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किसानों ने पी पेशाब नहीं पसीजा निर्दयी मोदी का दिल! करें तो क्या करें!
तमिलनाडु के वे किसान जो इस गर्मी में नंगे बदन गर्म तवे की तरह जलने वाले सड़क पर लेट कर प्रदर्शन कर रहे थे, उनका क्या हुआ? जाहिर है, वे राज्य सरकार से निराश होकर दिल्ली आए थे। न मीडिया बता पा रहा है और न सरकार कि क्या दिल्ली ने उन्हें कुछ राहत दी? दी तो क्या दी? नहीं दी तो क्यों नहीं दी? इस लिहाज से देखूं तो डिजिटल इंडिया का गाना गाने वाले प्रधानमन्त्री को इन किसानों की कोई चिंता नहीं आखिर क्यों? क्या फिर मैं एक पाषाण युग में हूं।
बीते कई दिनों से इन किसानों का धरना प्रदर्शन चल रहा है लेकिन देश के पीएम ने या क्रषि मंत्री ने इन किसानों से मिलना भी उचित नहीं समझा. कहीं इस बात की और तो इशारा नहीं है कि बीजेपी को तमिलनाडु में सत्ता नहीं मिली. बिलकुल इन्हीं किसानों ने तो वोट नहीं दिया होगा. तो इनको सरकार से किसी राहत की उम्मीद कैसे. आज इन्होने पेशाब पि है और कल अपना मल खाने की भी घोषणा कर चुके है. अब क्या हो सकता है इन किसानों का ये तो अँधेरे के गर्त में है लेकिन एक इंसान के तौर पर इतना जरुर कहूँगा कि मानवता भी शर्मशार हो गई आज का सीन देखकर हालांकि पीएम पर कोई फ्र्ख नहीं पड़ा.
आपको बता दें कि अगर इस तरह ही सत्ता चलती रही और आप सब आँख मुदकर समर्थन करते रहे तो वो दिन दूर नहीं होगा जा हम सब किसी भी कार्य को कराने में असमर्थ हो जायेंगे. और सरकार हमारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं होगी. आज इस घटना के बाद मन अंदर से द्रवित हो गया है. पीएम एक पत्र पर जबाब देते थे आज इस घटना को अब तक संज्ञान में क्यों नही लिए.