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क्या अजमेर नगर निगम करता है भेदभाव की कार्यवाही

क्या अजमेर नगर निगम करता है भेदभाव की कार्यवाही
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अजमेर नगर निगम संदेह के घेरे में
कल नगर निगम के दस्ते ने चांद बाबड़ी स्तिथ ममता अग्रवाल के प्रतिष्ठान पर सीज़ की कार्यवाही की. उसके बिल्कुल पास ही उसी तरह का निर्माण है फिर भी उस निर्माण को छोड़ दिया गया. हैरानी की बात तो येे है की उस दूसरे निर्माण की कोई फ़ाइल तक नही चली है और उसकी कहि कोई रिपोर्टिंग नही हुई है.

कल की कार्यवाही को रवि नरचल जी की 490 लिस्ट से जोड़ा गया है. जिसके लिए रवि नरचल का कहना है की पहली बात 490 की लिस्ट उनकी नही है. दूसरा ये जो निर्माण सीज़ हुआ है. वो उनकी लिस्ट में नही था. उनकी लिस्ट में ममता साड़ी था. जिसका आज तक कुछ नही हुआ है. उनका कहना है कि निगम उनके नाम से नाजायज फायदा उठा रहा है जिसका जिक्र उन्होंने नए आयुक्त महोदय को भी कर दिया है.कुछ निगम कर्मी है. जो नाम रवि नरचल का लेते है और रोटियां अपनी सेंकते है.

क्या कारण है कि निगम रवि नरचल की असली लिस्ट में से किसी पर भी कार्यवाही नही करता. उनका कहना है कि इन सभी मामलों में पैसों का लेन देन हुआ है. इसीलिए कोई कार्यवाही नही होती.

अगर निगम ईमानदारी से कार्य करे और सभी अवैध निर्माणों पर कार्यवाही करे तो जनता भी समर्थन करेगी व निगम की आय बढ़ेगी क्योंकि यदि सभी पर बिना भेद भाव के कार्यवाही होती है तो किसी को एतराज नही होता और जनहित में सभी सहयोग करते है विरोध तभी होता है जब कार्यवाही सिलेक्टेड व भेद भाव पूर्ण होती है ,

समारोह स्थलों पर जो कार्यवाही हुई है, वो अच्छा है. परंतु अब सभी पर कार्यवाही होनी चाहिए और खास तौर पर विजय लक्ष्मी पार्क पर जो कि न 60 फ़ीट रोड पर है. न ही पार्किंग है. ओर हॉस्पिटल से दूरी 100 फ़ीट से भी कम है. इसकी समस्त पार्किंग आजाद पार्क में कराई जाती है. जब निगम का खुद का समारोह स्थल ही अवैध है तो सबसे पहले निगम को उसी पर कार्यवाही करनी चाहिए.

यदि निगम में नक्शे जल्दी पास होने लग जाये तो अवैध निर्माणों पर काफी हद तक रोक लग सकती है. आज आलम ये है कि निगम से नक्शा पास कराना मतलब एवरेस्ट चढ़ने के बराबर है.

एकल खिड़की पर भी नक्शे पास नही हो रहे. नगर निगम की पूरी कार्यवाही को कंप्यूटराइज करने के लिए स्टाफ को ट्रेनिंग पर लाखों खर्च किये गए है. उसके बाबजूद आज तक कंप्यूटराइज नही किया गया. इसमें प्रावधान था कि नक्शे के लिए परिवादी को आने की आवश्यकता नही पड़नी चाहिए परंतु निगम कर्मियो की ऊपरी आमद बंद हो जाएगी. इस वजह से इसको अमल में नही लाया जाता.

देखना है की हालात कब तक सुधरते है. सारा काम ऑनलाइन हो जाए तो समस्या का काफी हद तक निराकरण हो सकता है . नए आयुक्त महोदय से बहुत उम्मीद है और शायद वे इस समस्या पर ध्यान देंगे और इसका निराकरण करेंगे.

विनीत जैन
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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