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2010 में जो किया था क्या उससे सीधे पलट गए नीतीश कुमार!

2010 में जो किया था क्या उससे सीधे पलट गए नीतीश कुमार!
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बार बदले राजनीतिक समीकरणों में पूरी तरह से बदले-बदले नजर आ रहे हैं। इस बार वह कुछ ऐसा करने जा रहे हैं, जो उन्होंने सात साल पहले नहीं किया था। गांधीनगर के अधिकारियों के मुताबिक, बिहार में आई बाढ़ पर गुजरात सरकार ने मदद और राहत कार्यों के लिए 5 करोड़ का चेक दिया है। यह उतनी ही राशि है, जो गुजरात सरकार की ओर से 2010 में उस वक्त भेजी गई थी, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। 2010 में जब बिहार में बाढ़ आई थी, तब भी गुजरात सरकार ने मदद के लिए 5 करोड़ का चेक भेजा, लेकिन नीतीश कुमार ने इस चेक को वापस लौटा दिया था।
अब एक बार फिर बिहार में भीषण बाढ़ आई है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार को राहत पैकेज के रूप में 500 करोड़ रुपये देने का वादा किया है। मुख्यमंत्री ने इस पर ऐसे वक्त में ऐसे समय में सहमति दी है, जब कुछ रोज पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए बड़े फेरबदल में उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को शामिल नहीं किया गया। इस मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल हुए 9 के 9 मंत्री बीजेपी से ही थे।
माना जा रहा था कि एक महीने पहले एनडीए के साथ आए नीतीश कुमार की पार्टी को मोदी मंत्रिमंडल में कैबिनेट स्तर के एक या दो पद मिलेंगे। लेकिन जब नीतीश ने यह बताया कि उन्हें कैबिनेट विस्तार की खबर मीडिया से मिली है, तो सभी राजनीतिक जानकार हैरान रह गए। नीतीश के इस बयान पर उनके पूर्व सहयोगी रहे आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भी चुटकी लेने से खुद को नहीं रोक पाए। उन्होंने कहा, 'जेडीयू के कुछ नेताओं ने शपथ समारोह में शामिल होने के लिए नया कुर्ता पाजमा तक सिलवा लिया था, लेकिन उन्हें समारोह में शामिल होने का न्योता तक नहीं मिला।'

लालू ने तो यह भी कहा कि बिहार बाढ़ का सर्वेक्षण करने आए मोदी ने नीतीश का लंच करने का न्योता भी ठुकरा दिया। माना जा रहा है कि यह 2010 का जवाब है, जब जून 2010 में नीतीश कुमार ने बीजेपी का डिनर निमंत्रण स्वीकार नहीं किया था क्योंकि इस डिनर में नरेंद्र मोदी भी शामिल होने वाले थे।
आपको बता दें कि 2010 में यह सब तब शुरू हुआ था, जब पटना के अखबारों के फ्रंट पेज पर यह विज्ञापन प्रकाशित हुआ था कि बिहार बाढ़ में गुजरात के मुख्यमंत्री ने राहत कार्य के लिए योगदान दिया है। इस विज्ञापन से बिफरे नीतीश ने न केवल बीजेपी के साथ डिनर का निमंत्रण ठुकराया था बल्कि गुजरात को वह चेक भी वापस लौटा दिया था, जो दो साल पहले गुजरात सरकार ने बिहार में कोसी नदी में बाढ़ आने पर दिया था।
इसके तीन साल बाद नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ अपना 17 साल पुराना गठबंधन तब तोड़ दिया था, जब बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनावों के लिए नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था। बीते महीने में एक बार फिर जेडीयू आरजेडी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ एनडीए में फिर शामिल हुआ है।
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