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जस्टिस कर्णन का चौंकाने वाला फैसला, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस समेत 8 को सुनाई 5 साल की सजा
Vikas Kumar
9 May 2017 5:30 AM GMT
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नई दिल्ली : देश की शीर्ष अदालत में चल रहे गतिरोध में अब एक नया मोड़ आया है, कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सी. एस. कर्णन ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर को 5 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इतना ही नहीं जेएस खेहर के साथ-साथ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के सात अन्य जजों को भी कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
आपको बता दें कि जस्टिस कर्णन शीर्ष अदालत के कई न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं। इसके साथ ही स्वयं जस्टिस कर्णन अदालत की अवमानना और न्याय प्रणाली की छवि धूमिल करने का आरोप झेल रहे हैं। अब इस मामले में जस्टिस कर्णन ने आठों न्यायाधीशों को एक 'दलित न्यायाधीश' (खुद कर्णन) को 'समान मंशा' से प्रताड़ित करने का दोषी ठहराया है।
कर्णन ने जिन न्यायाधीशों को सजा सुनाई है उनमें प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहर के अलावा न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र बोस, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर. बानुमती शामिल हैं।
जज ने इन सभी को यह फैसला अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (प्रताड़ना से संरक्षण) अधिनियम-1989 और संशोधित अधिनियम-2015' के तहत दोषी पाए जाने पर दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उनकी न्यायिक कर्त्तव्यों को जारी रखने की याचिका यह कहते हुए ठुकरा दी थी कि हाई कोर्ट जज दिमागी रूप से ठीक नहीं हैं। साथ ही सभी सरकारी प्राधिकरणों और न्यायाधिकरणों को कर्णन द्वारा दिए गए किसी 'तथाकथित' आदेश को संज्ञान में न लेने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट दे चुका है।
शीर्ष अदालत ने कर्णन के खिलाफ 17 मार्च को जमानती वारंट भी जारी किया था। 1 मई को अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कर्णन के मानसिक स्वास्थ्य की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड गठित करने का आदेश दिया था। 2 मई को जस्टिस कर्णन ने संविधान के अनुच्छेद 226 का प्रयोग करते हुए सुओ-मोटो आदेश जारी किया था।
Vikas Kumar
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