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चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का ऐसे रुकवाया निलम्बन

चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का ऐसे रुकवाया निलम्बन
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Such suspended suspension of Election Commissioner Sunil Arora

वरिष्ठ पत्रकार महेश झालानी की कलम से

एक समय था जब नए चुनाव आयुक्त नियुक्त हुए सुनील अरोड़ा पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। बेबुनियाद आरोपो को लेकर सरकार ने लापरवाही के चलते उन्हें सस्पेंड करने तक की विधानसभा में घोषणा कर दी थी। ऐसे समय मे मैंने वास्तविक स्थिति से अवगत कराते हुए सरकार को अपना निर्णय बदलने को बाध्य कर दिया। जिस अरोड़ा के खिलाफ विपक्ष के नेता भैरोसिंह ने जम कर आरोप लगाए थे, उन्हें बिना किसी की सिफारिश के मुख्यमंत्री बनने के बाद भैरोसिंह ने अपना सचिव बनाया। गाज हाल ही में रिटायर्ड हुए पुलिस महानिदेशक मनोज भट्ट पर भी गिरने वाली थी, लेकिन वे भी बेदाग साबित हुए।


राजस्थान के काबिल अफसरों में शुमार रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सुनील अरोड़ा अब चुनाव आयुक्त बन गए है। अपनी काबिलियत की वजह से वे इंडियन एयर लाइन्स के चेयरमैन भी रह चुके है । प्रसार भारती के सलाहकार, दो बार मुख्यमंत्री के सचिव रह चुके अरोड़ा को प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव आयुक्त का दायित्व सौंपा है। हालांकि वे भैरोसिंह और वसुंधरा के सचिव रहे, फिर भी वे गहलोत के भी काफी निकट है। जोधपुर कलेक्टर रहते हुए गहलोत ने उनके कार्य को बड़ी बारीकी और करीब से देखा है।


यह बात संभवतया 1988 की है । यानी 29 साल पहले की । सुनील अरोड़ा अलवर के कलेक्टर और मनोज भट्ट पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात थे। यह खाकसार नवभारत टाइम्स में रिपोर्टर हुआ करता था। कलेक्ट्री के दौरान अलवर जिला अंतर्गत कठूमर विधानसभा क्षेत्र के मसारी गांव में एक भीषण हादसा होगया जिसकी गूंज विधानसभा तक मे सुनाई दी।


मामला था एक हरिजन दूल्हे के घोड़ी पर चढ़ने का। स्वर्ण जाति के लोग इस बात पर अड़े हुए थे कि हरिजन को किसी भी हालत में घोड़ी पर चढ़ने नही दिया जाए। कलेक्टर सुनील अरोड़ा और एसपी मनोज भट्ट ने 18 घंटे तक गांव में डेरा डाला। स्थिति बहुत तनावपूर्ण होगई थी। लेकिन कलेक्टर और एसपी ने बड़ी सूझबूझ से हालत पर नियंत्रण पाया।


सुनील अरोड़ा से कठूमर के विधायक बाबूलाल बैरवा खुन्नस खाते थे। अरोड़ा को लपेटे में लेने का उनके पास सुनहरा अवसर हाथ लग गया। बैरवा ने विपक्ष के नेता भैरोसिंह शेखावत को गलत ब्रीफ करते हुए मसारी कांड विधानसभा में उठाने के लिए राजी कर लिया। शेखावत के धुंआधार और आक्रामक भाषण के बाद तत्कलीन गृह मंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की कि अलवर के कलेक्टर और एसपी को सस्पेंड कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

मैं उस समय विधानसभा में उपस्थित था । मेरे पत्रकार मित्र बलवंत तक्षक का मैसेज आया कि मैं तुरंत उससे बात करलू। उस समय मोबाइल का जमाना नही था। मैंने चंदनमल बैद के चैंबर से तक्षक से बातचीत की। तक्षक ने कहाकि कलेक्टर साहब से बात करलो। अरोड़ा साहब ने पूछा कि क्या हुआ मसारी कांड का ? मैंने सारी स्थिति बताते हुए कहाकि सरकार ने आपको और भट्ट साहब को निलंबित करने का फैसला किया है। उन्होंने सारी स्थिति विस्तार से बताते हुए कहाकि यह अन्याय है। उन्होंने मुझसे मदद करने का आग्रह किया।

मैं सर्वप्रथम गृह मंत्री अशोक गहलोत के पास गया और उन्हें सारी स्थिति से अवगत कराया। गहलोत साहब ने सलाह दी कि मैं मुख्यमंत्री से बात करू। मैं मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के पास गया। उन्होंने विस्तार से बात सुनने के बाद शेखावत साहब से मिलने की राय दी। मैं शेखावत साहब के चैंबर में गया तो वहाँ विधायक पुष्पा जैन के साथ शेखावत किसी विषय पर चर्चा कर रहे थे। फ्री हुए तो मैंने छूटते ही शेखावत साहब से पूछा-विधानसभा निरपराधी को सजा और अपराधी को संरक्षण देने का अड्डा है क्या ?

शेखावत साहब ने मेरा क्रोध शांत करते हुए तफसील से मेरे आने का कारण पूछा। मैंने मसारी की सारी हकीकत बयान करदी और यह भी कहाकि आपको किसी ने गलत ब्रीफ किया है। उन्होंने तत्काल अलवर के पूर्व विधायक जीतमल जैन से फोन के जरिये बात की। जीतमल जैन ने कलेक्टर और एसपी को निर्दोष बताते हुए वास्तविक स्थिति से अवगत कराया। हम तीनों यानी मैं, शेखावत साहब और पुष्पा जैन पहुँच गए मुख्यमंत्री के चैंबर। शेखावत साहब ने शिवचरण माथुर से बहुत ही स्पस्ट शब्दो मे कहाकि मसारी कांड पर कलेक्टर और एसपी पर लगाये तमाम आरोप वापिस लेता हूँ। मुझे इस बात का खेद भी है कि मैंने कर्तव्यपरायण अफसरों पर आधारहीन आरोप लगाया। लंबी मंत्रणा के बाद तय हुआ कि सुनील अरोड़ा को RSEB का सचिव और मनोज भट्ट को RSEB में ही विजिलेंस का निदेशक बनाने का फैसला हुआ।

मैंने सारी स्थिति से अरोड़ा को अवगत करा दिया। उन्होंने आग्रह कियाकि मैंने जो किया है उसके लिए आभार । लेकिन HOD (विभागाध्यक्ष) बना दिया जाए तो बेहतर होगा। अंत मे मैंने मुख्यमंत्री को समाज कल्याण विभाग का निदेशक बनाने पर राजी कर लिया। लेकिन एसटी और एससी विधायको के दबाव के चलते बाद में उन्हें भेड़ और ऊन विभाग का निदेशक बनाया गया। वे जिस पद पर भी रहे, उसका बखूबी संचालन किया। यही वजह है कि अपनी काबिलियत के चलते वे आज चुनाव आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद पर काबिज होगये है।

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