Archived

सुकमा में शहीद हुए जवान के पिता बोले, 'मेरे बेटे को आतकंवादियों ने नहीं अपनों ने मार डाला'

Arun Mishra
25 April 2017 8:25 AM GMT
सुकमा में शहीद हुए जवान के पिता बोले, मेरे बेटे को आतकंवादियों ने नहीं अपनों ने मार डाला
x
नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सली हमले में 25 जवान शहीद हो गए, वहीं 7 जवान घायल हुए हैं। यह इस साल का सबसे बड़ा हमला है। सुकमा हमले में शहीद हुए जवानों को देश श्रद्धांजलि दे रहा है। हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह समेत देश की सभी बड़ी हस्तियों ने दुख जताया।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह रायपुर पहुंचे, उन्होंने सुकमा हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी. उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह भी मौजूद थे। राजनाथ के साथ गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर भी मौजूद रहे। सीएम रमन सिंह के साथ बैठक के बाद राजनाथ ने कहा कि सुकमा में हमला करना नक्सिलयों की कायराना हरकत को दर्शाता है।

वहीं, दूसरी तरफ सुकमा में नक्सलियों से लड़ते-लड़ते शहीद हुए सीआरपीएफ जवान अभय मिश्र के पैतृक गांव भोजपुर के जगदीशपुर के तुलसी में मातमी सन्नाटा पसरा है। बड़े बेटे के शहीद होने की खबर पाते ही किसान पिता गजेंद्र सिंह बार बार बेहोश हो जा रहे हैं। पिता को बस इस बात का मलाल है कि उनके बेटे को आतकंवादियों ने नहीं अपनों ने मार डाला।
शहीद के पिता गजेंद्र मिश्रा ने कहा कि अगर कोई बाहरी मारता तो ये तो मेरे लिए सम्मान की बात होती। लेकिन मेरे बेटे को अपनों ने ही मार दिया तो ये सम्मान कैसा है?।

उन्होंने कहा कि अगर अमरीका पाकिस्तान में घुस कर ओबामा को मार सकता है तो फिर सरकार ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करती है। शहीद के पिता का कहना है कि गरीब उग्रवादी आखिर गरीब बेटे को निशाना क्यों बना रहे हैं।

शहीद अभय मिश्रा की मां माधुरी मिश्रा का भी बुरा हाल है। मां माधुरी मिश्रा ने बताया कि 10 दिन पहले ही उनकी बेटे से फोन पर बोत हुई थी लेकिन नेटवर्क नहीं होने के कारण बेटे का फोन बीच में ही कट गया। उसके बाद फिर बात नहीं है। फोन पर बेटे ने कहा था कि मां अगले महीने घर आउंगा।

जानकारी के मुताबिक अभय मिश्रा ने चार साल पहले ही सीआरपीएफ ज्वाइंन किया था. मां बेटे की शादी करना चाहती थी लेकिन बेटे का कहना था कि पहले भाई की पढ़ाई और घर बनाना उनकी प्राथमिकता है।

गांव के लोगों ने बताया कि अभय काफी मिलनसार था और जब भी गांव आता था तो ड्यूटी की कहानी बताता था। अभय बताते थे कि बहुत मुश्किल हैं। हमलोग बैरक से निकलते हैं तो फिर लौटेंगे की नहीं यह पता नहीं होता है। अभय मिश्रा 26 साल के हैं और साल पहले उन्होंने सीआरपीएफ ज्वाइन किया था। और उनकी पोस्टिंग छत्तीसगढ़ में हुई थी।
Next Story