- होम
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- राष्ट्रीय+
- आर्थिक+
- मनोरंजन+
- खेलकूद
- स्वास्थ्य
- राजनीति
- नौकरी
- शिक्षा
Archived
इलाहाबाद हाईकोर्ट का सीएम योगी से सख्त सवाल, क्या छोड़ेगे? सुनकर हुए हैरान योगी और केशव!
शिव कुमार मिश्र
15 May 2017 6:35 PM GMT
x
सांसद और CM दोनों कैसे बने रह सकते हैं योगी आदित्यनाथ?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूछा है कि योगी आदित्यनाथ एक साथ मुख्यमंत्री और सांसद के पदों पर कैसे रह सकते हैं. अदालत की लखनऊ बेंच ने इस सिलसिले में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी को समन भेजा है.
समाजसेवी ने दायर की है याचिका
समाजसेवी संजय शर्मा ने सोमवार को हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बतौर सांसद तनख्वाह और बाकी सुविधाएं ले रहे हैं. लिहाजा वो यूपी सरकार में सत्तानशीं नहीं हो सकते. शर्मा ने अपनी दलील के समर्थन में संसद (अयोग्यता का निवारण) अधिनियम 1959 के प्रावधानों का हवाला दिया है और आदित्यनाथ के साथ मौर्य की नियुक्ति रद्द करने की मांग की है. दोनों नेताओं ने 19 मार्च को शपथ ली थी. योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हैं जबकि केशव प्रसाद मौर्य इलाहाबाद की फूलपुर संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं. वो बीजेपी की यूपी इकाई के अध्यक्ष भी हैं.
अदालत में क्या हुआ?
जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस वीरेंद्र कुमार की बेंच ने याचिका को स्वीकार किया. यूपी के एडवोकेट जनरल राघवेंद्र सिंह की दलीलें सुनने के बाद बेंच ने मामले पर मुकुल रोहतगी की राय मांगी है. अदालत ने माना कि इस मामले में कोई पिछली मिसाल मौजूद नहीं है. माना जा रहा है कि आदित्यनाथ और मौर्य ने संसद से इसलिए इस्तीफा नहीं दिया है ताकि वो जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी के लिए वोट डाल सकें. मामले की अगली सुनवाई 24 मई को होगी.
Next Story