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नौवीं बार आसाराम की जमानत याचिका कोर्ट ने की ख़ारिज

Special Coverage News
9 Aug 2016 10:49 AM GMT
नौवीं बार आसाराम की जमानत याचिका कोर्ट ने की ख़ारिज
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राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग छात्रा के साथ यौन शोषण के मामले में आसाराम की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.
न्यायाधीश निर्मलजीत ने आज यह फैसला सुनाया. न्यायालय ने इस मामले में दो दिन पहले सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था. आसाराम की निचली अदालत से उच्चत्तम न्यायालय तक यह नौवीं बार जमानत खारिज हुई हैं.|

जमानत की उम्मीद लगाए बैठे आसाराम और उनके समर्थकों के चेहरे मायूस हो गए जमानत खारिज होने का मलाल उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। उन्हें उम्मीद थी कि जिस तरह पैरवी की थी उससे तो जमानत मिल ही जाएगी। पूर्व में भी जिला एवं सत्र न्यायालय से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक आसाराम की आठ जमानत याचिका खारिज हो चुकी है और यह नौवां जमानत आवेदन था।

वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी, मुकुल रोहतगी, सुब्रमण्यम स्वामी जैसे अधिवक्ता भी आसाराम को राहत नहीं दिलवा पाए थे। आसाराम का नसीब उसे बार बार धोखा दे रहा है। कुछ दिन पहले आसाराम ने कोर्ट के बाहर बोला भी था कि जब जब जमानत की उम्मीद होती है तब तब ऐसा कुछ घटित होता है कि मेरी जमानत खारिज हो जाती है। आसाराम की ओर से इस बार सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता राजूराम चन्द्र और उनके सहयोगी सेवा राम ने पैरवी की, वही पीड़िता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द पुरोहित, पीसी सोलंकी और सरकार की ओर से शिव कुमार व्यास ने पैरवी की।

इससे पूर्व 18 जुलाई को आसाराम की अंतरिम जमानत आवेदन भी खारिज कर दी गई थी। आसाराम की ओर से अधिवक्ताओं ने आसाराम की उम्र, ट्रायल के लंबे समय और बीमारियों के आधार पर जमानत की पैरवी की। आसाराम की जमानत याचिका खारिज होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय से आए अधिवक्ता सेवाराम ने कहा कि हाईकोर्ट आसाराम को जमानत देना ही नहीं चाहता, वही राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार आसाराम को जेल में ही मारना चाहती है।
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