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भारत के डाक घरों में सरकार बेच रही है क़ानून की धज्जिया उड़ा कर, गंगा जल

Ashwin Pratap Singh
6 May 2017 11:20 AM GMT
भारत के डाक घरों में सरकार बेच रही है क़ानून की धज्जिया उड़ा कर, गंगा जल
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Government sell gangajal post offices in India
पंजाब/फ़िरोजपुर व्यूरो चीफ एच एम त्रिखा

भारत में गंगा जी को आस्था का प्रतीक माना जाता है ओर गंगा जल को अमृत तुल्य हिंदू धर्म के लोग मानते है इसी को देखते हुए भारत सरकार ने जुलाई 2016 में आम लोगो को गंगा जल आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए इसे भारतीय डाक घरों में बेचने का फ़ैसला लिया है और भारतीय डाक घरों के माध्यम से इसकी बिक्री शुरू, लेकिन सरहदी इलाक़े फ़िरोजपुर के हेड पोस्ट आफ़िस में बेची जा रही गंगाजल की बोतलों ने गंगा जल की विश्वसनीयता पर ही ढेरों सवालियान निशान खड़े कर दिए हैं जिससे सरकार का ये महकमा भी सवालों के कटघरे में खड़ा दिखाई दे रहा है.

चूँकि जो गॅगा जल फ़िरोजपुर हेड पोस्ट आफ़िस से खरीदा गया है उस गंगा जल का जहाँ पानी साफ नही है वहीं इस के भीतर जालनुमा कुछ है जो इसकी शुद्दता पर सवालिया निशान लगा रहा है इन तमाम बोतलों के उपर इंडिया पोस्ट का लेबल लगा कर बेचा जा रहा है गंगा जल इसी के साथ बोतलों में भर कर बेचे जा रहे.

गंगा जल को बेचते समय सरकार खुद ही कंपनी ऐक्ट के तमाम क़ायदे क़ानूनो को ताक पर रख कर बेख़ोफ़ इसे बेच रही है इसे 2 प्रकार की पैकिंग कर बेचा जा रहा है (500 ML.) गंगा जल को 22 रुपये में व (200 ML.) की बोतल को 15 रुपए में बेचा जा रहा है हैरत अंगेज है की सीलबंद बोतलों के उपर ना गंगा जल का रेट प्रकाशित किया जा रहा है.

और ना बैच नंबर है, बोतल के उपर मैनुफ़ैक्चरिंग व ऐकस्पायर होने की तिथि भी नही लिखी जा रही, आई.एस.आई का मार्का भी नही है कोई लाइसैंस नंबर नही है हैरानी की बात है कि सरकारी महकमा गंगा जल बेच रहा है लेकिन ग्राहक को रसीद तक नही दी जा रही है. और जो क़ानून दूसरी बोतल बंद पेय जल कंपनियो पर लागू हैं वो क़ानून भारत सरकार के उपर लागू क्यों नही.

इस तमाम गोरखधंधे की पोल वक्त खुली जब स्थानीय पोस्ट आफ़िस में से किसी ग्राहक ने गंगा जल की बोतल खरीदी तो पोस्ट आफ़िस में बैठी महिला कर्मचारी ने रसीद ही नही दी, बताया की हम तो इसे बिना रसीद ही बेच देते हैं उसके बाद हमारे संवाददाता एच एम त्रिखा ने मामले की पड़ताल की तो तमाम उपरोक्त जानकारियां सही पाई.

जब स्थानीय पोस्ट आफ़िस के सुप्रिडेंट प्रकाश सिंह से मामले को लेकर जानकारी चाही तो वो बोले हमे नही मालूम की इन बोतलों के ऊपर तमाम जानकारियां क्यों नही हैं गंगा जल भरने का यूनिट ऋषिकेश में हैं इतना हमें मालूम है गंगा जल वहीं से भरा जा रहा है ओर भारत सरकार के तमाम डाक घरों में इसे सप्लाई किया जा रहा है प्रकाश सिंह ने ये भी कहा की हमारे यहाँ गंगा जल की सेल बहुत कम है.

आख़िर ये गंगा जल का मामला है क्या है भारत सरकार ने हिंदू धर्म में गंगा जल की पवित्रता, शुभता व श्रद्धा को देखते हुए भारत के तमाम डाक घरों के ज़रिए गंगा जल को बोतलबंद के रूप में बेचने का फ़ैसला लिया जुलाई 2016 में केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद व मनोज सिन्हा ने एक स्कीम के तहत गंगा जल को भारतीय डाक घरों के माध्यम से बेचने की घोषणा की थी,

बोला था की हिंदू धर्म के लोगों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए अब गंगा जल डाक घरों पर उपलब्ध रहेगा लेकिन बोतलों में भरा जा रहा गंगा जल मैला है उसमे जालनुमा बोतल की तलहटी पर जमा दिखाई देता है ऐसी शिकायतें लोग आम कर रहे हैं, उसे भरते समय कंपनी ऐक्ट के तमाम क़ानूनो को ताक पर रख दिया गया है.

भारत सरकार को इस पवित्र जल को बोतलों में बंद करते समय तमाम जानकारियां के मुताबिक बोतलों पर छाप कर ही डाक घरों में सप्लाई करना चाहिए अगर इस जल को पीकर किसी भी व्यक्ति की सेहत बिगड़ जाए तो क्या सरकार ज़िम्मेदारी लेगी या धज्जिया उड़ा कर सरकार द्वारा गंगा जल बेचना न्यायोचित है.

एक ग्राहक ने खुलासा करते कहा की मैने डाक घर से 22 रुपये में 500 एम एल की गंगा जल की बोतल खरीदी घर जा कर देखा तो कुछ गन्दा जालनुमा बोतल बंद गंगा जल में दिखाई दे रहा था गंगा जल मैने अमृत समझ कर खरीदा था पीना था पूजा भी करनी थी विश्वास पर आघात हुआ जब देखा की जल मैला है.

क्या सरकार सारे मामले पर कोई ठोस कदम उठाएगी या मामला जस का तस ही रहेगा. ये तो आने वाला समय ही बताएगा की गंगा जल की बिक्री के नाम पर भारत सरकार लोगो की सेहत के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर सकती है.
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