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केजरीवाल सरकार के आदेशों की होगी समीक्षा एलजी ने मंगवाई डेढ़ साल पुरानी फाइलें
Special Coverage News
9 Aug 2016 11:34 AM GMT
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दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग और दिल्ली की सरकार के बीच विवाद गहरा गया है। दिल्ली सरकार ने जिस बारे में निर्णय लिया है वे सभी फाईलें उपराज्यपाल के सचिवालय बुलवाई गई हैं। अब उपराज्यपाल इन फाईलों को देखेंगे ओर यह जानेंगे कि आखिर जो निर्णय सरकार ने लिए हैं उन पर उनकी स्वीकृति क्यों नहीं ली गई। एक तरह से अब फिर से दिल्ली राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच तनाव हो गया है।
एक हफ्ते में होगी समीक्षा
अलग-अलग विभागों के मुखिया को कहा गया है कि उपराज्यपाल की मंजूरी के लिए सभी फाइल एक हफ्ते के भीतर भेजें. जिसके बाद समीक्षा बैठकों का दौर शुरु होगा. लेकिन इस बीच दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट भी जाने की तैयारी में है. यानि फिलहाल हाई कोर्ट के फैसले के मुताबिक उपराज्यपाल ही दिल्ली में सुप्रीम बने रहेंगे जब तक सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार को कोई राहत न मिल जाए.
इन फैसलों पर लटक सकती है तलवार
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पिछले डेढ़ साल में कई फैसले लिए हैं. इन फैसलों में कई तरह की नियुक्तियां भी शामिल हैं, जो बिना उपराज्यपाल की अनुमति के दिल्ली सरकार में की गईं हैं. दिल्ली के प्रशासन में सेवा विभाग पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की उम्मीद है, क्योंकि ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर ही विवाद सबसे ज्यादा रहे हैं. कई अहम पदों पर मसलन सचिवों के पद पर गैर प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति भी शामिल हैं. उदाहरण के तौर पर पीडब्ल्यूडी विभाग में आईएएस अधिकरी की जगह सचिव के पद पर एक इंजीनियर की नियुक्ति की गई.
इसके अलावा कई विभागों में कंसलटेन्ट के पद पर भी नियुक्तियों के लिए भी उपराज्यपाल की मुहर नहीं लगवाई गई है. दिल्ली सरकार ने पिछले डेढ़ साल में कई जांच समितियों का भी गठन किया, जिसमें सीएनजी फिटनेस घोटाले और डीडीसीए में गड़बड़ियों की जांच के लिए बनीं कमेटियां भी शामिल हैं. दिल्ली को अलग-अलग मोहल्ला सभाओं में बांटने का फैसला भी खटाई में पड़ सकता है, क्योंकि सिर्फ कैबिनेट की मंजूरी से इस फैसले को लागू किया गया.
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