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जिसको बिठाया सर आँखों पर सभी भारतियों ने, सबसे बड़ी पत्थर वाज निकली, सुनकर उड़े होश
जम्मू कश्मीर की प्रसिद्ध महिला फ़ुटबाल खिलाडी अफ्शां आशिक ने जब फ़ुटबाल में बहुत कुछ अच्छा किया था तो हमने उसको सर आँखों पर विठा लिया, लेकिन हैरानी तो तब हुई जब उसने फुटबाल को किनारे रख दिया और उठा लिया पत्थर. फिर सामने जो भी आया भले ही सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ या पुलिस का जवान उसको पत्थरों से लुहुलुहान कर दिया. जो ताकत वो फ़ुटबाल के मैदान में दिखाती थी वही ताकत उन्होंने सुरक्षा बलों के खिलाफ दिखाना शुरू कर दिया और जम कर पत्थर बाजी की. इस घटना को जिसने भी सुना हैरान हो गया.
सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकते उनकी तस्वीर अचानक ही सामने आ गयी. जबकि वो ऐसा कभी नहीं चाहती थी की वो किसी के सामने आएं और अपने पहले चेहरे से भोले भाले भारतीयों से इज्जत सम्मान पाती रहें. और दूसरे चेहरे को ढक पर उन्ही भारत वालों के रक्षकों पर पत्तर फेंकती रहने पर अचानक ही एक तस्वीर में उनकी पोल खुल जाने के बाद वो खुल कर मैदान में आ गयी. अब इंतिहा तो तब हुई जब उन्होने कहा है की उनको किसी भी प्रकार का कोई पछतावा नहीं है. उन्होंने जवानो पर पत्थरबाजी की इस तरह के अपने उस कुकृत्य पर उन्हें कोई पछतावा नहीं है.
शनिवार को 21 वर्षीय फुटबॉल कोच ने पंजाब पटियाला के प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्टस में प्रशिक्षण लिया. कश्मीरी एफसी एकेडमी का संचालन करने वाली अफ्शां 70 युवाओं को प्रशिक्षण देती हैं. उनमें 40 लड़कियां और 30 लड़के हैं. उन्होंने मौलाना आजाद रोड स्थित वुमेन्स कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की है. अब ये सोचा जा सकता है की उनके द्वारा सिखाये गए छात्र फ़ुटबाल सीख रहे होंगे या पत्थरबाजी ?
भारत के तमाम बुद्धिजीवी उनको एक युवा ब्रांड बना कर पेश करते थे और उनकी महानता के बारे में गुण गया करते थे. इस घटना के बाद उन सभी बुद्धिजीवियों की तरफ से भी कोई बयान नहीं आया है अब तक जो आतंकवाद का कारण गरीबी और अशिक्षा को मानते हैं. लेकिन इतना तय है जब तक कश्मीरी मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ नहीं खड़ा होगा तब तक कश्मीर से आतंक का सफाया होना मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन है. जब पंजाब में सभी आतंकवाद के खिलाफ आये तभी आज पंजाब से आतंकवादी गतिविधियाँ शांत हो गई.