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BJP शासन में चमत्कार, लकड़ी की चाबी से खुलते है जेल के ताले, अंधेरी रात में कांच में देखकर मारा आनंदपाल को!

Special Coverage News
14 July 2017 7:30 AM GMT
BJP शासन में चमत्कार, लकड़ी की चाबी से खुलते है जेल के ताले, अंधेरी रात में कांच में देखकर मारा आनंदपाल को!
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यहां भी राम जी की कृपा से चमत्कार हो गया कि आनंदपाल घुप्प अँधेरे में एके-47 रायफल से दीवार पर निशाने बाजी की प्रेक्टिस कर रहा था। यदि सचमुच में आनंदपाल पुलिस पर एके 47 से गोलियां चला देता तो क्या होता ?
हमारा देश चमत्कारों का देश है। यहां पर साधू सत्ता पर विराजमान होकर भगवा चमत्कार करते है। भाजपा और संघ परिवार के लोगों ने इस देश में धार्मिक चमत्कार करने का पेटेंट अपने नाम पर करवा लिया है। भाजपा के शासन वाले राज्यों में अब बुद्धि, विवेकहीन, आडम्ब रचकर अपने कुतर्कों के बलपर भाजपाई सत्य को झुठला रहे हैं। विवेकहीन भाजपा के मुख्य मंत्रियों ने राज्यों में भी गजब के कानून बना रखे है।

भारतीय दण्ड सहिता की धारा 354 नारी की लज्जा गरिमा भंग करने का दण्ड देने के लिए है। यदि कोई भी व्यक्ति पराई नारी से छेड़छाड़ करेगा तो वह दो वर्ष के कारावास से दण्डित होगा। कोई व्यक्ति हरियाणा राज्य में गाय को डंडा मरेगा तो तीन वर्ष की सजा व 30 हजार रूपये जुर्माना लगेगा। अवैध रूप से गाय परिवहन करने पर 10 वर्ष की सजा और एक लाख जुर्माना।

इसी प्रकार गुजरात राज्य में उम्रकेद तक की सजा का प्रावधान कर रखा है। नारी के सम्मान की कीमत व उसकी चिंता भाजपाइयों को इसलिए नही है कि इससे उन्हें वोट नही मिलते है। देश में हिन्दू धर्म की पांच करोड़ महिलाए विधवा बनकर जीवन जी रही है। डेढ़ करोड़ अनाथ महिलाए वृन्दावन मथुरा में भीख मांग कर गुजारा कर रही है। देश के प्रधानमंत्री फिर भी कहते है 'सबका साथ सबका विकास' हो रहा है। सच में देश में चमत्कार हो रहा है। उत्तर प्रदेश में अपराध के आंकड़े भयावह होते जा रहे हैं।

पुलिस नागरिक महिलाए थाने में घर में बाजार में कही भी सुरक्षित नही है। सामूहिक बलात्कार, हत्या, लूट डकेती करने वालो के अच्छे दिन आ गये है। उत्तर प्रदेश में फिर भी वहां के मुख्यमंत्री योगी जी कह रहे है कि 15 वर्ष में पहली बार यूपी में रामराज आ गया है। वेसे पृथ्वी से परशुराम ने क्षत्रियों का समूल नाश सात बार कर दिया था फिर भी आज देश में अनेक राज्यों के मुख्यमंत्री सहित योगी आदित्यनाथ महाराज राजपूत जाति से है इनका प्रकट होना भी एक चमत्कार ही तो है। देश के प्रधानमंत्री के साथ भाजपा के मुख्यमंत्रियों में होड़ लगी कि सबसे ज्यादा झूठे जुमले बोलकर जनता को ज्यादा से ज्यादा मूर्ख कौन बनाता है।

आजादी के पश्चात देश की राजनीती में शायद यह पहला और अनूठा अवसर होगा जब देश के प्रधानमंत्री के द्वारा किये गये चुनावी वादों को उनकी ही पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह ने चुनावी जुमले कहकर प्रधानमंत्री के झूठे वादों से पल्ला झाड लिया। मध्य प्रदेश के तथा कथित सिम्मी के सदस्यों के जेल से भागने की घटना में लकड़ी की चाबी से जेल के ताले खुल जाते हैं। इसी प्रकार अमावास की काली अँधेरी रात में सीसे में आनंद पाल की छवि देखकर राजस्थान पुलिस के बहादुर निशाने बाज पुलिस कमांडो उसे गोली मार देते हैं। राजस्थान सरकार का गृहमंत्री गहरी नींद में सो रहा था। मुख्यमंत्री उन्हें आनंदपाल के मुठभेड़ में मारे जाने पर बधाई देती है आनंदपाल के द्वारा 100 राउंड फायर करने के बाद भी एक मात्र गोली वो भी दीवार से टकराकर कमांडो सोहन को लगी है।

यहां भी राम जी की कृपा से चमत्कार हो गया कि आनंदपाल घुप्प अँधेरे में एके 47 रायफल से दीवार पर निशाने बाजी की प्रेक्टिस कर रहा था। यदि सचमुच में आनंदपाल पुलिस पर एके 47 से गोलियां चला देता तो क्या होता ? पुलिस अधिकारी एम एन दिनेश का बयान देना कि मैं घटना स्थल पर उपस्थित नही था। अब कोई उनसे पूछे कि आपको इस प्रकार के बयान देने की जल्दी और जरुरत क्या थी। पुलिस के ही सूत्र बता रहे हैं कि आनंदपाल गत एक महीने से भी अधिक समय से पुलिस की नजरो के सामने था।

यहाँ पर एक मासूम चेहरा युनुस खां का है, जिसे पुलिस की रेंज में आनंदपाल के आने की खबर मिलते ही वह अपने पापों का प्रायश्चित करने मक्का मदीना की तीर्थ यात्रा पर निकल पड़ा। इसे ही कहते है कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना। आनंदपाल की मुठभेड़ में हुई मौत से प्रमाणित हो गया है कि हमारे देश के नेताओं की नजर में किसी भी आदमी की कीमत उस वक्त तक है जब तक वह व्यक्ति राजनेताओ के लिए उपयोगी बना रहता है।

आनंदपाल हत्यारा था, अपराधी था, उसने बड़े अपराध किये थे इससे क्या राज्य पुलिस को यह अधिकार मिल थोड़े ही जाता है कि पुलिस कि हिरासत में समर्पण करने के बाद पुलिस ही उसे मार डाले। कोई भी व्यक्ति कितना ही बड़ा अपराधी क्यों ना हो उसे सजा देने का काम न्यायालय का है ना ही पुलिस एवं जनता का। आनंदपाल की मौत के बाद तथ्यों को नष्ट करने के लिए क्यों साधारण प्राथमिक चिकित्सालय में आनन फानन में पोस्ट मार्टम कराया गया। यहां पर पुलिस जो की कानून की जानकार है उसे स्पष्ट पता था कि आनंदपाल के परिवार पर अत्याचार करने एवं दबाव बनाने से वे शव की अंत्येष्ठी कर देंगे इससे वे सारे सवाल जो इस एनकाउंटर से जुड़े है वे हमेशा के लिए शांत हो जाएंगे।

प्रथम पोस्ट मार्टम में शव से गोलियां तक नही निकाली, बाद में रतनगढ़ के अतिरिक्त जिला न्यायालय के आदेश पर दुबारा पोस्टमार्टम किया गया। यहाँ पर एनकाउंटर में देश के सर्वोच्च अदालत के निर्णय की घोर अवेहलना की गई। पुलिस अधीक्षक विधा प्रकाश ने आनंदपाल को मारने की सुपारी के तहत राजू ठेहठ गिरोह से नई फोर्चुनर कार गिफ्ट में ली इसने ही पूर्व में आनंद पाल के जीजा को कथित रूप से मादक पदार्थ रखकर झूठा केस बनाकर जेल भेज दिया, आनंदपाल की पत्नी ने ये आरोप लगाये हैं।

आज तक आनंदपाल के भाइयों से उनके घरवालों को और उनके वकीलों तक को मिलने नही दिया जा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि पुलिस सब कुछ जानबूझकर सच छुपाने के लिए प्रयासरत है। राजस्थान पुलिस के पूर्व अधिकारीयों ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी घोषित कर दिया है। यही कारण है कि आनंदपाल की ह्त्या की जांच की मांग पूर्ण करने से राजस्थान सरकार भाग रही है। राजपूत समाज के नेता और आनंदपाल के वकील ने इसे राजनेतिक फायदे के लिए की गई फर्जी मुठभेड़ बताया है।

समाज के बढ़ते दबाव के कारण अब राज्य सरकार एनकाउन्टर की सी बी आई जांच के अलावा अन्य सभी मांगे मानने को तैयार है। सी बी आई जांच की मांग को नही मानने के पीछे अपनी ही पार्टी के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का 36 का आंकड़ा माना जा रहा है। यदि सी बी आई इस घटना की जांच करती है तो स्वयं राज्य की मुख्यमंत्री जो इस घटना को लीड कर रही थी उसका पुराना हिसाब नरेन्द्र मोदी चुकता कर सकते हैं। साथ ही इस काण्ड में मुख्यमंत्री के करीबी युनुस खां राजेंद्र राठोड, गजेन्द्र खीवसर पर आंच आना तय है।

आनंदपाल की हत्या करने के लिए बीकानेर जेल में विरोधी गुट के बदमाशो के पास जेल में सुरक्षा होने के बाद रिवाल्वर पहुंचा दी जाती है फिर जेल में ही उस पर गोली चलाई जाती है, जिसमे उसका एक साथी मारा गया। यह भी आनंदपाल की कहानी का एक भाग है जिसका सच सामने नही आ पाया है। आनंदपाल पैदा नही होते, बनाये जाते हैं। आनंदपाल जेल में भी सुरक्षित नही था इस कारण ही वह जेल से भागा था। हमेशा उसका सहयोग करने वाले युनुस खां का और उसके जैसे भृष्ट भाजपा मंत्री जो निर्दोष नौजवानो को अपराधी बनाते है। इन सफेदपोश गुंडों के चरित्र की बात क्यों नही की जाती है ?

जब तक सत्ता लोलूप नेता भृष्ट पुलिस जन रहेंगे, समाज में आनंदपाल किसी ना किसी रूप में सामने आते रहेंगे। आनंदपाल की ह्त्या मुठभेड़ में करने के पीछे राजनैतिक कारण भी हैं। राज्य में भाजपा सरकार पूर्णतया विफल साबित हो चुकी है और भृष्टाचार करने से यह सरकार व् इसकी मुखिया पर हजारो करोड़ रूपये खाने के आरोप लग चुके है। राज्य के विधान सभा चुनावो में एक वर्ष का समय शेष बचा है। राज्य के चुनावों में अशोक गहलोत बनाम वसुंधरा चुनाव होता है तो भाजपा की हार निश्चित है। राज्य में जाट समुदाय अशोक गहलोत को अपना दुश्मन मानकर चलता है, इस कारण जाट समुदाय की सहानुभूति प्राप्त करने के लिए जाटों का दुश्मन बने आनंदपाल को वसुंधरा सरकार ने ठिकाने लगवाया है। इससे जाट कांग्रेस से टूटकर भाजपा में आजाएंगे। वैसे भाजपाइयों के मुह पर हत्याओं का स्वाद चढ़ चूका है।

गत भाजपा की वसुंधरा सरकार में राजेंद्र राठोड मंत्री को धमकी देने के कारण ही दरिया को फर्जी मुठभेड़ में मार डाला गया था। इस केस की जांच में पुलिस के अतिरिक्त महानिर्देशक ए.के. जेन, पोन्नूचामी सहित अनेक पुलिस कर्मी जेल गये थे। उदयपुर में मार्बल व्यवसायी आर. के. जेन के इशारे पर तुलसी प्रजापती, सोहराबुद्दीन व् उसकी पत्नी को बलात्कार करके मार डाला गया था। लाशो के ढेर पर राजनीती करने वाले भाजपाइयों के मन में कभी पश्चाताप नही होता है। इनकी पार्टी के अमित शाह फर्जी मुठभेड़ में जेल जा चुके है। राज्य के पुलिस अफसर एम् एन दिनेश 7 वर्ष जेल की हवा खा चुके है। मंत्री राठोड जेल जाकर बड़ी जोड़ तोड़ से दरिया काण्ड में बचे है।

गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान में वोटो की चाहत में बेगुनाहों की जान लेने वाले नरपिशाचो की मानवता मर चुकी है। कानून के शासन की स्थापना की शपथ लेने के बाद खुद के द्वारा कानून तोड़ने पर इन्हें क्यों लज्जा नही आती ? इनके सबसे बड़े गुरु एल के आडवानी को भी दंगो में मरने वालो का श्राप लग गया है। बुढापे में अब वे भाजपा के लिए फालतू का सामान बनकर रह गये है, जो घर के किसी कोने में बैठकर चीखते चिल्लाते है, पर उनकी सुनता कोई नही है। पत्नी वियोग और उस के बाद अपनों द्वारा मिला तिरस्कार उनको रोने भी नही देता है। आनंदपाल के केस में उसके परिजन न्याय के लिए अदालत का दरवाजा ख़ट खटाएंगे। इस सन्दर्भ में मृतक आनंदपाल की पत्नी ने रिपोर्ट दर्ज कराने की कार्यवाही शुरू कर दी है। प्रदेश के राजपूत समाज के साथ विश्नोई समाज और अन्य समाज अब इस लड़ाई में एक साथ होकर राज्य सरकार से न्याय की मांग कर रहे है।

दिनांक 24.06.2017 की रात को आनंदपाल एनकाउंटर में मारा गया था उसका आज पुलिस की देख-रेख में अंतिम संस्कार किया गया। लोक तंत्र में असमहमति के स्वरों की कुचलना और उन्हें राष्ट्र विरोधी करार देना भाजपाइयों की आदत बन चुकी है। राज्य में सरकार की राजसी हटके सामने प्रदेश की जनता बेबस दिखाई दे रही है। लोकतंत्र में संवाद से शासन प्रशासन चलता है। राज्य सरकार की संवेदनहीनता के कारण समाज में सरकार की प्रतिष्ठा पूर्णतया धूमिल हो चुकी है। जनता को आने वाले विधान सभा चुनावो का इन्तजार है।

मो. हफीज, व्यूरो चीफ, राजस्थान



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