 9:35 AM GMT
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विशेष फलदाई होंगा इस बार का सोमवार ब्रत
इस बार 50 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है। भगवान शिव का महीना सावन सोमवार से प्रारम्भ होकर और समापन भी सोमवार को ही हो रहा है। यह काफी शुभ फलदायक है। 10 जुलाई से सावन की शुरुआत होगी और 7 अगस्त को रक्षाबंधन यानी सावन पूर्णिमा है।
पंo त्रियुगीनारायण मणि कहते हैं कि काफी सालों बाद इस बार सावन के महीने में पांच सोमवार है। खास बात यह कि वैधृति योग के साथ सावन प्रारंभ हो रहा है और आयुष्मान योग के साथ इस मास की समाप्ति। सोमवार, सावन मास, वैधृति योग व आयुष्मान योग सभी के मालिक स्वत: शिव ही हैं। इस लिए इस बार का सावन खास है। पुराणों के अनुसार सावन में भोले शंकर की पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जाप का खास महत्व है। खासकर सोमवारी के दिन महादेव की आराधना से शिव और शक्ति दोनों प्रसन्न होते हैं।इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। निर्धन को धन और नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। बाबा भोले की पूजा से भाग्य पलट सकता है। याद रखें सावन के महीने में सोमवार क्रमशः 10,17,24,31 जुलाई और 07 अगस्त को है।
सावन में सोमवारी का है विशेष महत्व
पं. त्रियुगीनारायण मणि जी बताते हैं कि सावन मास में प्रत्येक सोमवारी का विशेष महत्व है। अमूमन सावन में चार सोमवारी होती है, लेकिन इस बार पांच सोमवारी है। सभी सोमवारी की पूजा के लिए मंत्र अलग-अलग हैं।
नियमपूर्वक पूजा करने से औघड़दानी की कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहती है।
1. पहली सोमवारी को महामायाधारी की पूजा: - सावन की पहली सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। पूजा क्रिया के बाद शिव भक्तों को 'ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम: का मंत्र 1 माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।
2. द्वितीय सोमवारी को करें महाकालेश्वर की पूजा- दूसरी सोमवार को महाकालेश्वर शिव की विशेष पूजा करने का विधान है। श्रद्धालु को 'ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 1 मामला जाप करना चाहिए। महाकालेश्वर की पूजा से सुखी गृहस्थ जीवन, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व तांत्रिक दोष से मुक्ति मिलती है।
3. तृतीय सोमवार को अर्द्धनारीश्वर की पूजा- सावन की तृतीय सोमवार को अर्द्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इन्हें खुश करने के लिए 'ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम: मंत्र का 1 माला जाप करना श्रेष्ठ माना गया है। इनकी विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।
4. चौथी सोमवारी को तंत्रेश्वर शिव की आराधना- चौथी सोमवारी को तंत्रेश्वर शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कुश के आसन पर बैठकर 'ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट् मंत्र का जाप 1 माला शिवभक्तों को करनी चाहिए। तंत्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
5. पांचवीं सोमवार को शिव स्वरूप भोले की पूजा: - पांचवीं सोमवार को श्री त्रयम्बकेश्वर की पूजा की जाती है। वैसे साधन को जो सावन में किसी कारण कोई सोमवारी नहीं कर पाते हैं उन्हें पांचवी सोमवारी करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसमें रुद्राभिषेक, लघु रुद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए।
पूजन विधि :- गंजा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से बाबा भोले का अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। उसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं। पूजा करने के बाद आरती कर क्षमार्चन करें।
शिव पूजा से मिलने वाले फल-
1. रोगों से मिलती है मुक्ति
2. शरीर में अद्भूत ऊर्जा की अनुभूति
3. शक्ति में बढ़ोतरी
4. मनोवांछित फल की प्राप्ति
5. अकाल मृत्यु और भय से मुक्ति
6. कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति
7. नवीन कार्य की पूर्ति
8. ग्रहों से शांति
9. संतान सुख की प्राप्ति
10. आरोग्यता
11. नौकरी की प्राप्ति
12. समस्त बाधाओं से मुक्ति।
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