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क्या है अटल जी की कश्मीर नीति! क्या आप जानते है?

क्या है अटल जी की कश्मीर नीति! क्या आप जानते है?
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जम्मू कश्मीर: जम्मू-कश्मीर के बिगड़े हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने मुलाकात की. मुलाकात के बाद महबूबा मुफ्ती ने सबसे अहम बात कही कि उनकी सरकार अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर नीति पर ही आगे बढ़ रही है.


पीएम मोदी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर को लेकर वे पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी की नीति को लेकर आगे बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी की नीति के अलावा इसे सुलझाने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि अपने लोगों से बातचीत का रास्ता साफ किया जा रहा है


क्या है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कश्मीर नीति?

अटल बिहारी वाजपेयी ने 18 अप्रैल 2003 को श्रीनगर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था, 'अभी तक जो खेल होता रहा है मौत का और खून का वो बंद होना चाहिए. लड़ाई से समस्या हल नही होती… आपको बता दें अभी इराक में लड़ाई बंद हुई..होनी ही नही चाहिए थी…जो मसले हैं बातचीत से हल हों…बंदूक से मसले हल नही होते… बंदूक से आदमी को मारा जा सकता है उसकी भूख नही मिटती…


'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कश्मीर में शांति, प्रगति और खुशहाली चाहते थे. कश्मीर समस्या का समाधान वाजपेयी इंसानियत, जम्‍हूरियत और कश्‍मीरियत के साथ करना चाहते थे. इसी का जिक्र मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बार-बार करते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी बातचीत के जरिए ही हर समस्या के समाधान की बात करते थे. वाजपेयी की इस कश्मीर नीति को सभी सियासी दलों के साथ अलगावदियों का भी काफी समर्थन मिला. अलगाववादियों समेत सभी पक्षों से वाजपेयी बातचीत के पक्ष में थे. करगिल घटना के बाद इस कश्मीर नीति को काफी झटका लगा. इसके बाद भी बातचीत की प्रक्रिया टूटी नहीं.


19 अप्रैल 2003 कश्मीर यूनिवर्सिटी में तत्कालिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि यदि जम्मू-कश्मीर की खूबसूरती और स्वच्छता का अनुभव करेगा तो कहेगा कि यह असमान्य जगह धरती का स्वर्ग है. वही व्यक्ति जब बाहर राज्य में फैले हिंसा और शत्रुता को देखता है तो अक्षोभ से भर जाता है. फिर वह आश्चर्यचकित होकर पूछता है इस स्वर्ग से शांति इतनी दूर क्यों है?


अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि यह ऐसा सवाल है जिसे सभी को अध्ययन करना चाहिए जो शांति और कश्मीर का ख्याल रखना चाहते हैं. निष्पक्ष होकर जब तथ्यों को जांचते हैं तो पता चलता है कि अलगाववाद, आतंकवाद का कश्मीर के सामाजिक इतिहास, सांस्कृतिक पहचान और आध्यात्मिक परंपरा में कोई समर्थन नहीं है.कश्मीर भी शेष भारत की तरह सभी धार्मिक धाराओं और संस्कृतियों का सम्मान करने वाला है. दुनिया के सबसे बड़े धर्म हिन्दुत्व, बुद्धित्व और इस्लाम का कश्मीर की धरती पर मिलन इंसान की आत्मा को जगा रहा था. इंसानियत, सहनशीलता, आपसी सद्भभावना, सहिष्णुता और शांति दूर-दूर तक लोगों के बीच बढ़ावा दे रहा था.

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