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पीएम पर घिनौना आरोप लगाने की झूंठी खबर की कविता कृष्णन ने बताई असलियत!

पीएम पर घिनौना आरोप लगाने की झूंठी खबर की कविता कृष्णन ने बताई असलियत!
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शायद भारत में लोगो को कुछ ज्यादा ही बोलने की आजादी दी हुई है. तभी तो कोई भी नेता या आदमी किसी भी नेता या आदमी को कुछ भी बोल देता है. चाहे फिर वो देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के खिलाफ ही क्यों न बोल रहा हो. कोई उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता. क्योकि अगर उसके खिलाफ कुछ कर दे तो उसकी अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ होगा. हाल ही में छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में वामपंथी महिला संगठनों की नेता कामरेड कविता कृष्णन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विवादित टिप्पणी की है. हालांकि कविता कृष्णन ने ट्विट करके इन सभी बातों का खंडन किया है. साथ ही कहा है की संघी मानसिकता अब कितनी गलत हो चुकी है.


कविता कृष्णन कहा की भारत के प्रधानमंत्री ने अपने बाप अमेरिका के इशारे पर 1000 और 500 का नोट बंद कर दिए है. जिससे हमारे बस्तर में रहने वाले आदिवासी भाइयों को आज भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है. कविता कृष्णन ने कहा कि.. ये देश का दुर्भाग्य है, जो पहली बार भारत को नरेंद्र मोदी जैसा नपुंसक प्रधानमंत्री मिला. वो यही नहीं रुकी उसने कहा कि जो अपनी पत्नी और माँ का नहीं हुआ वो देश का कैसे होगा.


पूँजीपतियों का अरबों-खरबों का टैक्स माफ करने वाला यह प्रधानमंत्री देशद्रोही और गद्दार है. वामपंथी नेता कविता कृष्णन ने आदिवासी महिलाओं के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हम महिलाओं को भी फ्री सेक्स की आजादी चाहिए, जिस तरह कोई भी पुरुष किसी भी महिला के साथ शारीरिक संबंध बना सकता है उसी तरह महिलाओं को भी किसी भी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार होना चाहिए.


आपको बता दें की इस खबर के झूंठी प्रदर्शित होने के बाद कविता क्रष्णन ने जिस वेबसाईट ने झूंठी अफवाह फैलाई ही उसका खुलासा किया है. कविता कृष्णन ने लिखा है कि ये सब संघियों की चाल है, ये अश्लीलता फैलाकर लोंगों में भ्रम फैलाते है.




हालांकि इस लेख को पढ़ने से साफ़ पता चलता है की यह एक झूठी खबर है लेकिन हमने तथ्यों की सत्यता जांचने के लिए कविता कृष्णन से फ़ोन पर बात की. फ़ोन पर बातचीत के दौरना कविता ने हमें बताया की उन्होंने बस्तर में कभी भी किसी मीटिंग को सम्बोधित नहीं किया है और वह सिर्फ एक बार ही बस्तर गयी है, वह भी फैक्ट-फाइंडिंग टीम की सदस्य के तौर पर. जब हमने उनके खिलाफ चल रहे इस तरह के झूठे प्रचार के बारे में उनके विचारो को जानना चाहा तो उनका कहना था की.


स्रोत

शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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