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Archived
दामाद की पोस्टिंग के लिए शिवपाल ने लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी
Special Coverage News
26 July 2016 6:26 AM GMT
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल यादव के दामाद को मदद पहुंचाने में अपने ही मंत्रालय की राय को अनदेखा किया। राजनीतिक विरोधी भी कई बार नियमों को तोड़ने के मामले में दोस्त बन जाते हैं।
जो काम नियमों के तहत नहीं होते वो सियासी रसूख से हो जाते हैं।दस्तावेज़ बताते हैं कि शिवपाल यादव के आईएएस दामाद को डेप्युटेशन पर एक राज्य से दूसरे राज्य में लाने के लिए प्रधानमंत्री की नियुक्ति कमेटी ने अपने ही कार्मिक मंत्रालय के तीन-तीन बार की गई आपत्तियों को अनदेखा किया।
यूपी में बाराबंकी के डीएम अजय यादव 2010 बैच के आईएएस हैं, लेकिन उनका मूल काडर तमिलनाडु है। पिछले साल 28 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने अजय यादव को तीन साल के लिए यूपी में पोस्टिंग दी, उनकी डेप्युटेशन यानी प्रतिनियुक्ति की अर्ज़ी को मंजूरी देकर। प्रशासनिक अधिकारियों की पोस्टिंग पर फैसला करने वाली इस कमेटी को अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट यानी एसीसी कहा जाता है, जिसके अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री हैं।
दस्तावेज़ बताते हैं कि अजय यादव ने नवंबर, 2014 में यूपी में पोस्टिंग मांगी। इसके लिए उन्होंने अपने बच्चे की बीमारी को मुख्य वजह बताया। साथ ही पिता के निधन के बाद अपनी मां की देखरेख की मजबूरी भी बताई। लेकिन कार्मिक मंत्रालय ने पहले मई, 2015 में ये प्रस्ताव ठुकराया और कहा कि डेप्युटेशन के लिए कम से कम 9 साल मूल काडर में सेवा ज़रूरी है।
अजय यादव की ओर से दोबारा अर्ज़ी भेजे जाने पर भी मंत्रालय ने यही वजह बता कर उन्हें डेप्युटेशन देने से इनकार कर दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से एक चिट्ठी लिखी गई, जिसमें कहा गया कि खुद समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी के कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने पीएम से इस पोस्टिंग के लिए सिफारिश की है।
दिलचस्प है कि पीएमओ की ओर से भेजी गई इस चिट्ठी के बाद 31 अगस्त को बुलाई गई मीटिंग में भी कार्मिक मंत्रालय ने अजय यादव के डेप्युटेशन की अर्ज़ी को नियमों के खिलाफ माना और नियमों में किसी तरह की ढील देने से इनकार करते हुए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली नियुक्ति कमेटी एसीसी से इस पोस्टिंग को न दिए जाने की सिफारिश की। इसके बावजूद पिछले साल अक्टूबर में अपॉइंटमेंट कमेटी ऑफ कैबिनेट ने नियमों में ढील देते हुए अजय यादव के डेप्युटेशन को 3 साल के लिए मंजूरी दे द
हालांकि किसी भी डेप्युटेशन में आखिरी फैसला लेना एसीसी का ही काम है, लेकिन इस मामले में क्या नियमों को इसलिए ढीला किया गया, क्योंकि अफसर एक बड़े नेता के रिश्तेदार हैं। वह भी तब जब कार्मिक मंत्रालय बार-बार इनकार कर रहा था। और क्या ये सच नहीं कि जो काम नियम नहीं करवा पाते, वह काम नेताओं की चिट्ठी करवा लेती है।
source:- http://khabar.ndtv.com
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