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विद्यालयों में अध्ययन बन रहा व्यापार!

विद्यालयों में अध्ययन बन रहा व्यापार!
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हरदोई. जनपद में निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा की आड़ में एक ऐसा कारोबार किया जा रहा है, जिसे जानकार आप भी हैरान रह जायेंगे। इंग्लिश मीडियम स्कूलों ने अभिभावकों के लिये एक ऐसा नियम लागू किया है, जिसमे एक साधारण आदमी तो निश्चित ही कंगाल हो जायेगा। किसी भी क्लास का भी कोर्स आप अगले सत्र में प्रयोग नहीं कर सकते। मतलब साफ है कि आपको हर क्लास के लिए नया कोर्स खरीदना पड़ेगा, और पुराना कोर्स रद्दी हो जायेगा।


स्पेशल कवरेज न्यूज़ ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि प्रत्येक सत्र में ये कोर्स न सीबीएससी और न ही एनसीआरटी के नियमानुसार चेंज किया जाता है बल्कि इंग्लिश मीडियम स्कूलों की मोटी कमाई के लिए हर साल मनमाने ढंग से कोर्स चेंज कर दिया जाता है, ताकि हर साल नया कोर्स बिकने पर स्कूलों को मोटा कमिशन मिल सके। हैरत वाली बात तो ये भी है कि सेंट जेवियर्स, न्यू हाइट, जयपुरिया, श्री गुरु रामराय, टीएन किड्स आदि इंग्लिश मीडियम स्कूलों का कोर्स शहर की किसी अन्य दुकान पर नहीं मिलेगा। कमीशनबाजी के चलते स्कूलों द्वारा निर्धारित दुकान पर ही कोर्स मिलेगा, जिसे हर बार खरीदना अनिवार्य है। हर साल स्लेवस चेंज करने के पीछे सबसे बड़ी वजह है कमीशनबाजी। अन्यथा 50 फीसदी बच्चे पुरानी किताबों से भी पढ़ाई कर सकते थे। 3550 रूपये से कम किसी भी क्लास का कोर्स नहीं है।


सेंट जेवियर्स स्कूल के 3rd क्लास के कोर्स की स्लिप आप तस्वीर में देख सकते हैं जिस पर कोर्स की कीमत 3620 रुपये अंकित है। इस कोर्स पर स्कूल मैनेजमेंट का 50 प्रतिशत कमीशन फिक्स है, इस लिहाज से स्कूल को 1810 रुपये सीधा कमीशन मिल रहा है, इसी तरहं अन्य क्लास के कोर्स पर भी 45 से लेकर 60 प्रतिशत कमीशन निर्धारित है। इसके अलावा प्रत्येक कोर्स पर मनमाने ढंग से प्रिंट रेट अंकित किये गए हैं, कॉपी व किताब को देखकर आप खुद भी अंदाजा लगा सकते हैं कि इसकी कीमत क्या होगी, पर आपके अंदाजे से दो गुनी कीमत स्टेशनरी पर दर्ज है। ऐसे में इंग्लिश मीडियम स्कूलों द्वारा खुलेआम अभिभावकों की जेब पर डांका डाला जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पर 40 से 50 हजार रुपये सालाना खर्च करना पड़ता है, और घर में ट्यूशन भी लगाना जरूरी है।


ऐसे में सवाल ये उठता है कि बच्चों को शिक्षित करने में स्कूलों की भूमिका क्या है? एक ही स्कूल में हर साल अवैध रूप से दाखिला शुल्क वसूलने और किताबें बेंचने वाले ये स्कूल कहीं अपने मकसद से तो नहीं भटक गए हैं। उधर अभिभावक संघ ने भी स्कूलों की इस मनमानी का विरोध किया है, पर प्रशासन ने अभी तक कोई ऐक्शन लेने की जहमत नहीं उठाई है।


रिपोर्ट-ओम त्रिवेदी (व्यूरो)हरदोई

शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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