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OMG: 1100 करोड़ की लागत से बन रही रेल पुल की ऊंचाई एफिल टावर से ऊँची
Kamlesh Kapar
3 May 2017 1:47 PM GMT
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This rail bridge constructed at a cost of 1100 crores
जम्मू-कश्मीर : चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल बनेगा। इसी ऊंचाई एफिल टॉवर से करीब 35 मीटर अधिक होगी। पुल के वर्ष 2019 में पूरा होने की उम्मीद है। परियोजना में शामिल रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पुल का निर्माण कश्मीर रेल लिंक परियोजना का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है और पूरा होने पर यह इंजीनियरिंग का एक अजूबा होगा।
यह इलाके में पर्यटकों के आकर्षण का एक केंद्र होगा। निरीक्षण के मकसद के लिए पुल में एक रोपवे होगा। इस पुल से राज्य में आर्थिक विकास और सुगमता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
इंजीनियरिंग का कारनामा
1100 करोड़ रुपये की लागत आएगी
अर्द्धचंद्र आकार का बड़ा ढांचा होगा
24000 टन इस्पात का इस्तेमाल ढांचे के निर्माण में
260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवा को सहने में सक्षम
1.315 किलोमीटर लंबा यह पुल बक्कल (कटरा) और कौड़ी (श्रीनगर) को जोड़ेगा
111 किलोमीटर के इलाके को जोड़ेगा जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है
120 साल पुल की उम्र होगी
सबसे अधिक ऊंचाई होगी
359 मीटर ऊंचाई नदी के तल से होगी
324 मीटर है एफिल टॉवर की ऊंचाई,
275 मीटर है चीन के बेईपैन नदी पर बने शुईबाई रेलवे पुल की ऊंचाई
5 गुणा ज्यादा ऊंचाई होगी कुतुबमीनार से, 73 मीटर ऊंचाई है इसकी
आधा समय लगेगा
पुल के बन जाने से बारामूला से जम्मू तक का रास्ता साढ़े छह घंटे में तय किया जा सकेगा। अभी सड़क से यह रास्ता तय करने में 13 घंटे लगते हैं
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के कार्यकाल में शुरू हुई थी परियोजना
इस पुल का निर्माण कार्यकाल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 2002 में शुरू हुआ था
यह पुल इंडो-यूरोपियन साझेदारी से संयुक्त रूप से चलाई जा रही कोंकण रेलवे की परियोजना का हिस्सा है
2008 में इसे असुरक्षित करार देते हुए निर्माण कार्य रोक दिया गया
2010 में फिर से काम शुरू हुआ। अब इसे नेशनल प्रोजेक्ट घोषित किया गया है
सेंसर लगा होगा
रेलवे पुल में हवा की रफ्तार नापने के लिए सेंसर भी लगाएगा
90 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक हवा की रफ्तार होने पर सिग्नल लाल हो जाएगा और रेल संचालन को रोक दिया जाएगा
सुरक्षा व्यवस्था भी पुख्ता होगी
पुल की सुरक्षा व्यवस्था भी चाक चौबंद होगी। आतंकी हमलों को देखते हुए 63 मिमी मोटा विशेष ब्लास्ट फ्रूप स्टील इस्तेमाल किया जा रहा है। पुल के खंभे इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि वे धमाकों को झेल सकें। साथ ही खंभों पर ऐसा पेंट होगा जो कम से कम 15 साल चलेगा। पुल की निगरानी के लिए सुरक्षाकर्मी की तैनाती होगी। साथ ही आपातकालीन स्थिति में पुल और यात्रियों की रक्षा के लिए एक ऑनलाइन निगरानी और चेतावनी प्रणाली लगाई जाएगी। पुल पर फुटपाथ और साइकिल मार्ग बनाया जाएगा।
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