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दिल्ली के राजौरी गार्डन में उपचुनाव, तीनों दलों ने उतारे उम्मीदवार

दिल्ली के राजौरी गार्डन में उपचुनाव, तीनों दलों ने उतारे उम्मीदवार
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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब में चुनाव लड़ने के चलते दिल्ली विधानसभा के राजौरी गार्डन से इस्तीफा दे दिया था। जरनैल सिंह पंजाब के सम्भावित मुख्यमंत्री के भी उम्मीदवार थे।

'आप' की अग्नि परीक्षा
राजौरी गार्डन सीट पर उपचुनाव आम आदमी पार्टी के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है। पंजाब चुनाव के नतीजों ने तो उसकी उम्मीदें तोड़ दीं, अब पार्टी नहीं चाहेगी कि एमसीडी चुनाव के लिए उनका मनोबल कम हो। जिसके लिए ये ज़रूरी है कि अपने दो साल के काम-काज के दम पर उसे ये सीट जीतनी होगी। इस सीट पर आम आदमी पार्टी से राघव चड्ढा की उम्मीदवारी की चर्चा है लेकिन पार्टी ने अभी कोई फैसला नहीं किया है।


कांग्रेस को चाहिए अपनी परंपरागत सीट पर एक बार फिर कब्ज़ा
राजौरी गार्डन कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। 1993 से 2013 तक लगातार 20 साल यहां से कांग्रेस के ही विधायक रहे। लेकिन 2013 में सिरसा ने कांग्रेस के इस ख़्वाब को तोड़ दिया और इसके बाद 2015 में जरनैल सिंह ने कांग्रेस की बची खुची उम्मीद को भी खत्म किया। हालांकि उपचुनाव के लिए एक बार फिर कांग्रेस को उम्मीद हुई है कि शायद वो अपनी परंपरागत सीट को हासिल कर सके। कांग्रेस ने मिनाक्षी चंदीला को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। मीनाक्षी पूर्व विधायक और मौजूदा पार्षद दयानंद चंदीला की बहू हैं। मीनाक्षी ने 2015 का विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था जिसमें वो तीसरे नंबर पर रही थीं।

बीजेपी-अकाली दल के बीच फंसा 'पंजाब' का पेंच
राजौरी गार्डन की सीट लेकर भाजपा और अकाली दल के रिश्तों के बीच खटास पड़ने की संभावना है। दरअसल ये पंजाबी बहुल इलाका है। बीते दो विधानसभा चुनाव यहां से अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा लड़ रहे थे। अकाली नेता सिरसा को भाजपा ने ये सीट दी थी। दिल्ली में भाजपा और अकाली दल मिलकर चुनाव लड़ते हैं। दिल्ली में नगर निगम और विधानसभा की कुछ सीटें भाजपा अकाली दल के लिए छोड़ती रही है। बदल में दिल्ली में अकाली दल सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों का समर्थन करता है। इस बार पंजाब के चुनावों में अकाली दल और भाजपा गठबंधन की जिस तरह से हार हुई है, उसे लेकर भाजपा के दिग्गज नेता काफी परेशान हैं क्योंकि भाजपा पंजाब में अपनी हार के लिए अकाली दल को जिम्मेदार मानती है। 21 मार्च इस चुनाव के लिए नामांकन का आखिरी दिन है, देखना होगा दोनों पार्टी कैसी समझ के साथ यहां अपना उम्मीदवार उतारती है।
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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