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मेरे बेटे प्रवीण का चेहरा पाकिस्तानी आतंकी आबिद केे फोटो से मिलता है- महेश देवी

Special Coverage News
16 July 2016 2:33 AM GMT
मेरे बेटे प्रवीण का चेहरा पाकिस्तानी आतंकी आबिद केे फोटो से मिलता है- महेश देवी
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लखनऊ

2007 में मीडिया की सुर्खियों में आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी के तथाकथित अपहरण की साजिश रचने वाले पाकिस्तानी आतंकी बताकर 16 नवंबर को पकड़े गए तीन युवकों मोहम्मद आबिद, मिर्जा राशिद बेग, सैर्फुरहमान को लखनऊ के एक न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा दी है। लेकिन पवन कुमार पुत्र गंगा राम व पवन की मां महेश देवी निवासी 462/807 न्यू गोविंदपुरी, कंकरखेड़ा, मेरठ कैंट ने दावा किया है कि मोहम्मद आबिद कोड नेम फत्ते उर्फ सफदर उर्फ अय्यूब का चेहरा उनके भाई जो कि 5 मई 2006 से ही लापता है से मिलता है।

इस मसले पर यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में आयोजित प्रेस कांफ्रेस में तीनों कथित पाकिस्तानी आतंकियों के अधिवक्ता रहे रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने बताया कि एसटीएफ के अशोक कुमार राघव के नेतृत्व में आॅपरेशन क्लीन बताते हुए मोहम्मद आबिद कोड नेम फत्ते उर्फ सफदर उर्फ अय्यूब पुत्र मोहम्मद रफीक उम्र लगभग 27 वर्ष 16 नवंबर 2007 को निवासी मकान नंबर 23 गली नंबर 6 माजरा रोड लाहौर, मिर्जा राशिद बेग कोड राजा कज्जाकी रेजिडेंट आॅफ मिर्जा आरिफ बेग गुजरावाला पाकिस्तान व सैर्फुरहमान उर्फ यूसूफ उर्फ फैसल पुत्र खलील अहमद मुल्तान पाकिस्तान को एक पुलिस मुठभेड़ के दौरान लखनऊ स्थित टेढ़ी पुलिया के पास स्थित मौरंग मंडी के पास से गिरफ्तार करने का दावा पुलिस ने किया था। पुलिस ने इन सभी गिरफ्तारियों को केन्द्रीय खूफिया अभिसूचना ईकाईयों व राज्य खूफिया अभिसूचना ईकाईयों के इनपुट पर करने का दावा करते हुए इसे कंधार विमान अपहरण कांड जैसी साजिश बताया था।

प्रेस कांफ्रेस में मेरठ निवासी पवन कुमार ने कहा कि जिसे आबिद उर्फ फत्ते कहा जा रहा है उसका चेहरा उनके लापता भाई प्रवीण कुमार से मिलता है। उनके भाई प्रवीण जो की दिहाड़ी पर गाड़ी चलाते थे के बारे में उन्हें मालूम चला था कि दिल्ली के खजूरी खास के पास एक मुठभेड़ के दौरान जो 5 व्यक्ति मारे गए उस मुठभेड़ में उनके भाई के होने की संभावना या फिर फरार होने की संभवाना मीडिया में जताई गई थी। उसके बाद हम भाई को लगातार खोजते रहे, इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी रिट दायर किया, मानवाधिकार आयोग से लेकर तमाम शासन-प्रशासन स्तर पर उसे खोजने के लिए कोशिश की पर निराशा ही हाथ लगी। 1 जुलाई 2016 को जब हमने अमर उजाला समाचार पत्र में जैश के तीन पाकिस्तानी आतंकियों को दोषी करार देने की सजा वाली खबर में फोटो देखी तो मुझे लगा की वह मेरे भाई प्रवीण की फोटो है। जिसे मैंने पूरे परिवार को दिखाया और उसी के सहारे उसे ढूंढ़ने के लिए लखनऊ चले आए। जिला जेल लखनऊ में जाकर मिलने का प्रयास किया लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद कुछ मीडिया के लोगों ने मुझे ऐसे मामलों के अधिवक्ता व रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब से मिलने की राय दी। उनको भी जब मैंने अपने भाई प्रवीण की पुरानी फोटो तथा समाचार पत्र की छाया प्रतियां दिर्खाइं तो उन्होंने कहा कि यह सभी फोटो एक ही व्यक्ति के लगते हैं। प्रयास किया जाएगा तो पता लग पाएगा कि वह आपका भाई है।

पत्रकार वार्ता के दौरान महेश देवी ने कहा कि जो फोटो पेपर में छपी है वह निश्चित रुप से मेरे बेटे प्रवीण कुमार की लगती है। मैं और मेरा बेटा पवन कुमार तीन दिनों से लखनऊ में अपने बेटे प्रवीण कुमार से मिलने के लिए भटक रहे हैं। ऐसे में हम माननीय मुख्यमंत्री, जेलमंत्री, जिलाधिकारी लखनऊ व जिला जेल के वरिष्ठ अधीक्षक से मांग करते हैं कि वह कथित आतंकी मोहम्मद आबिद उर्फ फत्ते से हमें मिलवाकर सुनिश्चित करें कि वह प्रवीण कुमार ही तो नहीं है। इस मामले में उन्होंने डीएनए टेस्ट और उच्च स्तरीय जांच की मांग भी की। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बेटे के दाएं हाथ में एक टैटू का निशान है और माथे पे चोट का भी निशान है। इसके बाद रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने अपने प्रयास से आतंक के आरोप से बरी कराए कुछ लोगों से उनके शरीर के इन चिन्हों की जानकारी भी की जिन्होंने कहा कि ऐसे निशान उनके शरीर पर हैं। जो महेश देवी के संदेह को और पुख्ता करते हैं, जिसकी जांच की जानी चाहिए।

प्रेस को सम्बोधित करते हुए रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह, तत्कालीन एडीजी कानून व्यवस्था व भाजपा नेता बृजलाल व तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एसटीएफ अमिताभ यश, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार झा के नेतृत्व में जिस तरीके से यूपी में आतंकवादी घटनाओं व षडयंत्र के नाम पर की गई गिरफ्तारियों पर निमेष कमीशन भी सवाल उठा चुकी हैं और दर्जन भर से अधिक बेगुनाह बरी हो चुके हैं। ऐसे में जिस तरीके से आबिद उर्फ फत्ते को मेरठ निवासी पवन व उनकी मां महेश देवी ने दावा किया है कि वह उनका भाई-बेटा प्रवीण है, यह घटना साफ करती है कि सरकार व पुलिस न सिर्फ आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को बदनाम कर रही है बल्कि प्रवीण जैसे बेगुनाह हिंदू युवकों को पाकिस्तानी आतंकी व मुसलमान बताकर जेल में सड़ा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से इस मामले में जिस एके 47, पिस्टल व भारी पैमाने पर कारतूस व आरडीएक्स बरामदगी का दावा किया गया था वह आखिर कहां से आया।



पुलिस पर यह सवाल निमेष कमीशन द्वारा बेगुनाह बताए गए तारिक-खालिद केस में पहले भी उठ चुका है। उन्होंने मांग की कि अपने बेटे और भाई से मिलने के लिए दर-दर भटक रहीं महेश देवी और पवन को उनसे मिलवाया जाए और नवंबर 2007 के पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए कि कैसे खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों ने इस फर्जी मुठभेड़ की कहानी रची। मंच के महासचिव ने खुफिया विभान पर यह भी आरोप लगाया कि अगर मई 2006 से गायब प्रवीण ही आबिद उर्फ फत्ते हैं तो खुफिया एजेंसियों ने आगे उसे गैर कानूनी हिरासत में रखकर प्रताड़ित कर मुस्लिम तौर तरीके सिखाकर फिर गिरफ्तार दिखाया जो कि एक समुदाय को बदनाम करने की घिनौनी साजिश है। यहां मिर्जा राशिद बेग व सैर्फुरहमान की पहचान पर भी सवाल उठ जा रहा है। यह घटना पूरे देश में इस तरह की गिरफ्तारियों में आईबी की भूमिका पर सवाल उठाती है जिनकी जांच की जानी चाहिए।

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