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नरेंद्र मोदी हमारे प्रधान मंत्री, सही मायनों में देखा जाए तो लौह पुरुष हैं। जो नवरत्न अधिकारियों ने बताया उसे लागू करने में तनिक भी नही हिचकिचाते। बिना होमवर्क के आननफानन में लागू कर देते हैं। विगत तीन साल में उन्होंने परिवार नही पाल पाने वाले लोगों को निशाने पर ले रखा है।
वे जान चुके हैं कि गऱीबी उन्मूलन का इंदिरा गांधी का रास्ता गलत था। गरीबी तभी मिटेगी जब गरीब नही रहेंगे यानी खत्म हो जाएंगे। इसके लिए कुछ करना भी नही है। मार्केट में महंगाई बढ़ा दो और आमजन की आमदनी घटा दो। महंगाई चरम पर बस पहुंच ही चुकी है, अब जो अमीर लेबर लॉ के कारण गरीब मजदूरों का कुछ कम शोषण कर पा रहे हैं, उसमे बदलाव किया जा रहा है।
तर्क है कि यदि न्यूनतम वेतनमान की सीमा खत्म हो जाएगी तो ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। यानी अभी तक जहां एक मजदूर दस हज़ार महीना पा रहा है। अब अमीर गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए 10 हज़ार में दो मज़दूर रख सकेंगे।