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पच्चीस करोड़ की मुस्लिम आबादी किसी पेड़ की डाल पर बैठी चिड़िया नहीं, जो पटाका चला कर उड़ा दिया जाएगा

Special Coverage News
4 July 2017 8:08 AM GMT
पच्चीस करोड़ की मुस्लिम आबादी किसी पेड़ की डाल पर बैठी चिड़िया नहीं, जो पटाका चला कर उड़ा दिया जाएगा
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The police did not work in the police station, in the police station, in front of the Khaki, the BJP in-charge swindled
एक व्यक्ति ने व्हाट्सअप ग्रुप पर सन्देश दिया " इन मुल्लों के प्रति अपनी सोच बदलो, ये मुल्ले हिन्दुओं की बहन बेटी को नहीं छोड़ेंगे" ये सुन कर मेरी नींद गायब हो गयी, गायब होना लाजमी भी था क्योंकि ये मैसेज एक उच्च शिक्षित और प्रशिक्षित व्यक्ति की तरफ से आया था। एक ऐसे व्यक्ति की तरफ से जो राष्ट्र निर्माण का बुनियादी खाका तैयार करते है।
मैंने नाना प्रकार से तथ्यों सहित उन सज्जन को समझाने का प्रयास किया तथा आंशिक रूप से सफल भी रहा। पर ना वो संतुष्ट थे और ना ही मैं।
यह सब देख सुन कर उस व्यवस्था पर चर्चा जरुरी हो जाती है जो दो समुदायों के बीच एक बड़ी खाई का निर्माण करती है तथा दोनों समाज का बुद्दिजीवी वर्ग इस खाई को पाटने के स्थान पर और अधिक बढ़ाने का कार्य कर रहे है।
भारतीय इतिहास में हिन्दू-मुस्लिम एकता और आपसी सौहार्द के सैकड़ों किस्से मौजूद है बावजूद इसके मुस्लिमों के प्रति नफरत भरा इतिहास पढ़ा कर समय-समय पर हिन्दू मुस्लिम एकता और आपसी सद्भाव को खण्डित किया जाता रहा है।
हिंदुस्तान की जमीन पर पैदा होने वाले बच्चों को बहुत जल्द मजहब का बोध करा दिया जाता है। छोटे-छोटे बच्चों के जेहन में मुस्लिमों के प्रति नफरत का जहर घोल दिया , बताया गया कि मुसलमान गन्दे लोग है, वो माँस का भक्षण करते है।
जब में कई स्कूल गया तो पाया की इतिहास का हवाला देकर मुस्लिमों के प्रति नकारात्मक छवि तैयार की जाती है। यही स्थिति मुल्क के हर स्कूलों की है जहाँ गौरी, गजनवी, तैमूर और औरंगजेब का चरित्र चित्रण कर नफरत की आग को भड़काया जाता है।
हिन्दुओं ने हमेशा ही मुस्लिमों को आक्रमणकारी और बाहरी समझा है। मुल्क के सियासी लोगों ने राजनीति के लिए समय-समय पर दोनों मजहबों के बीच दूरी तैयार की है। आज हिन्दुओं को मस्जिद की अजान से समस्या है तो मुस्लिमों को हिन्दुओं के भजन-कीर्तन से। कुछ हिन्दू मोहर्रम पर उपद्रव करने से नही चूकते तो कुछ मुस्लिम हिन्दुओं के त्यौहार पर जहर घोल देते है। इन सब के बावजूद मैंने बहुत से हिन्दुओं को ईद पर मुस्लिमों से गले मिलते देखा है और मुस्लिमों को दिवाली की बधाई देते देखा है।
आज हिन्दुस्तान के एक बड़े दल द्वारा हिन्दू-मुस्लिमों को आपस में लड़वाकर राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही है। हिन्दू धर्म कितना महान है जो चींटी के भी मारे जाने पर प्रायश्चित करने की वकालत करता है और उसके अनुयायी मुस्लिमों के सँहार का सपना देखते है। आपका धर्म हिंशा को सिरे से नकारता है और आपके धर्म के अनुयायी हिन्दुओं के कत्ले आम की बात करते है।
हम अपना कीमती समय इन्सान बनने में नही अपितु एक कट्टर हिन्दू और कट्टर मुसलमान बनने में जाया कर रहे है। कोई बोलता है मैं कट्टर हिन्दू हूँ तो कोई कहता है मैं कट्टर मुसलमान हूँ। ये लोग कहीं न कहीं कट्टरता के नाम पर गुमराह है और समाज को गुमराह कर रहे है।
एक लड़का स्वम् को कट्टर हिन्दू बता कर मुस्लिमों के विनाश की बात कर रहा था। मैंने पूछा कट्टर भाई आपकी कट्टरता से हिन्दुओं को क्या लाभ हो सकता है? क्या आपकी कट्टरता कुपोषण से जूझ रहे बच्चों को पोषण प्रदान कर सकती है? या इस कट्टरता से हिन्दुओं की शेष समस्याओं का निराकरण किया जा सकता है। या धार्मिक कट्टरता से देश की जीडीपी को बढ़ाया जा सकता है? एक लम्बी ख़ामोशी के बाद वो बोला मैं मुल्लों को चीर के रख दूँगा। मतलब स्पष्ट है, धार्मिक कट्टरता का मतलब आतंक से है। कट्टर हिन्दू मुसलमानों का विनाश चाहते है और कट्टर मुस्लिम हिन्दुओं को नेस्तनाबूत करना चाहते है।
मुझे एक बात नहीं समझ आती, हिन्दू कहते है पूरे ब्रह्माण्ड का पालनहार भगवान है। मुसलमान कहते है अल्लाह है और ईसाई जीजस को जगत पिता मानते है। फिर हम लोग क्यों लड़ रहे है? क्या हमारे ईश्वर, अल्लाह और जीजस इतने कमजोर है जो उनके लिए हम लड़ रहे है? हम कहीं ना कहीं धर्म की आड़ में अपना काम बना रहे है। व्यक्तिगत महत्वकांक्षाओं की सिद्धि के लिए धर्म का दुरुपयोग कर रहे है
बहुत से लोग तो महात्मा गाँधी को विभाजन का दोषी ठहराते है। उनके मुताबिक आज मुल्क में मुसलमानों की उपस्थिति के लिए गाँधी ही जिम्मेदार है। तो उत्तर प्रदेश में मुसलमान हितों के लिए संघर्ष करने के कारण लोग मुलायम सिंह को मुल्ला तक कहते है। उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी को नमाजवादी पार्टी तक कहा जाता है। सभी दल मुस्लिम वोट के लिए लालायित रहते है पर मुस्लिम आबादी के लिए कुछ किया जाए इस पर दिक्कत सबको होती है। नेता जी ने जब मुस्लिमों को अपनी बेटी कहा तो हिन्दुओं के एक बड़े वर्ग ने इसका जोरदार विरोध किया।
आज मुल्क में हर मुसलमान को आतँकी ठहराने की मुहीम चल रही है। अब जब बीस साल बाद किसी मुस्लिम युवक को बेगुनाह बता कर रिहा किया जाएगा तब उसपे और उसकी कौम पर क्या बीतेगी? यही घटनाएँ है जो आक्रोश को जन्म देती है। एक दूसरे के प्रति डर और असुरक्षा की भावना ने हिन्दू-मुसलमान को एक दूसरे से दूर किया है। आज हिंदुस्तान की एक बड़ी आबादी मुस्लिमों को नफरत भरी नजर से देखती है।
नफरत के बीज बोने वाले धर्म के ठेकेदार इस समस्या का समाधान बताएँ। क्या पच्चीस करोड़ मुस्लिम आबादी को मुल्क से भगाया जा सकता है? और क्यों भगाया जाए? क्या मुल्क पर किसी विशेष सम्प्रदाय या जाति का अधिपत्य है? अगर नहीं तो मुल्क प्रत्येक भारतीय नागरिक का है। मुसलमानों को प्रताड़ित करने या जबरन आतँकी घोषित करने से समस्या का समाधान नहीं होने वाला, अगर मुल्क में अमन चैन का साम्राज्य स्थापित करना है तो आपसी सद्भाव और विस्वाश कायम करना ही होगा। हिन्दू मुस्लिम साझा प्रयासों से ही मुल्क में अमन स्थापित किया जा सकता है।
आखिर क्यों बात बात पर पूरी मुस्लिम आबादी को आतँकी ठहरा दिया जाता है? क्यों ?


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लेखक चौ0आदिल सगीर वरिष्ठ पत्रकार के अपने निजी विचार है.
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