Archived

मिशन – 2017 के मद्देनजर बुंदेलखंड के जालौन जिले में विधानसभावार सपा की स्थिति – प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

Special Coverage
12 Jun 2016 6:45 AM GMT
मिशन – 2017 के मद्देनजर बुंदेलखंड के  जालौन जिले में विधानसभावार सपा की स्थिति – प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव
x

पूर्वानुमान

जिले में विधानसभा की कुल सीटें03

सपा02

बसपा01

कांग्रेस00

भाजपा00

ओवैसी या अन्य00


जालौन उत्तर प्रदेश बुंदेलखंड का एक प्रमुख जिला है. इस जिले में विधानसभा की कुल 3 सीटें हैं. जिनमें एक-एक सीट पर सपा, बसपा और कांग्रेस का कब्ज़ा है. किन्तु पिछले चार सालों से अखिलेश सरकार द्वारा किये गये विकास कार्य एवं उम्मीदवारों के चयन से सपा के पक्ष में हालात बने हैं. अब मैं यहाँ के लोगों से की बातचीत के आधार पर विधानसभावार सपा की स्थिति स्पष्ट कर रहा हूँ –


माधोगढ़ विधानसभा – यह सीट इस समय बसपा के कब्जे में हैं. इस सीट से संतराम कुशवाहा विधायक हैं. किन्तु पिछले चार सालों में उन्होंने जनता की इतनी उपेक्षा की है कि जनता सीधे तौर पर उनके विरोध पर उतर आई है. इसकी सूचना बसपा सुप्रीमों मायावती को भी है, इसी कारण बसपा सुप्रीमों उन्हें यहाँ से दुबारा उम्मीदवार नही बनाने जा रही हैं. किसी दूसरे नेता को टिकट देंगी. इसी बीच सपा ने इस क्षेत्र के अपने सबसे लोकप्रिय नेता लाखन सिंह कुशवाहा को टिकट देकर बाजी मार ली है. वे तीन बार कुशवाहा समाज के जिला अध्यक्ष रह चुके हैं. अपने समाज के सभी लोगों से उनके घरेलू ताल्लुकात हैं. पूरे जिले में उनकी अलग पहचान है. इस विधानसभा में सर्वाधिक कुशवाहा मतदाता होने के कारण उनकी स्थिति काफी मजबूत है. इस कारण विपक्ष चाहे जिसे उम्मीदवार बना लें, जीत तो सपा की ही होगी. कांगेस यहाँ से उरई के पूर्व विधायक विनोद चतुर्वेदी को टिकट देने जा रही है और भाजप से संतराम सेंगर को टिकट मिलेगा. अब हम इस विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण पर नज़र डाल लेते हैं. इस विधान सभा क्षेत्र में करीब 70 हजार कुशवाहा मतदाता है. ठाकुर मतदाताओं की संख्या करीब 35 हजार है. लगभग इतने ही ब्राहमण मातदाता भी हैं. राठौड़ मतदाताओं की संख्या करीब 30 हजार है. यादव मतदाता इस विधानसभा में करीब 7 हजार हैं. इसके आलावा अन्य छोटी जातियों की संख्या करीब 2-3 हजार है. इसमें सपा के उम्मीदवार को कुशवाहा, यादव एवं राठौड़ जाति के लोगों का मत मिलेगा. थोडा-बहुत ठाकुर एवं ब्राहमण मतदाताओं का भी वोट मिल सकता है. इस तरह से सपा उम्मीदवार की अजेय स्थिति है. इस सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या कम होने के कारण ओवैसी के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जायेगी, यदि उन्होंने अपना उम्मीदवार खड़ा किया.


कालपी विधानसभा – जालौन की इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस का कब्ज़ा है. उमाकांति यहाँ से विधायक हैं. किन्तु इस बार वे कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं. वे सपा में आना चाहती हैं, किन्तु अभी तक कई प्रयास करने के बावजूद भी उन्हें सफलता नही मिली है. यदि वे सपा में आ जाती हैं, और टिकट मिल जाता है, तो यह सीट भी सपा जीत सकती है. वैसे सपा ने यहाँ से नंदू राजा को यहाँ से टिकट दिया है. नन्दू राजा उर्फ़ विष्णु पाल सिंह चौ. शंकर सिंह के बेटे हैं. जो सपा मुखिया के काफी करीबी लोगों में गिने जाते थे. अब वे इस दुनिया में नही रहे, इसी कारण सपा ने उनके बेटे को टिकट दिया है. सुनने में आया है कि वे टिकट वापसी का प्रयास कर रहे हैं. यदि उनका यह प्रयास सफल हो जाता है, और टिकट श्री राम पाल को मिल जाता है, तो भी यह सीट सपा निकाल सकती है. बसपा यहाँ से छोटे सिंह को टिकट दे रही है, भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. अब इस विधानसभा के जातीय स्थिति की चर्चा भी कर लेते हैं , इस विधान सभा में पाल सबसे अधिक करीब 60 हजार मतदाता है. ठाकुर करीब 55 हजार, यादव करीब 40 हजार है. अन्य जातियों की संख्या 1-3 हजार हैं. जो पाल और यादव बिरादरी के साथ रहती हैं.


उरई विधान सभा – जालौन की यह विधान सभा सीट सपा के कब्जे में है. दयाशंकर वर्मा इस सीट से विधायक हैं. कोरी जाति के एवं सीधे होने के कारण इस क्षेत्र की जनता इनका विरोध नही करती. वैसे ये लगभग सभी पार्टियों का राजनीतिक स्वाद चख आये हैं. इस क्षेत्र की जनता ने बताया कि ये राजा भैया के गुट के हैं. यदि राजा भैया पार्टी छोड़ कर जायेंगे, तो यह भी चले जायेंगे. जिसके आसार कम हैं. उनकी स्थिति काफी मजबूत है. यदि सपा इन्हें टिकट देती है, तो यह सीट फिर सपा जीत लेगी. बसपा ने इस सीट से कोंच से विधायक रहे अजय सिंह पंकज को मैदान में उतारा है. कांग्रेस की ओर से उरई नगर पालिका के चैयरमैन विजय लोधी चुनाव लड़ेंगे. पिछली विधानसभा चुनाव में इन्हें करीब 5हजार वोट मिले थे, जनता ने जो संकेत दिए हैं, उसके आधार पर इस बार भी उन्हें इतने ही वोट मिलेंगे. भाजपा से सुनीता वर्मा चुनाव लड़ेगी. लेकिन किसी में भी सपा विधायक की जीत छीन लेने की राजनीतिक ताकत और मतदाताओं में पैठ नही है. अब हम यहाँ की जातीय स्थिति पर भी थोड़ी नज़र डाल लेते हैं. इस विधानसभा में करीब 60 हजार कोरी,50 हजार मुस्लिम, 30 हजार यादव, 35 हजार लोधी, 50 हजार निरंजन हैं. बाकी छोटी-छोटी जातियों की संख्या करीब 1-3 हजार तक है. निरंजन को एम एल सी बना देने से इस जाति का अधिकांश मतदाताओं का वोट सपा को मिलेगा. क्योंकि इससे यहाँ का निरंजन मतदाता गदगद है. इस विधान सभा से यदि ओवैसी अपने उम्मीदवार उतारते हैं, तो उन्हें करीब 5-8 हजार वोट मिल सकते हैं. ऐसा इस क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं में स्वीकार किया. यदि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थोड़ी सूझ-बूझ से काम लेते हैं, तो इस जिले की सभी सीटों पर सपा कब्ज़ा जमा सकती है.


प्रो. (डॉ.) योगेन्द्र यादव

विश्लेषक, भाषाविद, वरिष्ठ गाँधीवादी-समाजवादी चिंतक, पत्रकार व्

इंटरनेशनल को-ऑर्डिनेटर – महात्मा गाँधी पीस एंड रिसर्च सेंटर घाना, दक्षिण अफ्रीका

Special Coverage

Special Coverage

    Next Story