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शनि देव 25 अगस्त को होंगे मार्गी, राज्यों में मंत्रीमंडल में फेरबदल के साथ राजनीति में होगी उठापठक - पं हनुमान मिश्र
शिव कुमार मिश्र
25 Aug 2017 4:26 AM GMT
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Shani Dev will be on August 25, in the states with the reshuffle in the cabinet will get up in politics - Pantham Hanuman Mishra
प्रख्यात ज्योतिषी पं. हनुमान मिश्रा का कहना है कि शनि ग्रह का भारतीय राजनीति से गहरा सम्बंध है, क्योंकि भारत की कुण्डली में शनि दसमेश है। दसमेश यानी राज्य या सत्ता के स्थान का स्वामी। जब की शनि अपनी स्थिति बदलता है भारतीय राजनीति का तेवर भी बदलता है। वर्तमान में गोचर में शनि ग्रह वक्री है और 25 अगस्त से मार्गी होने जा रहा है। इसका भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा इसके बारे में पंडित हनुमान मिश्रा ने अपनी फ़ेसबुक पर लिखा है...
"शनि देव 25 अगस्त को मार्गी हो रहे हैं। ऐसे में पार्टी छोड़ चुके या छोड़ने का मूड बना चुके लोगों में से कुछेक घर वापसी की सोच सकते हैं या फिर किसी नए दल या नए फ्रंट के निर्माण की सोचेंगे। यानी शीघ्र ही केंद्र व कुछ राज्यों में मंत्रीमंडल में फेरबदल के साथ साथ राजनीति का नया रुख देखने को मिल सकता है। स्वाभाविक भी है जो सोच कर कुछ नेताओं ने पार्टी छोड़ी थी अगर वह फुलफिल नहीं होगा तो वापसी या नए संगठन के बारे में सोचना गलत भी नहीं होगा। विशेष बात ये की नए दल या नए संगठन आदि के लिए समय अनुकूल हो रहा है। ऐसे में हमें किसी नई पार्टी या नए फ्रंट के स्वागत के लिए तैयार रहना चाहिए। देश के पूर्वी व पश्चिमी प्रदेशों के नेताओं में उपरोक्त बिंदुओं का असर अधिक देखने को मिल सकता है।"
इस बारे में जब हमने पंडित मिश्रा से विस्तार से जानने की कोशिश की तो उन्होंने कहा कि शनि भारत की कुण्डली का दसमेश है और वह अपनी वर्तमान स्थिति बदल रहा है अत: भारतीय राजनीति में कुछ बदलाव सम्भावित है। वर्तमान में भारत की कुंडली में चंद्रमा में राहु की दशा का प्रभाव है। जो अगस्त 2018 तक रहेगा और यह प्रभाव आंतरिक उथल पुथल का कारक है। ऐसे में भारत के सत्ताधारी दल को अस्थिर करने के प्रयास जोरों से किया जाएगा। इस आंतरिक किन्तु राजनीतिक अस्थिरता को अंज़ाम देने का काम राजनैतिक दल ही कर सकते हैं। अब क्योंकि वर्तमान में अधिकांश राजनैतिक दलों को अपना अस्तित्त्व खतरे में नज़र आ रहा है तो वो एकजुट होने की कोशिश करेंगे। कुछ ऐसे राजनैतिक दल भी है तो एक दूसरे से इस दर्जे का विरोध रखते है कि एक दूसरे से किसी एक मंडप तले इकट्ठा नहीं हो सकते वो दूसरे मंडप के नीचे इकट्ठा होना चाहेंगे।
यानी शनि के मार्गी होने पर ऐसे लोग जो अपने दल को छोड़ कर कहीं और जाने के विचार में डूबे थे अब उनकी सोच में बदलाव आ सकता है। कुछ लोग जो पार्टी छोड़ कर गए हैं उनमें से कुछ एक अतिमहत्त्वाकांक्षी लोगों को मन मुताबिक पद प्रतिष्ठा न मिलने के कारण वो अलग दल, अलग फ़्रंट या अलग से गठबंधन का निर्माण करने की सोचेंगे। ऐसा वरिष्ठ नेताओं के मामले में अधिक देखने को मिल सकता है क्योंकि मामला शनि का है। अब क्योंकि पश्चिम दिशा का द्योतक शनि वृश्चिक राशि में मार्गी हो रहा है और धनु राशि की ओर बढ़ेगा ऐसे में बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के नेताओं में इस प्रकार की सोच और गतिविधि अधिक देखने को मिल सकती है।
पंडित मिश्रा की बातों का जो सारांश हमारी समझ में आया वह यह रहा कि शीघ्र ही केन्द्र के अलावा कुछ राज्यों में मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है, कुछ वरिष्ठ नेताओं को राज्यपाल का पद भार मिल सकता है, वहीं कुछ वरिष्ठ नेता असंतुष्ट व न खुशी के चलते नए दल व नए फ़्रंट को जन्म दे सकते हैं और ऐसा बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में अधिक देखने को मिल सकता है।
पंडित हनुमान मिश्र
शिव कुमार मिश्र
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