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जांच की रिपोर्ट आई सामने, जानिए 'रोहित वेमुला' की मौत का सच
नई दिल्ली : हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला के आत्महत्या मामले में जांच आयोग की एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि रोहित वेमुला की मौत का सच क्या है।
रिपोर्ट में कहा गया है की रोहित वेमुला कॉलेज प्रशासन से तंग आकर अपनी जान नहीं दी थी, बल्कि निजी कारणों से परेशान होकर उसने आत्महत्या की थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की ओर से रोहित वेमुला और चार अन्य स्टूडेंट्स को हॉस्टल से निकाला जाना वेमुला को आत्महत्या के लिए उकसाने की वजह नहीं बना। रोहित वेमुला व्यक्तिगत तौर पर परेशान था और कई वजहों से खुश नहीं था।
वहीं रोहित वेमुला की जाति को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि, 'वेमुला जाति से दलित नहीं थे। रेकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते हैं कि वह (वेमुला की मां वी राधिका) वढेरा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, इसलिए रोहित वेमुला को मिला अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र असली नहीं कहा जा सकता और वह अनुसूचित जाति से नहीं थे।
ऑन रेकॉर्ड मौजूद उनका सुसाइड नोट से साफ है कि उसकी अपनी खुद की कई समस्याएं थीं और वह अपनी जिंदगी से नाखुश था। वह बचपन में अकेला रहता था और उसको सब नाकाबिल समझते थे। जिनकी कभी तारीफ नहीं की गई। इससे भी उनकी निराशा जाहिर होती है। रोहित ने अपने सुसाइड नोट में किसी को भी अपनी मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है।
गौरतलब है कि यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग ने दी है, जिसमें इलाहबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस ए के रूपनवाल शामिल थे। कहा गया था कि भाजपा नेताओं के दबाव में आकर ही कॉलेज प्रशासन ने रोहित के खिलाफ कार्रवाई की थी। जिसके बाद भाजपा नेताओं का नाम सामने आया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तात्कालिक मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा नेता बंडारू दत्तात्रेय का रोहित की मौत से कोई लेना-देना नहीं था। अगर रोहित कॉलेज की कार्रवाई से दुखी होता तो सुसाइड नोट में इस बात का जरूर जिक्र करता।