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बेटी के साथ कोई रेप ना कर दे इसलिए रखती है जंजीर से बांधकर माँ!
अहमदाबादः मानसिक रूप से बीमार अम्रीका की मां सविता उससे बेहद प्यार करती है, लेकिन बेटी के इलाज के लिए उसके पास न पैसे हैं और न यह साबित करने का कोई जरिया कि वह इसी राज्य की नागरिक या इसी देश की नागरिक है। मां को डर है कि मानसिक रूप से बीमार बेटी कहीं भाग न जाए, किसी बस के नीचे न आ जाए, उसके साथ कहीं रेप न हो जाए, इसलिए वह बेटी की रक्षा के लिए उसे 24 घंटे भारी पत्थरों के क्रेट से रस्सी के जरिए बांधकर रखती है। वह शिव मंदिर के बाहर पत्थरों से बंधकर जीने को मजबूर है, जिसे वह अपना घर कहती है।
अम्रीका का परिवार गरीब है, मां पढ़ी-लिखी नहीं, 6 अन्य भाई-बहन हैं। 48 साल की सविता अपने परिवार का गुजारा सब्जी बेजकर करती हैं, जिससे वह दिन के बमुश्किल 150 रुपए कमा पाती हैं। उनके दो बच्चे शादीशुदा हैं और एक बेटा शराबी है जो परिवार के पालन-पोषण में कोई योगदान नहीं देता। सविता ने बताया कि बेटी के जन्म के समय वह बेहद खुश थीं, उन्होंने स्वस्थ बेटी को जन्म दिया था और उसका नाम अम्रीका रखा था। फिर 7 साल की उम्र में बेटी को दौरे पड़ने लगे और अस्पताल ले जाने पर पता चला कि अब 24 घंटे उसके साथ किसी को रहना होगा, बाकी बच्चों को भी मां की जरूरत थी इसलिए सविता ने उसका इलाज न करवाने का फैसला किया। 7 साल पहले पति की मौत के बाद स्थितियां और खराब होती चलीं गईं।
मानसिक रूप से बीमार लोगों के लिए ट्रैवल में छूट से लेकर हेल्थ इंश्योंरेंस तक, राज्य और केंद्र सरकार की 11 स्कीम्स हैं, लेकिन सविता को किसी स्कीम की जानकारी नहीं। केंद्र सरकार की निरामय स्कीम के तहत 250 रुपए के सालाना प्रीमियम पर एक लाख रुपए के इंश्योंरेंस स्कीम, ऐसी स्कीम्स में से एक है, लेकिन सविता किसी स्कीम का फायदा न ले पाईं। पास में एक जूलरी शोरूम के मालिक मुकेश पटेल ने कहा, कई बार मैं रुककर बच्ची को देखता हूं, उसकी दशा देखकर दुख होता है। हम कभी-कभी पैसे दे देते हैं, लेकिन मुझे हैरानी होती है कि इतने वर्षों से कोई सरकारी एजेंसी या एनजीओ इस परिवार की मदद के लिए आगे नहीं आया।