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कुलभूषण जाधव मामले में पाक का अड़ियल रवैया!

कुलभूषण जाधव मामले में पाक का अड़ियल रवैया!
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कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान ने जिस तरह का अड़ियल रवैया अपनाया है उसका कोई स्वीकार्य कारण तलाशना मुश्किल है। भारत द्वारा कुलभूषण से उच्चायोग को मिलने देने का 14 वां अनुरोध भी अस्वीकार कर दिया गया। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों पर सलाहकार सरताज अजीज ने साफ कर दिया है कि उस तक भारतीय उच्चायोग को पहुंचने नहीं दिया जाएगा तथा उसे फांसी पर चढ़ाया जाएगा।


अजीज की मानें तो उसे फांसी देने पर सभी दलों में आम सहमति है। इससे भारत में गुस्सा पैदा होना स्वाभाविक है। किसी नागरिक तक उच्चायोग की पहुंच अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत मान्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को नकारकर पाकिस्तान क्या साबित करना चाहता है? पाकिस्तान में कुलभूषण को लेकर ऐसा वातावरण बना दिया गया है कि लाहौर बार एसोसिएशन ने यह फैसला कर लिया कि उसका मुकदमा कोई पाकिस्तानी वकील नहीं लड़ेगा। तो पूरा वातावरण कुलभूषण के विरुद्ध एवं भारत में बने स्वाभाविक वातावरण के प्रतिकूल है।



एक ओर पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कहते हैं कि दोनों देश लंबे समय तक तनाव में नहीं रह सकते और दूसरी ओर इस रवैये के बीच कोई सामंजस्य नहीं है। बहरहाल, भारत सरकार की चुनौतियां इससे बढ़ गईं हैं। सरकार ने देश से वायदा किया है कि वह कुलभूषण को हर हाल में बचाएगा। हालांकि एमनेस्टी इंटरनेशनल से लेकर अनेक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान के रवैये की आलोचना की है। अमेरिका जैसे देश ने कहा है कि भारत के प्रयासों के कारण पाकिस्तान विश्व समुदाय में अलग-थलग पड़ रहा है, इसलिए खीझ में उसने कुलभूषण जाधव के साथ ऐसा किया है।


कहने का तात्पर्य यह कि अभी तक दुनिया में कहीं से भी पाकिस्तान के रवैये का समर्थन नहीं है। यह स्थिति भारत के पक्ष में जाती है। लेकिन पाकिस्तान के ऐसे रवैये के सामने भारत करे तो क्या? भारत को तो यह तक नहीं पता कि उस पर आरोप क्या लगाए गए हैं। जब तक सैन्य न्यायालय द्वारा उसे मृत्यु की सजा देने वाले फैसले की कॉपी नहीं मिलती यह पता करना मुश्किल है उस पर आरोप क्या हैं और किन कानूनों के तहत उसे सजा दी गई है।


यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान उससे संबंधित किसी प्रकार की सूचना देने के मूड में नहीं है। भारत की ओर से सिंधु जल समझौते पर वार्ता को तत्काल रोककर उस पर दबाव बढ़ाने का पहला कदम उठाया गया है। भारत के पास एक विकल्प हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मामले को ले जाने का है। हेग न्यायालय ने इसे स्वीकार कर लिया तो पाकिस्तान को वहां फैसले की कॉपी देनी होगी।



लेखक अवधेश कुमार वरिष्ठ पत्रकार दिल्ली

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