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पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति के बेटे ने जब बताई अपने दिल की बात, तो निकल पड़े आंसू

पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति के बेटे ने जब बताई अपने दिल की बात, तो निकल पड़े आंसू
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Dera Verdict: Family Of Journalist Shot Dead For Exposing Ram Rahim Hopeful
सीबीआई न्यायाधीश ने एक स्पष्ट और जोरदार निर्णय सुनाकर एक बार फिर साबित किया कि न्यायपालिका अब भी गरीब की हितैषी है. धोखाधड़ी करने वाले लोग आम आदमी के खिलाफ कोई कुचक्र रचते है तो नयायपालिका उस कुचक्र का पर्दाफाश कर देगी. इस घटना के खुलासे को लेकर मौत के घाट उतारे गये पत्रकार स्व श्री रामचन्द्र छत्रपति के परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ गई.
श्री छत्रपति के बेटे अंशुल ने कहा कि "हमारे पिता का मामला एक सीबीआई के न्यायाधीश द्वारा सुना गया. सिरसा में डेरा मुख्यालय में साध्वी (महिलाओं के शिष्यों) के यौन शोषण का पर्दाफाश मेरे पिता स्व श्री रामचन्द्र छत्रपति ने किया था. जिनकी डेरा के अनुआइयों ने 24 अक्टूबर, 2002 को उनके निवास स्थान पर गोली मार दी गई थी. कुछ दिन जीवित रहने के बाद पत्रकार ने अपने जीवन की अंतिम सांस अस्पताल में ली. गोली लगने के बाद बार बार कहने के बाबजूद मौजूदा एनएलडी सरकार ने उनका बयान भी नहीं होने दिया था.
पत्रकार के 36 वर्षीय बेटे अंशुल ने भी "कई खतरों" के बावजूद डेरा प्रमुख गुरुमीत राम रहीम के खिलाफ अपने प्रमाण पर खड़े होने के लिए दोनों महिला साध्वी को भी धन्यवाद दिया. जिन्होंने पूरी ईमानदारी से जान जोखिम में डालकर इस घटना में अंतिम समय तक साथ दिया. जनवरी 2005 में, अंशुल छात्रपति ने अपने पिता की मृत्यु की सीबीआई जांच के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. जिसे स्वीकार कर लिया गया और 12 साल सीबीआई कोर्ट में मुकद्दमा चलने के बाद अब राम रहीम को आरोपी साबित किया गया है. सजा अभी आने वाले सोमवार को सुनाई जायेगी.

श्री रामचन्द्र छत्रपति एक स्थानीय दैनिक अखबार "पूरा सच" चलाते थे. जिसमें उन्होंने सिरसा में डेरा मुख्यालय में डेरा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने महिलाओं को यौन उत्पीड़न के बारे में मिले एक गुमनाम पत्र को प्रकाशित किया. जिसके चलते कुछ महीनों के बाद उन्हें गोली मार दी थी. बाद में इलाज के दौरान उनकी म्रत्यु हो गई थी.
अंशुल ने बताया कि साध्वी द्वारा लिखे गए तीन-पृष्ठ के पत्र तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय और अन्य के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित कर लिखे गये थे. जिसमें उन्होंने डेरा प्रमुख बाबा गुरमीत राम रहीम पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाया था. "पत्र में बताया गया कि डेरा प्रमुख ने '' शुद्धता '' के कारण सिरसा आश्रम में अपनी महिला अनुयायियों का यौन शोषण किया था.
उच्च न्यायालय ने सीबीआई को 10 नवंबर, 2003 को मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था. जिसकी अब सुनवाई हो चुकी है. बाबा राम रहीम को आरोपी करार दिया जा चूका है. अब केवल सजा सुनाई जायेगी. इसके बाद मुझे अपने पिता के हत्यारे को सजा दिलाकर मानसिक शान्ति जरुर मिल जायेगी.
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