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शिवराज पर टूटा एक और संकट, सरकार खतरे में आ सकती है, उड़े होश

शिवराज पर टूटा एक और संकट, सरकार खतरे में आ सकती है, उड़े होश
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Another disaster broken on Shivraj, government can be in danger
भोपाल: मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार पर संकट के बादल लगातार गहराते जा रहे हैं। किसान आंदोलन अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि व्यापारी नाराज हो गए। रासुका का डर दिखाकर व्यापारियों को चुप कराया तो कर्मचारी उबल पड़े। तब तक चुनाव आयोग ने उनके प्रिय मंत्री नरोत्तम मिश्रा को अयोग्य घोषित कर दिया। प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह न चुनाव आयोग के संदर्भ में आपत्तिजनक बयान दिया तो आयोग ने 3 मंत्रियों समेत उन सभी 116 विधायकों की जानकारी तलब कर ली जो लाभ के पद का लुत्फ़ उठा रहे हैं।
केंद्रीय चुनाव आयोग ने लाभ के पद के मामले में 116 विधायकों की नियुक्तियों को लेकर मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव से जानकारी मांगी है। इनमें ज्यादातर मामले विधायकों के काॅलेजों की जनभागीदारी समिति में नियुक्ति से संबंधित है। मंत्रालय और चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार आयोग ने आम आदमी पार्टी की एक साल पहले की गयी शिकायत के आधार पर कार्रवाई शुरू की है। आम आदमी पार्टी ने यह शिकायत चुनाव आयोग से बीते वर्ष की थी।
प्रदेश की शिवराज सरकार के काबीना मंत्री नरोत्तम मिश्रा पर चुनाव आयोग की कार्रवाई पर राजनीति अभी थमी नहीं थी कि अब मध्यप्रदेश के 116 विधायकों पर भी इसी तरह की कार्रवाई का खतरा मंडराने लगा है। हालांकि नरोत्तम मिश्रा का मामला चुनाव के दौरान पेड न्यूज और करप्ट प्रैक्टिस से जुड़ा हुआ है। लेकिन आम आदमी पार्टी की शिकायत पर अब चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में प्रदेश के 116 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई शुरु की है। आम आदमी के दिल्ली प्रदेश के 20 विधायकों पर भी इसी तरह की तलवार लटकी हुई है।
मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह को नोटिस देकर इन 116 विधायकों को स्कूल और कॉलेज की जनभागीदारी समितियों में नियुक्त किए जाने से संबंधित अधिसूचना की कॉपी जनभागीदारी समिति के सदस्य होने के एवज में मिल रही सरकारी सुविधाओं की जानकारी देने को कहा है। इन 116 विधायकों में तीन कैबिनेट मंत्री अर्चना चिटनिस, जयभान सिंह पवैया और रुस्तम सिंह भी शामिल हैं।

आपको बता दें कि चुनाव आयोग ने लाभ के पद मामले में यह नोटिस आम आदमी पार्टी की शिकायत पर जारी किया है। आम आदमी पार्टी ने करीब एक साल पहले राज्यपाल और चुनाव आयोग को अपनी शिकायत में जनभागीदारी समिति में नियुक्ति को, लाभ के पद के दायरे में मानते हुए कहा था कि विधायक का किसी भी ऐसे सरकारी पद पर नियुक्ति, जिसमें उन्हें संस्था एलाउंस और दूसरे शासकीय फायदे मिलते हैं, वह संविधान के आर्टिकल 102(1)(a) का उल्लंघन है, इसलिए इन सभी 116 विधायकों की सदस्यता तुरंत समाप्त की जाए।

मालूम हो कि लाभ के पद मामले में केंद्रीय चुनाव आयोग ने दिल्ली सरकार के 20 विधायकों के खिलाफ अंतिम सुनवाई शुरु कर दी है। अगर लाभ के पद के मामले में दिल्ली के आप के विधायकों की विधायकी समाप्त होती है, तो मध्यप्रदेश के इन 116 विधायकों के भविष्य पर भी कार्रवाई की संभावना बढ़ जाएगी। दिल्ली के विधायकों पर हुई कार्यवाही के बाद आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी।
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