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सम्मान समारोह के बहाने सियासत!

सम्मान समारोह के बहाने सियासत!
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गांधी की चंपारण यात्रा के शताब्दी वर्ष के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा आयोजित सम्मान समारोह भी आज सियासत की भेट चढ गया. समूचे देश के स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित करने के लिये राज्य सरकार ने आज एस के मेमोरियल हाल में सम्मान समारोह का आयोजन किया. राज्य सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की माने तो उन्होनें इस कार्यक्रम में सभी दलो को आमंत्रित किया था.


एस के मेमोरियल में मंच पर महामहिम राष्ट्रपति के साथही केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अलावे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव , राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव , जद यू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी, शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी के अलावे पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय की कुर्सी लगी थी . जबकि लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान और रालोसपा के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के पहले से ही नही आने की सूचना नही थी. लेकिन अंत समय में केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा सभी आमंत्रित एनडीए नेताओं ने इस कार्यक्रम का वहिष्कार किया.


भाजपा नेता मंगल पाडे की माने तो मंच पर लालू को जगह मिलने से एनडीए नेता नाराज थे और इस लिये उन्होने कार्यक्रम का वहिष्कार किया. हालांकि उनके वहिष्कार पर मुख्यमंत्री ने अफसोस जरूर जताया लेकिन तीखी प्रतिक्रिया देने से परहेज किया . लेकिन राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने खुलकर तो राहुल गांधी ने इशारों - इशारो में केन्द्र सरकार और भाजपा पर निशाना साधा.


लालू और राहुल से नाराज महामहिम राज्यपाल महोदय ने इन दोनों नेताओं का नाम लेना भी मुनासिब नही समझा और सम्मान समारोह के बदले यह समारोह सियासत का अखाड़ा दिखा. अब सवाल यह है कि अगर राज्य सरकार ने इस कार्यक्रम में सभी दलो को निमंत्रण दिया तो एनडीए नेताओं का वहिष्कार करना कितना जायज है तो दूसरी ओर क्या एन डी ए नेता अगर मंच पर मौजूद रहते तो मंच पर ऐसी सियासत होती क्या.


दूसरी ओर इस मंच पर महागठबंधन नेताओं द्वारा जो बयानबाजी की गयी वह जायज है क्या. आखिर इसका जबाव कौन देगा. क्या लोकतंत्र की बहाली के लिये अपने पूरे जीवन को दावं पर लगाने और शहादत देने वाले गांधी के सत्याग्रह आंदोलन के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम के बहाने क्या बिहार के राजनेता एस साथ मंच पर नही बैठ सकते . क्या लालू को दागी बतलाकर कार्यक्रम का वहिष्कार करने वाले नेता आज से पाक साफ हो गये.



क्या इस सियासत का बेहतर संदेश देश में गया क्या. शायद आनेवाले समय में इसका जबाव मिलेगा. लेकिन आज जो कुछ भी हुआ क्या बापू की आत्मा उस बिहार के नेताओं के व्यवहार से खुश हुई होगी जिस बिहार के चंपारण के बारे में गांधी ने कहा था कि चंपारण ने पूरे देश में मेरी पहचान करायी और चंपारण सत्याग्रह के बाद ही भारत के लोगों ने मुझे पहचाना.
















अशोक कुमार मिश्र वरिष्ठ पत्रकार पटना

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