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चंपारण सत्याग्रह के मुस्लिम योद्धाओं की अनदेखी क्यों?

चंपारण सत्याग्रह के मुस्लिम योद्धाओं की अनदेखी क्यों?
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चंपारण आन्दोलन के सौ वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में बिहर की नीतिश सरकार चंपारण सत्य ग्रह शताब्दी समारोह मना रही है और कल राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक भव्य कार्यक्रम में देश के पांच सौ सौतान्त्र्ता सेनानियों को सम्मानित भी करेंगे .


परन्तु दुःख की बात ये है कि चंपारण सत्याग्रह आन्दोलन के सूत्रधार पीर मुनिस , शैख़ गुलाब , ईद मुहम्मद जैसे महान स्वतंत्रता सेनानिओं को को भुला दिया गया है और इनके परिजनों का आमंत्रित नहीं किया गया है.


बत्तख मिंयाँ अंसारी ने वर्ष 1917 में चंपारण भ्रमण के दौरान बापू की जान बचाई थी. वे उस समय चंपारण परिसदन के रसोइया थे. अंग्रेजों ने गांधी जी के दूध में ज़हर मिलकर बत्तख मिंयाँ अंसारी को दूध पेश करने की जिम्मदारी दी थी .परन्तु अंतरात्मा की आवाज़ पर उन्हों ने गाँधी जी को वस्तुतः स्थिति से अवगत करा दिया और दूध सेवन न करने की आग्रह किया.


गांधी जी ने दूध का सेवन नहीं किया . दंड के तौर पर अंग्रेजों ने बत्तख मियां अंसारी को पद से बर्खास्त कर इन्हें बुरी तरह मारा पीटा और इनकी ज़मीन पर शौचालय का निर्माण करा दिया . बत्तख मियां अंसारी का परिवार बड़ी ही दयनीय हालत में जीवन व्यतीत कर रहा है. इस समय उनका एक परपोता कैंसर रोग से पीड़ित है.


आज़ाद भारत के वासियों तथा न्याय के साथ विकास का दम भरने वाली नितीश सरकार को इस की चिंता नहीं है, जो अत्यंत ही दुखद है.....

हमें भी याद रखें जब लिखें तारीख गुलशन की कि हमने भी जलाया है चमन में आशयां आपना

अशरफ अस्थानवी वरिष्ठ पत्रकार पटना

शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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